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सोमवार, 14 अगस्त 2017

bhakti geet

भक्ति गीत :
कहाँ गया
*
कहाँ गया रणछोड़ रे!
जला प्रेम की ज्योत
*
कण-कण में तू रम रहा
घट-घट तेरा वास.
लेकिन अधरों पर नहीं
अब आता है हास.
लगे जेठ सम तप रहा
अब पावस-मधुमास
क्यों न गूंजती बाँसुरी
पूछ रहे खद्योत
कहाँ गया रणछोड़ रे!
जला प्रेम की ज्योत
*
श्वास-श्वास पर लिख लिया
जब से तेरा नाम.
आस-आस में तू बसा
तू ही काम-अकाम.
मन-मुरली, तन जमुन-जल
व्यथित विधाता वाम
बिसराया है बोल क्यों?
मिला ज्योत से ज्योत
कहाँ गया रणछोड़ रे!,
जला प्रेम की ज्योत
*
पल-पल हेरा है तुझे
पाया अपने पास.
दिखता-छिप जाता तुरत
ओ छलिया! दे त्रास.
ले-ले अपनीं शरण में
'सलिल' तिहारा दास
दूर न रहने दे तनिक
हम दोनों सहगोत
कहाँ गया रणछोड़ रे!
जला प्रेम की ज्योत
***
salil.sanjiv@gmail.com, ९४२५१८३२४४
http://divyanarmada.blogspot.com
#हिंदी_ब्लॉगर

शुक्रवार, 10 अगस्त 2012

बधाई गीत: सूरज ढोल बजाये... संजीव 'सलिल'

बधाई गीत:
सूरज ढोल बजाये...
संजीव 'सलिल'
*


सूरज ढोल बजाये,
उषा ने गाई बधाई...
*
मैना लोरी मधुर सुनाये,
तोता पढ़े चौपाई, उषा ने गाई बधाई...
*
गौरैया उड़ खाय कुलाटी,
कोयल ने ठुमरी सुनाई, उषा ने गाई बधाई...
*
कान्हा पौढ़े झूलें पालना,
कपिला ने टेर लगाई, उषा ने गाई बधाई...
*
नन्द बबा मन में मुसकावें,
जसुदा ने चादर उढ़ाई, उषा ने गाई बधाई...
*
गोप-गोपियाँ भेंटन आये,
शोभा कही न जाई, उषा ने गाई बधाई...
*
भोले आये, लाल देखने,
मैया ने कर दी मनाई, उषा ने गाई बधाई...
*
लल्ला रोया, मैया चुपायें,
भोले ने बात बनाई, उषा ने गाई बधाई...
*
ले आ मैया नजर उतारूँ,
बडभागिनी है माई, उषा ने गाई बधाई...
*
कंठ लगे किलकारी मारें,
हरि हर, विधि चकराई, उषा ने गाई बधाई...
*

अनुपम छवि बनवारी की।..

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष उपहार::

 अनुपम छवि बनवारी की।..
 
 




  

शुक्रवार, 14 अगस्त 2009

भजन: कान्हा जी आप आओ ना -गार्गी

कान्हा जी आप आओ ना ......

मेरा मन तुम्हे बुला रहा है !!
अपनी मधुर मुरली सुनाओ ना ....

जो मेरे अन्दर के कोलाहल को मिटा दे !!
अपनी साँवरी छवि दिखा जाओ ना ...

जो मन, आत्मा और शरीर को निर्मल कर दे !!
अपना सुदर्शन चक्र घुमाओ ना ...

जो इस दुनिया की सारी बुराइयों को नष्ट कर दे !!
हर तरफ झूठ ही झूठ है .....

आप सत्या की स्थापना करने आओ ना !
फिर से अपना विराठ रूप दिखाओ ना !!

हे कान्हा ! तुम सारथी बनो .....
जैसे अर्जुन को राह दिखाई थी....
मुझको भी राह दिखाओ ना !!

मेरी हिम्मत टूट रही है .....
मुझको भी गीता का ज्ञान सुनाओ ना !!

जीवन की इस रण भूमि में ....
अपने ही मेरे शत्रु बने है ....
आप ही कोई सच्ची राह दिखाओ ना !!

तड़प रही हूँ इस देह की जंजीरो में ....
मुझको मुक्त कराओ ना !!

भाव सागर में डूब रही हूँ ....
तुम मुझको पार लगओ ना !!

कान्हा जी आप आओ ना ..........

कान्हा जी आप आओ ना ...........

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