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बुधवार, 31 जुलाई 2013

IPL DHAMAKA

IPL DHAMAKA

  IPL 6:

 Once all arrests are done by the Mumbai and the Delhi police, they can
start a tournament with two new teams - Arthur Road Indians and Tihar
Dare devils! ****
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  'Pepsi' is not going to be the sponsor of IPL 2014. The new sponsor is
going to be 'Whisper' because IPL is going through its worst
period'!****
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Such travesty...
While the great Dara Singh represented Hanuman, his son Vindoo Dara Singh
represents Middleman!****
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 Innovative ad outside a gynecologist:
We charge very less per delivery compared to Sreesanth!****
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Raj Kapoor was real visionary. He made Shree(santh) 420 in 1955!****
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 Ever wondered the reason why IPL comes on Set Max? Because it is already
SET!****
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 A towel can make one's career - Ranbir Kapoor
A towel can destroy one's career - Sreesanth
One can make a career without a towel - Sunny Leone****
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 The Tata Sky channel number of Sony Six HD for showing IPL matches is
420.
We should have taken the cue of things to come!****
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TATA Docomo's latest advertisement:
While watching IPL, think of us
Because leading bookies use our network!****
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 IPL 6's best catch award goes to:****
Delhi Police - for catching Sreesanth!****
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  After the betting expose, people are still watching IPL - now you
know the
reason as to why Congress keeps coming back to power!
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vyangya chitr / cartoon

Book Review: Social networking par sarthak vimarsh Dr. C.Jayshankar Babu


पुस्तक समीक्षा


               सोशल नेटवर्किंग पर सार्थक विमर्श
                                                                                                             -          डॉ. सी. जय शंकर बाबु




इंटर्नेट के विकास के साथ ही सामाजिक संबंधों-संवादों के कई रूपों, कई सुविधाओं, व्यवस्थाओं और व्यवसायों के उभरने से दुनिया में रिश्तों के कई नए जाल फैल चुके हैं।  ऐसी एक नई व्यवस्था जिसमें नए संवादों की असीम संभावनाएँ उभरकर सामने आई हैं, उसे सोशल नेटवर्किंग की संज्ञा से अभिहित किया गया है।  सोशल नेटवर्किंग के आज कई आयाम समाज के विभिन्न वर्गों को, लगभग सभी अवस्थाओं के लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर उन्हें कई परिचित, अपरिचित लोगों के साथ संवाद बनाए रखने, विचारों, भावनाओं के आदान-प्रदान, ज्ञान-विज्ञान, विशेषज्ञतावाले विषयों में मुक्त एवं उन्मुक्त विमर्श के लिए मंच देने की वजह से इनकी ओर समाज का आकर्षण बढ़ रहा है, विशेषकर युवा पीढ़ी ज्यादा प्रभावित है।  सोशल नेटवर्किंग के विभिन्न आयामों पर सार्थक एवं सामयिक विमर्श पर केंद्रित एक नई कृति सोशल नेटवर्किंग - 'नए समय का संवाद' के शीर्षक से सामने आई है, जिसका संपादक जाने-माने पत्रकार, मीडिया आलोचक और माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग के अध्यक्ष संजय द्विवेदी ने किया है।  सोशल नेटवर्किंग के सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनीतिक, सामरिक, कूटनीतिक, नैतिकस न्यायिक एवं तकनीकी तथा अन्य आयामों पर केंद्रित लेख इस कृति में शामिल हैं। इसमें कुल 26 लेख शामिल हैं जिनमें 21 लेख हिंदी में और शेष 5 लेख अंग्रेजी में हैं।
 
मीडिया क्षेत्र से जुड़े जाने-माने पत्रकार, आलोचक, आचार्य आदि की लेखनी से सृजित इन लेखों के माध्यम से सोशल नेटवर्किंग के लगभग तमाम आयामों पर सविस्तार सार्थक विमर्श को स्थान दिया गया है।  मुक्त सूचना का समय शीर्षक से इस कृति के संपादकीय में संजय द्विवेदी जी ने लिखा है: आज ये सूचनाएं जिस तरह सजकर सामने आ रही हैं कल तक ऐसा करने की हम सोच भी नहीं सकते थे।  संचार क्रांति ने इसे संभव बनाया है।  नई सदी की चुनौतियाँ इस परिप्रेक्ष्य में बेहद विलक्षण हैं।  इस सदी में यह सूचना तंत्र या सूचना प्रौद्योगिकी ही हर युद्ध की नियामक है, जाहिर है नई सदी में लड़ाई हथियारों से नहीं, सूचना की ताकत से होगी ।  जर्मनी को याद करें तो उसने दूसरे विश्वयुद्ध में ऐतिहासिक जीतें दर्ज कीं, वह उसकी चुस्त-दुरुस्त टेलीफोन व्यवस्था का ही कमाल था ।  सूचना आज एक तीक्ष्ण और असरदायी हथियार बन गई है ।...... फेस बुक, ब्लाग और ट्विटर ने जिस तरह सूचनाओं का लोकतंत्रीकरण किया है उससे प्रभुवर्गों के सारे रहस्य लोकों की लीलाएं बहुत जल्दी सरेआम होंगी ।  काले कारनामों की अंधेरी कोठरी से निकलकर बहुत सारे राज जल्दी ही तेज रौशनी में चौंधियाते नजर आएंगे ।  बस हमें, थोड़े से जूलियन असांजे चाहिए । (पृ.2,3)

उन्मुक्त सूचनातंत्र के इस युग में सोशल नेटवर्किंग की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए द्विवेदी जी की संपादकीय वाणी इस विचार को भी बल देती है कि,सोशल नेटवर्किंग आज हमारे होने और जीने में सहायक बन गयी है ।  इस अर्थ में मीडिया का जनतंत्रीकरण भी हुआ है ।  आम आदमी इसने जुबान दी है ।  इसने भाषाओं को, भूगोल की सीमाओं को लांघते हुए एक नया विश्व समाज बना लिया है ।  इसकी बढ़ती ताकत और उसके प्रभावों पर इक बातचीत की शुरूआत इस किताब के बहाने हो रही है । (पृ.3)माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला ने इंटर्नेट आधारित सोशल नेटवर्किंग को मानवता के लिए वरदान के रूप में माना है ।  उनका विचार है कि सोशल नेटवर्किंग के कारण से मानवीय संपर्कों और संबंधों की सीमाएं अंकन हो गईं ।  प्रो. कुठियाला जी का विचार है–इंटरनेट आधारित जो संवाद की प्रक्रियाएँ आर्थिक लाभ के लिए किया जाए, उसी से आर्थिक और सामाजिक विषमताएँ दूर होंगी ।  इंटरनेट की अपनी प्रकृति ऐसी है कि यह अपने ही डिजिटल गैप को समाप्त करने की क्षमता रखती है ।(पृ.15)

इस कृति में शामिल लेखों में शोशल नेटवर्किंग के कई आयामों पर सविस्तार सार्थक चर्चा हुई है ।  कुछ लेखों के शीर्षक ही ऐसे हैं कि वे इस नए संवाद के विभिन्न आयामों पर सहज विश्वेषण प्रस्तुत करते हैं – जैसे अंतरंगता का जासूस (प्रकाश दुबे), मनचाही अभिव्यक्ति का विस्तार (कमल दीक्षित), कहाँ पहुँचा रहे हैं अंतरंगता के नए पुल (विजय कुमार), टाइम किलिंग मशीन (प्रकाश हिंदुस्तानी), अप संस्कृति की गिरफ्त में (संजय कुमार), खतरे आसमानी भी हैं और रूहानी भी (संजय द्विवेदी), सावधानी हटी-दर्घटना घटी (आशीष कुमार अंश), कानूनी सतर्कता का सवाल (डॉ. सी. जय शंकर बाबु), इक्कीसवीं सदी का संचार (डॉ. सुशील त्रिवेदी), आभासी दुनिया की हकीकतें (तृषा गौर), ‘A Replica of the Social Realities’ (Ranu Tomar)आदि ।

लेडी श्रीराम कालेज, दिल्ली में पत्रकारिता विभाग की अध्यक्ष वर्तिका नंदा ने एक पाती फेसबुक के नाम शीर्षक से अपने लेखमें सोशल नेटवर्किंग के प्रभाव का विश्लेषण कुछ आंकडों के माध्यम से इस रूप में की है –नए आँकड़े बड़ी मजेदार बातें बताते हैं ।  अगर दुनिया-भर के फेसबुक यूजर्स की संख्या को आपसे में जोड़ लिया जाए, तो दुनिया की तीसरी सबसे अधिक आबादी वाला देश हमारे समाने खड़ा होगा ।  अब, जबकि आबादी का 50 प्रतिशत हिस्सा 30 से कम उम्र का है, तुम स्टेटस सिंबल बन चुके हो ।  आधुनिक बाजार का 93 प्रतिशत हिस्सा सोशल नेटवर्गिंक साइट्स का इस्तमाल करता है ।  भारतीय युवा तो इस नए नटखट खिलौने के ऐसे दीवाने हो गए हैं कि भारत दुनिया का चौथा सबसे अधिक फेसबुक का इस्तामाल करने वाला देश बन गया है।(पृ.29)

शिल्प अग्रवाल का अंग्रेजी प्रस्तुत लेख - ‘You are connected’ भी ऐसे ही कुछ आँकडें प्रस्तुत करता है – “80,0000000 connections globally, 100 million and more in India – to hundreds of connections in my own list.  All of this under 7 years.  The pace with which these have grown intrigues any min and to the less tech savvy it’s boggling.  But how can anyone stay away from perhaps the most important revolution of modern times.”

शोध-संवाद और सार्थक विमर्श के लिए इस कृति में शामिल लेखों से काफ़ी महत्वपूर्ण विचार मिल जाते हैं जो सोशल नेटवर्किंग के अतीत, वर्तमान और भविष्य के समग्र प्रभाव का विश्वेषण और पूर्वानुमान भी प्रस्तुत कर देते हैं ।  इनमें अभिव्यक्ति विचार लेखकों के अनुभव और व्यवहार जनित ही नहीं, तथ्यात्मक, तार्किक और सिद्धांतपरक भी है ।  लेखों के सृजन और कृति प्रकाशन के बीच व्यवधान की अधिकता भी कुछ स्पष्ट हो जाती है, क्योंकि इन लेखों में चर्चित एकाध मुद्दों पर बहस काफ़ी आगे बढ़ भी चुकी है और निरंतर जारी भी है ।  (इन आलेखों के लेखन का माह और वर्ष भी शामिल किया जा सकता था ।)  इस सीमा के बावजूद यह कृति इस विषय क्षेत्र के अध्ययन में लगे मीडिया के छात्रों, शोधार्थियों, मीडिया आलोचकों के लिए निश्चय ही प्रेरक एवं उपयोगी कृति है ।  इस कृति के इस रूप में प्रस्तुति के लिए लेखकगण, संपादक संजय द्विवेदी और यश पब्लिकेशंस, दिल्ली बधाई के पात्र हैं ।  कृति के आवरण (दूसरे) पृष्ठ  पर छपी टिप्पणी में नवभारत टाइम्स के पूर्व संपादक विश्वनाथ सचदेव ने राय दी है कि,“एक सर्वथा नए विषय पर इनती सामग्री का एक साथ होना भी नए विमर्शों की राह खोलेगा इसमें दो राय नहीं है ।  पुस्तक की उपयोगिता भी इससे साबित होती है कि इसमें लेखकों ने एक सर्वथा नई दुनिया में हस्तक्षेप करते हुए उसके विविध पक्षों पर सोचने की शुरूआत की है ।

आज अधिकांश पुस्तकों, पत्र-पत्रिकाओं में शायद कंप्यूटर में अक्षर संयोजकों और प्रूफ़ पढ़ने वालों की लापरवाही की वजह से मुद्राराक्षसों का दर्शन (प्रूफ़ की अशुद्धियों का नज़र आना) आम बात बन चुकी है, कम मात्रा में ही क्यों न हो, यह कृति भी इसका अपवाद नहीं है ।  संपादक ने इस कृति को सृजनगाथ डाट काम के संपादक जयप्रकाश मानस को समर्पित किया है ।

कृति - सोशल नेटवर्किंग - नए समय का संवाद (ISBN: 978-81-926053-6-4), संपादकसंजय द्विवेदीप्रकाशन वर्ष– प्रथम संस्करण 2013, पृष्ठ–115, मूल्य– रु.295, प्रकाशक– यश पब्लिकेशंस, 1/11848 पंचशील गार्डन, नवीन शाहदरा, दिल्ली – 110 032
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सहायक प्रोफ़ेसर, हिंदी विभाग, पांडिच्चेरी विश्वविद्यालय, पुदुच्चेरी – 605 014
मोबाइल – 09843508506 ई-मेल –professorbabuji@gmail.com

राष्ट्रीय कायस्थ महापरिषद



||श्री चित्रगुप्ताय नमः||स्थापना- जयपुर सम्मेलन 23 जून, 2002
सम्पर्क-09431238623, 09935038843,09430255555

राष्ट्रीय कायस्थ महापरिषद
(निबन्धन सं.0874/13 - राष्ट्रीय कार्यालय नई दिल्ली)
(भारत में स्थित कायस्थ सभाओं,कायस्थ संस्थाओं, श्री चित्रगुप्त मंदिरों,धर्मशालाओं,
शिक्षा संस्थाओं एवं समाज की पत्र-पत्रिकाओं के संचालकों/संपादकों का राष्ट्रीय परिसंघ)
प्रधान सचिवालय :- 209-210,इनकम टैक्स कालोनी,विनायकपुर,कानपुर 208025 (उत्तर प्रदेश) 
मुख्यालय :-  फ्लैट सं०-जे.एफ.1/71,ब्लॉक सं०-6,रोड सं०-10,राजेन्द्र नगर,पटना-800016 (बिहार) 
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पत्रांक :-341                                  अधिसूचना                            दिनांक :-30.07.2013
महापरिषद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक, राजेश श्रीवास्तव(आयोजन संयोजक) के अनुरोध पर पूर्व निर्धारित तिथि 29 सितम्बर से बढाकर 20 अक्टूबर 2013 को नवी मुम्बई में ही आयोजित की गई है | इस बैठक में निम्नलिखित विषय-सूची पर विचारकर निर्णय लिया जायेगा |
                1. पिछली बैठक के कार्यवाही की संपुष्टि, राष्ट्रीय प्रधान महासचिव का प्रतिवेदन |
                2.राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष द्वारा आय व्यय का प्रतिवेदन,राष्ट्रीय संगठन मंत्री का प्रतिवेदन |
      3. अध्यक्ष की अनुमति से अन्य विषय पर विचार |
कार्यक्रम :
1.कार्य संचालक समिति की बैठक प्रातः 10 से 11
2.राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक 11.30 से.1.30
3.भोजनावकाश 1.45 से 2.45 
4.स्थानीय लोगों के साथ मिलन समारोह अपराहन 3 बजे से 4 बजे तक तत्पश्चात शहर भ्रमण। 
इस आयोजन हेतु राष्ट्रीय संयुक्त संगठन सचिव श्री राजेश  श्रीवास्तव मोबाइल सं. 08652371313, 08286201111 दूरभाष: 022-65242888(आयोजन संयोजक), को अपने आगमन–प्रस्थान ट्रेन सं० सहित विवरण 15 दिन पहले अवश्य उपलब्ध कराने की कृपा करेंगे साथ ही अरबिन्द कुमार सिन्हा, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष सहप्रशासनिक सचिव को भी उपलब्ध कराने की कृपा करेंगे ताकि आपकी व्यवस्था करने में सुविधा हो |कायस्थ नव जागरण आन्दोलन को गतिशील करने में आपकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है इसलिए इस महत्वपूर्ण बैठक में सम्मिलित होने की अवश्य कृपा करें |
बैठक का स्थान एवं आवासीय स्थल चित्रगुप्त समाज वेलफेयर निर्माण प्रॉपर्टीज एवं डेवलपर,डी-8,सेक्टर-12,खारगर,नवी मुम्बई / आपलोगों से मेरा अनुरोध है कि अपना-अपना  टिकट शीघ्र आरक्षित करा लें| सभी प्रभारी से अनुरोध है की अपना-अपना संगठनात्मक रिपोर्ट जरुर लायें|
                                                            आपका
(डॉ० यू.सी.श्रीवास्तव)
राष्ट्रीय प्रधान महासचिव