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सोमवार, 30 अगस्त 2021

निमाड़ी दोहा सलिला

निमाड़ी दोहा सलिला
दोहे
*
सिंदूरी सुभ भोर छे, चटक दुपैरी धूप।
रंगीली संझा सरस, रातs सुहाणो रूप।।
*
खेती बाड़ी बावड़ी, अमरित पाणी सीच
ठुमके पर ओरावणी, नाच सयाणी मीच
*
सूनी गोद भरावणी, संजा चारइ पूज
बरसूद् या खs लावणी, हिवड़ा कहीं न दूज
*
दाणी मइया नरबदा, पाणी अमरित धार
धाणी गऊँ जुआर दs, माणी जीवन सार
*
घड़ी-घड़ी खम्माघणी, अमर प्यार के बोल
परिकम्मा कर पुन्न ले, चलाया टोल का टोल

*

गुरुवार, 18 मार्च 2021

निमाड़ी दोहा

निमाड़ी दोहा:
संजीव 'सलिल' 
*
जिनी वाट मंs झाड नी, उनी वांट की छाँव. ने
ह मोह ममता लगन, को नारी छे ठाँव.. 
१८-३-२०१० 
दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम

बुधवार, 18 मार्च 2020

निमाड़ी दोहा

निमाड़ी दोहा: 
संजीव 'सलिल' 
*
जिनी वाट मंs झाड नी, उनी वांट की छाँव. 
नेह मोह ममता लगन, को नारी छे ठाँव.. 
*
हिंदू मरते हों मरें, नहीं कहीं भी जिक्र।
काँटा चुभे न अन्य को, सबको इसकी फ़िक्र।।
दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम