सरस्वती स्तवन
मालवी
संजीव
*
उठो म्हारी मैया जी
उठो म्हारी मैया जी, हुई गयो प्रभात जी।
सिन्दूरी आसमान, बीत गयी रात जी।
फूलां की सेज मिली, गेरी नींद लागी थी।
भाँत-भाँत सुपनां में, मोह-कथा पागी थी।
साया नी संग रह्या, बिसर वचन-बात जी
बांग-कूक काँव-काँव, कलरव जी जुड़ाग्या।
चीख-शोर आर्तनाद, किलकिल मन टूट रह्या।
छंद-गीत नरमदा, कलकल धुन साथ जी
राजहंस नीर-छीर, मति निरमल दीजो जी।
हात जोड़, शीश झुका, विनत नमन लीजो जी।
पाँव पडूँ लाज रखो, रो सदा साथ जी
***
मात सरस्वती वीणापाणी
मात सरस्वती वीणापाणी, माँ की शोभा न्यारी रे!
बाँकी झाँकी हिरदा बसती, यांकी छवि है प्यारी रे!
वेद पुराण कहानी गाथा, श्लोक छंद रस घोले रे!
बालक-बूढ़ा, लोग-लुगाई, माता की जय बोले रे !
मैया का जस गान करी ने, शब्द-ब्रह्म पुज जावे रे
नाद-ताल-रस की जै होवे, छंद-बंद बन जावे रे!
आल्हा कजरी राई ठुमरी, ख्याल भजन रच गांवां रे!
मैया का आशीष शीश पर, आसमान का छांवा रे!
***
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
कुल पेज दृश्य
सरस्वती मालवी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
सरस्वती मालवी लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
मंगलवार, 23 नवंबर 2021
सरस्वती स्तवन मालवी
चिप्पियाँ Labels:
सरस्वती मालवी
शनिवार, 21 नवंबर 2020
सरस्वती स्तवन: मालवी
सरस्वती स्तवन:
मालवी
संजीव
*
माँ सरसती! की किरपा घणी
लिखणो-पढ़णो जो सिखई री
सब बोली हुण में समई री
राखे मिठास लबालब भरी
मैया! कसी तमारी माया
नाम तमाया रहा भुलाया
सुमिरा तब जब मुस्कल पड़ी
माँ सरसती! दे मीठी बोली
ज्यूँ माखन में मिसरी घोली
सँग अक्कल की पारसमणि
मिहनत का सिखला दे मंतर
सच्चाई का दे दै तंतर
खुशियों की नी टूटै लड़ी
नादां गैरी नींद में सोयो
आँख खुली ते डर के रोयो
मन मंदिर में मूरत जड़ी
***
२०-११-२०१७
९४२५१८३२४४
मालवी
संजीव
*
माँ सरसती! की किरपा घणी
लिखणो-पढ़णो जो सिखई री
सब बोली हुण में समई री
राखे मिठास लबालब भरी
मैया! कसी तमारी माया
नाम तमाया रहा भुलाया
सुमिरा तब जब मुस्कल पड़ी
माँ सरसती! दे मीठी बोली
ज्यूँ माखन में मिसरी घोली
सँग अक्कल की पारसमणि
मिहनत का सिखला दे मंतर
सच्चाई का दे दै तंतर
खुशियों की नी टूटै लड़ी
नादां गैरी नींद में सोयो
आँख खुली ते डर के रोयो
मन मंदिर में मूरत जड़ी
***
२०-११-२०१७
९४२५१८३२४४
चिप्पियाँ Labels:
मालवी सरस्वती,
सरस्वती मालवी
बुधवार, 9 सितंबर 2020
मालवी सरसती वंदना
मालवी सलिला
माँ सरसती
संजीव
*
माँ सरसती! की किरपा घणी
लिखणो-पढ़णो जो सिखई री
सब बोली हुण में समई री
राखे मिठास लबालब भरी
मैया! कसी तमारी माया
नाम तमाया रहा भुलाया
सुमिरा तब जब मुस्कल पड़ी
माँ सरसती! दे मीठी बोली
ज्यूँ माखन में मिसरी घोली
सँग अक्कल की पारसमणि
मिहनत का सिखला दे मंतर
सच्चाई का दे दै तंतर
खुशियों की नी टूटै लड़ी
नादां गैरी नींद में सोयो
आँख खुली ते डर के रोयो
मन मंदिर में मूरत जड़ी
*
२०-११-२०१७
जीवन नी सौगात नखत स्वाती लई आयो
सीप सलिल दुई मिला एक मोती झट जायो
हिवड़ा नाच्यो झूम कपासी बोंड़ी फूली
आसमान से तारा उतरि धरा पर आयो
माँ सरसती
संजीव
*
माँ सरसती! की किरपा घणी
लिखणो-पढ़णो जो सिखई री
सब बोली हुण में समई री
राखे मिठास लबालब भरी
मैया! कसी तमारी माया
नाम तमाया रहा भुलाया
सुमिरा तब जब मुस्कल पड़ी
माँ सरसती! दे मीठी बोली
ज्यूँ माखन में मिसरी घोली
सँग अक्कल की पारसमणि
मिहनत का सिखला दे मंतर
सच्चाई का दे दै तंतर
खुशियों की नी टूटै लड़ी
नादां गैरी नींद में सोयो
आँख खुली ते डर के रोयो
मन मंदिर में मूरत जड़ी
*
२०-११-२०१७
जीवन नी सौगात नखत स्वाती लई आयो
सीप सलिल दुई मिला एक मोती झट जायो
हिवड़ा नाच्यो झूम कपासी बोंड़ी फूली
आसमान से तारा उतरि धरा पर आयो
चिप्पियाँ Labels:
मालवी माँ सरसती,
सरस्वती मालवी
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ (Atom)