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रविवार, 24 दिसंबर 2023

एम.व्ही., विश्वेश्वरैया, गीत

स्मृति गीत 

प्रकृति के अनुरूप यांत्रिकी, एम.व्ही. ने थी सिखलाई।

उद्योगों से नव उन्नति की राह देश को दिखलाई... 

*

भू-सुत एम.व्ही. खुद बाढ़ों की विभीषिका से जूझे थे। 

जलप्लावन का किया सामना, दृढ़ निर्माण अबूझे थे॥ 

'बाढ़-द्वार' से बाढ़ नियंत्रण कर जनहित की अगुआई

प्रकृति के अनुरूप यांत्रिकी, एम.व्ही. ने थी सिखलाई...

*

जल-प्रदाय का किया प्रबंधन, बाधाओं से टकराए। 

आंग्ल यंत्रियों की प्रभुता से कभी न किंचित घबराए।। 

जन्म जात प्रतिभा-क्षमता का लोहा जग माना की पहुनाई 

प्रकृति के अनुरूप यांत्रिकी, एम.व्ही. ने थी सिखलाई...

*

कार-वस्त्र-उद्योग-नीतियाँ बना क्रियान्वय करवाया। 

पचसाला योजना बनाकर जग में झन फहराया।। 

कर्मवीर ने कर्मयोग की विजय  दुंदुभि गुंजाई 

प्रकृति के अनुरूप यांत्रिकी, एम.व्ही. ने थी सिखलाई...

*

बापू से आदेश मिल तो कोसी नद की बाढ़ से। 

बचने के उपाय बतलाए, देश बच यम-दाढ़ से ।। 

अंग्रेजों ने भेजी निधि तो ग्रहण न कार थी लौटाई 

प्रकृति के अनुरूप यांत्रिकी, एम.व्ही. ने थी सिखलाई... 

*

सजग रेल यात्राओं में रह टूटी पटरी पहचानी। 

सेतु-खंब की तिरछाई भी, दूर कराने की ठानी।। 

शासकीय सुविधाएँ न लेकर, नैतिकता थी दर्शाई 

प्रकृति के अनुरूप यांत्रिकी, एम.व्ही. ने थी सिखलाई...

*

सीख  एम.व्ही. की भूले हम कच्चे पर्वत खोद दिए। 

सेतु-सुरंगें-मार्ग बनाकर संकट अनगिन खड़े किए।। 

घिरे श्रमिक जन गण विपदा में हुई देश की रुसवाई 

प्रकृति के अनुरूप यांत्रिकी, एम.व्ही. ने थी सिखलाई...

*

अभियंता मिल आज शपथ लें, प्रकृति को माँ समझेंगे। 

तदनुसार निर्माण नए कर गुणवत्ता को परखेँगे ।। 

'सलिल' एम.व्ही. के पथ पर अब चले देश की तरुणाई 

प्रकृति के अनुरूप यांत्रिकी, एम.व्ही. ने थी सिखलाई...

*

संपर्क- ९४२५१८३२४४ 

शनिवार, 16 दिसंबर 2023

विश्वेश्वरैया,

 विश्वेश्वरैया उवाच 

मूल अंग्रेजी, हिंदी अनुवाद आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'

If you buy what you do not need you will need, what you can not buy.   

यदि तुम वह खरीदते हो जिसकी आवश्यकता नहीं है तो तुम्हें उसकी आवश्यकता होगी जो तुम खरीद नहीं सकते।

*

To give real service you must add some thing that can no tbe bought and measured with money.  

सच्ची सेवा करने के लिए तुम्हें  वह करना चाहिए जो खरीदा नहीं जा सकता और रुपए से तौला नहीं जा सकता।
*
Hard work performed in a disciplined mannar in most cases will keep the worker fit and prolong his life.   

अनुशासन सहित किया गया कड़ा परिश्रम करनेवाले को चुस्त और दीर्घजीवी बनाता है।
*
Every man who has become great ows his achievement to incessent life.   

हर वह मनुष्य जो महान बनता है, सतत परिश्रम से उपलब्धि अर्जित करता है।
*
The way to build a nation is the way to build a good citizen. The majority of the citizens should be efficient, of good character and possess a high sence of duty.   
एक श्रेष्ठ राष्ट्र बनाने का मार्ग श्रेष्ठ नागरिक बनाना है। अधिकांश नागरिकों को सक्षम, सच्चरित्र और कर्तव्यनिष्ठ होना चाहिए। 
***  



बुधवार, 27 सितंबर 2023

विश्वेश्वरैया

 प्रेरकप्रसंग

एक ट्रेन द्रुत गति से दौड़ रही थी। ट्रेन अंग्रेजों से भरी हुई थी। उसी ट्रेन के एक डिब्बे में अंग्रेजों के साथ एक भारतीय भी बैठा हुआ था।

डिब्बा अंग्रेजों से खचाखच भरा हुआ था। वे सभी उस भारतीय का मजाक उड़ाते जा रहे थे। कोई कह रहा था, देखो कौन नमूना ट्रेन में बैठ गया, तो कोई उनकी वेश-भूषा देखकर उन्हें गंवार कहकर हँस रहा था।कोई तो इतने गुस्से में था कि ट्रेन को कोसकर चिल्ला रहा था, एक भारतीय को ट्रेन मे चढ़ने क्यों दिया ? इसे डिब्बे से उतारो।

किँतु उस धोती-कुर्ता, काला कोट एवं सिर पर पगड़ी पहने शख्स पर इसका कोई प्रभाव नही पड़ा।वह शांत गम्भीर भाव लिये बैठा था, मानो किसी उधेड़-बुन मे लगा हो।

ट्रेन द्रुत गति से दौड़े जा रही थी औऱ अंग्रेजों का उस भारतीय का उपहास, अपमान भी उसी गति से जारी था।किन्तु यकायक वह शख्स सीट से उठा और जोर से चिल्लाया "ट्रेन रोको"।कोई कुछ समझ पाता उसके पूर्व ही उसने ट्रेन की जंजीर खींच दी।ट्रेन रुक गईं।

अब तो जैसे अंग्रेजों का गुस्सा फूट पड़ा।सभी उसको गालियां दे रहे थे।गंवार, जाहिल जितने भी शब्द शब्दकोश मे थे, बौछार कर रहे थे।किंतु वह शख्स गम्भीर मुद्रा में शांत खड़ा था। मानो उसपर किसी की बात का कोई असर न पड़ रहा हो। उसकी चुप्पी अंग्रेजों का गुस्सा और बढा रही थी।

ट्रेन का गार्ड दौड़ा-दौड़ा आया. कड़क आवाज में पूछा, "किसने ट्रेन रोकी"।

कोई अंग्रेज बोलता उसके पहले ही, वह शख्स बोल उठा:- "मैंने रोकी श्रीमान"।

पागल हो क्या ? पहली बार ट्रेन में बैठे हो ? तुम्हें पता है, अकारण ट्रेन रोकना अपराध हैं:- "गार्ड गुस्से में बोला"

हाँ श्रीमान ! ज्ञात है किंतु मैं ट्रेन न रोकता तो सैकड़ो लोगो की जान चली जाती।

उस शख्स की बात सुनकर सब जोर-जोर से हंसने लगे। किँतु उसने बिना विचलित हुये, पूरे आत्मविश्वास के साथ कहा:- यहाँ से करीब एक फरलाँग की दूरी पर पटरी टूटी हुई हैं।आप चाहे तो चलकर देख सकते है।

गार्ड के साथ वह शख्स और कुछ अंग्रेज सवारी भी साथ चल दी। रास्ते भर भी अंग्रेज उस पर फब्तियां कसने मे कोई कोर-कसर नही रख रहे थे।

किँतु सबकी आँखें उस वक्त फ़टी की फटी रह गई जब वाक़ई , बताई गई दूरी के आस-पास पटरी टूटी हुई थी।नट-बोल्ट खुले हुए थे।अब गार्ड सहित वे सभी चेहरे जो उस भारतीय को गंवार, जाहिल, पागल कह रहे थे।वे उसकी और कौतूहलवश देखने लगे, मानो पूछ रहे हो आपको ये सब इतनी दूरी से कैसे पता चला ??..

गार्ड ने पूछा:- तुम्हें कैसे पता चला , पटरी टूटी हुई हैं ??.

उसने कहा:- श्रीमान लोग ट्रेन में अपने-अपने कार्यो मे व्यस्त थे।उस वक्त मेरा ध्यान ट्रेन की गति पर केंद्रित था। ट्रेन स्वाभाविक गति से चल रही थी। किन्तु अचानक पटरी की कम्पन से उसकी गति में परिवर्तन महसूस हुआ।ऐसा तब होता हैं, जब कुछ दूरी पर पटरी टूटी हुई हो।अतः मैंने बिना क्षण गंवाए, ट्रेन रोकने हेतु जंजीर खींच दी।

गार्ड औऱ वहाँ खड़े अंग्रेज दंग रह गये. गार्ड ने पूछा, इतना बारीक तकनीकी ज्ञान ! आप कोई साधारण व्यक्ति नही लगते।अपना परिचय दीजिये।

शख्स ने बड़ी शालीनता से जवाब दिया:- श्रीमान मैं भारतीय #इंजीनियर #मोक्षगुंडम_विश्वेश्वरैया...

जी हाँ ! वह असाधारण शख्स कोई और नही "डॉ विश्वेश्वरैया" थे।

शुक्रवार, 15 सितंबर 2023

अभियंता दिवस, विश्वेश्वरैया, हिंदी, तकनीकी लेख, गीत, दोहे,

अभियंता दिवस
अभियंता जागो
१. हर नगर तथ अभियांत्रिकी महाविद्यालय/पॉलिटेक्निक में भारतरत्न सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की मूर्ति स्थापित हो।
२. अभियंता कवि सम्मेलनों का आयोजन किया जाए।
३. हर अभियांत्रिकी महाविद्यालय/पॉलिटेक्निक में सर्वोच्च अंक अर्जित करने वाले छात्र को एम् वी पदक प्रदान किया जाए।
४. निर्माण कार्यों में ठेकेदारी के लिए अभियांत्रिकी में डिग्री/डिप्लोमा अनिवार्य हो ताकि कार्यों की गुणवत्ता में सुधार हो।
५. डिग्री/डिप्लोमा अभियंताओं को व्यवसाय आरंभ करने के लिए ब्याजमुक्त कर्ज उपलब्ध कराया जाए तथा निविदा कार्यों में वरीयता दी जाए।
६. साहित्यिक, सांस्कृतिक, सामाजिक क्षेत्र में कार्यरत अभियंताओं को तकनीकी विभागों की परामर्शदात्री समितियों, जांच समितियों आदि में वरीयता दी जाए ताकि वे तकनीकी और सामाजिक दोनों दृष्टिकोणों से मददगार हो सकें।
७. राष्ट्रीय सम्मान तथा उपाधि वितरण में अभियंता संवर्ग की उपेक्षा बंद कर अवदान का सम्यक मूल्याङ्कन कर वरीयता दी जाए।
संजीव वर्मा
सभापति इंजीनियर्स फोरम (भारत)
९४२५१८३२४४
***
अभियंता दिवस (१५ सितंबर) पर विशेष रचना:
हम अभियंता...
*
हम अभियंता!, हम अभियंता!!
मानवता के भाग्य-नियंता...
*
माटी से मूरत गढ़ते हैं,
कंकर को शंकर करते हैं.
वामन से संकल्पित पग धर,
हिमगिरि को बौना करते हैं.
नियति-नटी के शिलालेख पर
अदिख लिखा जो वह पढ़ते हैं.
असफलता का फ्रेम बनाकर,
चित्र सफलता का मढ़ते हैं.
श्रम-कोशिश दो हाथ हमारे-
फिर भविष्य की क्यों हो चिंता...
*
अनिल, अनल, भू, सलिल, गगन हम,
पंचतत्व औजार हमारे.
राष्ट्र, विश्व, मानव-उन्नति हित,
तन, मन, शक्ति, समय, धन वारे.
वर्तमान, गत-आगत नत है,
तकनीकों ने रूप निखारे.
निराकार साकार हो रहे,
अपने सपने सतत सँवारे.
साथ हमारे रहना चाहे,
भू पर उतर स्वयं भगवंता...
*
भवन, सड़क, पुल, यंत्र बनाते,
ऊसर में फसलें उपजाते.
हमीं विश्वकर्मा विधि-वंशज.
मंगल पर पद-चिन्ह बनाते.
प्रकृति-पुत्र हैं, नियति-नटी की,
आँखों से हम आँख मिलाते.
हरि सम हर हर आपद-विपदा,
गरल पचा अमृत बरसाते.
'सलिल' स्नेह नर्मदा निनादित,
ऊर्जा-पुंज अनादि-अनंता...
.***
अभियांत्रिकी:
कण जोड़ती तृण तोड़ती पथ मोड़ती अभियांत्रिकी
बढ़ती चले चढ़ती चले गढ़ती चले अभियांत्रिकी
उगती रहे पलती रहे खिलती रहे अभियांत्रिकी
रचती रहे बसती रहे सजती रहे अभियांत्रिकी।
*
तकनीक:
नवरीत भी, नवगीत भी, संगीत भी तकनीक है
कुछ प्यार है, कुछ हार है, कुछ जीत भी तकनीक है
गणना नयी, रचना नयी, अव्यतीत भी तकनीक है
श्रम-मंत्र है, नव यंत्र है, सुपुनीत भी तकनीक है
*
भारत :
यह देश भारत वर्ष है, इस पर हमें अभिमान है
कर दें सभी मिल देश का, निर्माण नव अभियान है
गुणयुक्त हो अभियांत्रिकी, शर्म-कोशिशों का गान है
परियोजन तृतीमुक्त हो, दुनिया कहे प्रतिमान है
*
(छंद: हरिगीतिका, ११२१२ X ४ = २८)
***
तकनीकी लेख
*इन्स्टीट्यूशन ऑफ़ इंजीनियर्स कोलकाता द्वारा पुरस्कृत द्वितीय श्रेष्ठ तकनीकी लेख*
*वैश्विकता के निकष पर भारतीय यांत्रिकी संरचनाएँ*
अभियंता संजीव वर्मा 'सलिल'
*
भारतीय परिवेश में अभियांत्रिकी संरचनाओं को 'वास्तु' कहा गया है। छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी प्रत्येक संरचना को अपने आपमें स्वतंत्र और पूर्ण व्यक्ति के रूप में 'वास्तु पुरुष' कहा गया है। भारतीय परंपरा प्रकृति को मातृवत पूज्य मानकर उपयोग करती है, पाश्चात्य पद्धति प्रकृति को निष्प्राण पदार्थ मानकर उसका उपभोग (दोहन-शोषण) कर और फेंक देती हैं। भारतीय यांत्रिक संरचनाओं के दो वर्ग वैदिक-पौराणिक काल की संरचनाओं और आधुनिक संरचनाओं के रूप में किये जा सकते हैं और तब उनको वैश्विक गुणवत्ता, उपयोगिता और दीर्घता के मानकों पर परखा जा सकता है।
*शिव की कालजयी अभियांत्रिकी:*
पौराणिक साहित्य में सबसे अधिक समर्थ अभियंता शिव हैं। शिव नागरिक यांत्रिकी (सिविल इंजीनियरिग), पर्यावरण यांत्रिकी, शल्य यांत्रिकी, शस्त्र यांत्रिकी, चिकित्सा यांत्रिकी, के साथ परमाण्विक यांत्रिकी में भी निष्णात हैं। वे इतने समर्थ यंत्री है कि पदार्थ और प्रकृति के मूल स्वभाव को भी परिवर्तित कर सके, प्राकृतिक परिवर्तनों के कारण जनगण की सुनिश्चित मृत्यु को भी टाल सके। उन्हें मृत्युंजय और महाकाल विशेषण प्राप्त हुए।
शिव की अभियांत्रिकी का प्रथम ज्ञात नमूना ६ करोड़ से अधिक वर्ष पूर्व का है जब उन्होंने टैथीज़ महासागर के सूखने से निकली धरा पर मानव सभ्यता के प्रसार हेतु अपरिहार्य मीठे पेय जल प्राप्ति हेतु सर्वोच्च अमरकंटक पर्वत पर दुर्लभ आयुर्वेदिक औषधियों के सघन वन के बीच में अपने निवास स्थान के समीप बांस-कुञ्ज से घिरे सरोवर से प्रबल जलधार निकालकर गुजरात समुद्र तट तक प्रवाहित की जिसे आज सनातन सलिला नर्मदा के नाम से जाना जाता है। यह नर्मदा करोड़ों वर्षों से लेकर अब तक तक मानव सभ्यता केंद्र रही है। नागलोक और गोंडवाना के नाम से यह अंचल पुरातत्व और इतिहास में विख्यात रहा है। नर्मदा को शिवात्मजा, शिवतनया, शिवसुता, शिवप्रिया, शिव स्वेदोद्भवा, शिवंगिनी आदि नाम इसी सन्दर्भ में दिये गये हैं। अमरकंटक में बांस-वन से निर्गमित होने के कारण वंशलोचनी, तीव्र जलप्रवाह से उत्पन्न कलकल ध्वनि के कारण रेवा, शिलाओं को चूर्ण कर रेत बनाने-बहाने के कारण बालुकावाहिनी, सुंदरता तथा आनंद देने के कारण नर्मदा, अकाल से रक्षा करने के कारण वर्मदा, तीव्र गति से बहने के कारण क्षिप्रा, मैदान में मंथर गति के कारण मंदाकिनी, काल से बचने के कारण कालिंदी, स्वास्थ्य प्रदान कर हृष्ट-पुष्ट करने के कारण जगजननी जैसे विशेषण नर्मदा को मिले।
जीवनदायी नर्मदा पर अधिकार के लिए भीषण युद्ध हुए। नाग, ऋक्ष, देव, किन्नर, गन्धर्व, वानर, उलूक दनुज, असुर आदि अनेक सभ्यताएं सदियों तक लड़ती रहीं। अन्य कुशल परमाणुयांत्रिकीविद दैत्यराज त्रिपुर ने परमाण्विक ऊर्जा संपन्न ३ नगर 'त्रिपुरी' बनाकर नर्मदा पर कब्जा किया तो शिव ने परमाण्विक विस्फोट कर उसे नष्ट कर दिया जिससे नि:सृत ऊर्जा ने ज्वालामुखी को जन्म दिया। लावा के जमने से बनी चट्टानें लौह तत्व की अधिकता के कारण जाना हो गयी। यह स्थल लम्हेटाघाट के नाम से ख्यात है। कालांतर में चट्टानों पर धूल-मिट्टी जमने से पर्वत-पहाड़ियाँ और उनके बीच में तालाब बने। जबलपुर से ३२ किलोमीटर दूर ऐसी ही एक पहाड़ी पर ज्वालादेवी मंदिर मूलतः ऐसी ही चट्टान को पूजने से बना। जबलपुर के ५२ तालाब इसी समय बने थे जो अब नष्टप्राय हैं। टेथीज़ महासागर के पूरी तरह सूख्नने और वर्तमान भूगोल के बेबी माउंटेन कहे जानेवाले हिमालय पर्वत के बनने पर शिव ने मानसरोवर को अपना आवास बनाकर भगीरथ के माध्यम से नयी जलधारा प्रवाहित की जिसे गंगा कहा गया।
*महर्षि अगस्त्य के अभियांत्रिकी कार्य:*
महर्षि अगस्त्य अपने समय के कुशल परमाणु शक्ति विशेषज्ञ थे। विंध्याचल पर्वत की ऊँचाई और दुर्गमता उत्तर से दक्षिण जाने के मार्ग में बाधक हुई तो महर्षि ने परमाणु शक्ति का प्रयोग कर पर्वत को ध्वस्त कर मार्ग बनाया। साहित्यिक भाषा में इसे मानवीकरण कर पौराणिक गाथा में लिखा गया कि अपनी ऊंचाई पर गर्व कर विंध्याचल सूर्य का पथ अवरुद्ध करने लगा तो सृष्टि में अंधकार छाने लगा। देवताओं ने महर्षि अगस्त्य से समाधान हेतु प्रार्थना की। महर्षि को देखकर विंध्याचल प्रणाम करने झुका तो महर्षि ने आदेश दिया कि दक्षिण से मेरे लौटने तक ऐसे ही झुके रहना और वह आज तक झुका है।
दस्युओं द्वारा आतंक फैलाकर समुद्र में छिप जाने की घटनाएँ बढ़ने पर अगस्त्य ने परमाणु शक्ति का प्रयोग कर समुद्र का जल सुखाया और राक्षसों का संहार किया। पौराणिक कथा में कहा गया की अगस्त्य ने चुल्लू में समुद्र का जल पी लिया। राक्षसों से आर्य ऋषियों की रक्षा के लिए अगस्त्य ने नर्मदा के दक्षिण में अपना आश्रम (परमाणु अस्त्रागार तथा शोधकेन्द्र) स्थापित किया। किसी समय नर्मदा घाटी के एकछत्र सम्राट रहे डायनासौर राजसौरस नर्मदेंसिस खोज लिए जाने के बाद इस क्षेत्र की प्राचीनता और उक्त कथाएँ अंतर्संबन्धित और प्रामाणिकता होना असंदिग्ध है।
*रामकालीन अभियांत्रिकी:*
रावण द्वारा परमाण्विक शस्त्र विकसित कर देवों तथा मानवों पर अत्याचार किये जाने को सुदृढ़ दुर्ग के रूप में बनाना यांत्रिकी का अद्भुत नमूना था। रावण की सैन्य यांत्रिकी विद्या और कला अद्वितीय थी। स्वयंवर के समय राम ने शिव का एक परमाण्वास्त्र जो जनक के पास था पास था, रावण हस्तगत करना चाहता था नष्ट किया। सीताहरण में प्रयुक्त रथ जो भूमार्ग और नभमार्ग पर चल सकता था वाहन यांत्रिकी की मिसाल था। राम-रावण परमाण्विक युद्ध के समय शस्त्रों से निकले यूरेनियम-थोरियम के कारण सहस्त्रों वर्षों तक लंका दुर्दशा रही जो हिरोशिमा नागासाकी की हुई थी। श्री राम के लिये नल-नील द्वारा लगभग १३ लाख वर्ष पूर्व निर्मित रामेश्वरम सेतु अभियांत्रिकी की अनोखी मिसाल है। सुषेण वैद्य द्वारा बायोमेडिकल इंजीनियरिंग का प्रयोग युद्ध अवधि में प्रतिदिन घायलों का इस तरह उपचार किया गया की वे अगले दिन पुनः युद्ध कर सके।
*कृष्णकालीन अभियांत्रिकी:*
लाक्षाग्रह, इंद्रप्रस्थ तथा द्वारिका कृष्णकाल की अद्वितीय अभियांत्रिकी संरचनाएँ हैं। सुदर्शन चक्र, पाञ्चजन्य शंख, गांडीव धनुष आदि शस्त्र निर्माण कला के श्रेष्ठ उदाहरण हैं। महाभारत पश्चात अश्वत्थामा द्वारा उत्तरा के गर्भस्थ शिशु पर प्रहार, श्रीकृष्ण द्वारा सुरक्षापूर्वक शिशु जन्म कराना बायो मेडिकल इंजीनियरिंग का अद्भुत उदाहरण है। गुजरात में समुद्रतट पर कृष्ण द्वारा बसाई गयी द्वारिका नगरी उनकी मृत्यु पश्चात जलमग्न हो गयी। २००५ से भारतीय नौसेना के सहयोग से इसके अन्वेषण का कार्य प्रगति पर है। वैज्ञानिक स्कूबा डाइविंग से इसके रहस्य जानने में लगे हैं।
*श्रेष्ठ अभियांत्रिकी के ऐतिहासिक उदाहरण
श्रेष्ठ भारतीय संरचनाओं में से कुछ इतनी प्रसिद्ध हुईं कि उनका रूपांतरण कर निर्माण का श्रेय सुनियोजित प्रयास शासकों द्वारा किया गया। उनमें से कुछ निम्न निम्न हैं:
*तेजोमहालय (ताजमहल) आगरा:*
हिन्दू राजा परमार देव द्वारा ११९६ में बनवाया गया तेजोमहालय (शिव के पाँचवे रूप अग्रेश्वर महादेव नाग नाथेश्वर का उपासना गृह तथा राजा का आवास) भवन यांत्रिकी कला का अद्भुत उदाहरण है जिसे विश्व के सात आश्चर्यों में गिना जाता है।
*तेजो महालय के रेखांकन*
१०८ कमल पुष्पों तथा १०८ कलशों से सज्जित संगमरमरी जालियों से सज्जित यह भवन ४०० से अधिक कक्ष तथा तहखाने हैं। इसके गुम्बद निर्माण के समय यह व्यवस्था भी की गयी है कि बूँद-बूँद वर्षा टपकने से शिवलिंग का जलाभिषेक अपने आप होता रहे।
*विष्णु स्तम्भ (क़ुतुब मीनार) दिल्ली
युनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित, ​दक्षिण दिल्ली के विष्णुपद गिरि में राजा विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक प्रख्यात ज्योतिर्विद आचार्य मिहिर की शोध तथा निवासस्थली मिहिरा अवली (महरौली) में ​दिन-रात के प्रतीक 12 त्रिभुजाका​रों - 12 कमल पत्रों ​और 27
नक्षत्रों​ के प्रतीक 27 पैवेलियनों सहित निर्मित 7 मंज़िली ​विश्व की सबसे ऊँची मीनार ​(72.7 मीटर ​, आधार व्यास 14.3 मीटर, शिखर व्यास 2.75 मीटर ,​379 सीढियाँ, निर्माण काल सन 1193 पूर्व) विष्णु ध्वज/स्तंभ (क़ुतुब मीनार) भारतीय अभियांत्रिकी संरचनाओं के श्रेष्ठता का उदाहरण है। इस पर सनातन धर्म के देवों, मांगलिक प्रतीकों तथा संस्कृत उद्धरणों का अंकन है।
​​इन पर मुग़लकाल में समीपस्थ जैन मंदिर तोड़कर उस सामग्री से पत्थर लगाकर आयतें लिखाकर मुग़ल इमारत का रूप देने का प्रयास कुतुबुद्दीन ऐबक व इलततमिश द्वारा 1199-1368 में किया गया । निकट ही ​चन्द्रगुप्त द्वितीय द्वारा विष्णुपद गिरि पर स्थापित और विष्णु भगवान को समर्पित गिरि पर स्थापित और विष्णु भगवान को समर्पित7 मीटर ऊंचा 6 टन वज़न का ध्रुव/गरुड़स्तंभ (लौह स्तंभ) स्तम्भ ​चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने बाल्हिक युद्ध में विजय पश्चात बनवाया। इस पर अंकित लेख में सन 1052 के राजा अंनगपाल द्वितीय का उल्लेख है।तोमर नरेश विग्रह ने इसे खड़ा करवाया जिस पर सैकड़ों वर्षों बाद भी जंग नहीं लगी। फॉस्फोरस मिश्रित लोहे से निर्मित यह स्तंभ भारतीय धात्विक यांत्रिकी की श्रेष्ठता का अनुपम उदाहरण है।आई. आई. टी. कानपूर के प्रो. बालासुब्रमण्यम के अनुसार हाइड्रोजन फॉस्फेट हाइड्रेट (FePO4-H3PO4-4H2O) जंगनिरोधी ​सतह है का निर्माण करता है।
*​जंतर मंतर : Samrat Yantra* सवाई जयसिंह द्वितीयद्वारा 1724 में दिल्ली जयपुर, उज्जैन, मथुरा और वाराणसी में ​निर्मित जंतर मंतर प्राचीन भारत की वैज्ञानिक उन्नति की मिसाल है।यहाँ​ सम्राट यंत्र सूर्य की सहायता से समय और ग्रहों की स्थिति, मिस्र यंत्र वर्ष से सबसे छोटे ओर सबसे बड़े दिन, राम यंत्र और जय प्रकाश यंत्र से खगोलीय पिंडों की गति जानी जा सकती ​है। इनके अतिरिक्त दिल्ली, आगरा, ग्वालियर, जयपुर, चित्तौरगढ़, गोलकुंडा आदि के किले अपनी मजबूती, उपयोगिता और श्रेष्ठता की मिसाल हैं।​
*आधुनिक अभियांत्रिकी संरचनाएँ:*
भारतीय अभियांत्रिकी संरचनाओं को शकों-हूणों और मुगलों के आक्रमणों के कारण पडी। मुगलों ने पुराने निर्माणों को बेरहमी से तोडा और किये। अंग्रेजों ने भारत को एक इकाई बनाने के साथ अपनी प्रशासनिक पकड़ बनाने के लिये किये। स्वतंत्रता के पश्चात सर मोक्षगुंडम विश्वेस्वरैया, डॉ. चन्द्रशेखर वेंकट रमण, डॉ. मेघनाद साहा आदि ने विविध परियोजनाओं को मूर्त किया। भाखरानागल, हीराकुड, नागार्जुन सागर, बरगी, सरदार सरोवर, टिहरी आदि जल परियोजनाओं ने कृषि उत्पादन से भारतीय अभियांत्रिकी को गति दी।
जबलपुर, कानपूर, तिरुचिरापल्ली, शाहजहाँपुर, इटारसी आदि में सीमा सुरक्षा बल हेतु अस्त्र-शास्त्र और सैन्य वाहन गुणवत्ता और मितव्ययिता के साथ बनाने में भारतीय संयंत्र किसी विदेशी संस्थान से पीछे नहीं हैं।
परमाणु ऊर्जा संयंत्र निर्माण, परिचालन और दुर्घटना नियंत्रण में भारत के प्रतिष्ठानों ने विदेशी प्रतिष्ठानों की तुलना में बेहतर काम किया है। कम सञ्चालन व्यय, अधिक रोजगार और उत्पादन के साथ कम दुर्घटनाओं ने परमाणु वैज्ञानिकों को प्रतिशत दिलाई है जिसका श्रेय डॉ. होमी जहांगीर भाभा को जाता है।
भारत की अंतरिक्ष परियोजनाएं और उपग्रह तकनालॉजी दुनिया में श्रेष्ठता, मितव्ययिता और सटीकता के लिए ख्यात हैं। सीमित संसाधनों के बावजूद भारत ने कीर्तिमान स्थापित किये हैं और खुद को प्रमाणित किया है। डॉ. विक्रम साराभाई का योगदान विस्मृत नहीं किया जा सकता।
भारत के अभियंता पूरी दुनिया में अपनी लगन, परिश्रम और योग्यता के लिए जाने जाते हैं । देश में प्रशासनिक सेवाओं की तुलना में वेतन, पदोन्नति, सुविधाएँ और सामाजिक प्रतिष्ठा अत्यल्प होने के बावजूद भारतीय अभियांत्रिकी परियोजनाओं ने कीर्तिमान स्थापित किये हैं।
अग्निपुरुष डॉ. कलाम के नेतृत्व में भारतीय मिसाइल अभियांत्रिकी की विश्व्यापी ख्याति प्राप्त की है।
सारत: भारत की महत्वकांक्षी अभियांत्रिकी संरचनाएँ मेट्रो ट्रैन, दक्षिण रेल, वैष्णव देवी रेल परियोजना हो या बुलेट ट्रैन की भावी योजना,राष्ट्रीय राजमार्ग चतुर्भुज हो या नदियों को जोड़ने की योजना भारतीय अभियंताओं ने हर चुनौती को स्वीकारा है। विश्व के किसी भी देश की तुलना में भारतीय संरचनाएँ और परियोजनाएं श्रेष्ठ सिद्ध हुई हैं।
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संपर्क: अभियंता संजीव वर्मा 'सलिल', विश्व वाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर, ४८२००१.
ई मेल: salil.sanjiv@gmail.com, चलभाष ९४२५१८३२४४, ७९९९५५९६१८।
मुक्तक
नित्य प्रात हो जन्म, सूर्य सम कर्म करें निष्काम भाव से।
संध्या पा संतोष रात्रि में, हो विराम नित नए चाव से।।
आस-प्रयास-हास सँग पग-पग, लक्ष्य श्वास सम हो अभिन्न ही -
मोह न व्यापे, अहं न घेरे, साधु हो सकें प्रिय! स्वभाव से।।
***
दोहे
सलिल न बन्धन बाँधता, बहकर देता खोल।
चाहे चुप रह समझिए, चाहे पीटें ढोल।।
*
अंजुरी भर ले अधर से, लगा बुझा ले प्यास।
मन चाहे पैरों कुचल, युग पा ले संत्रास।।
*
उठे, बरस, बह फिर उठे, यही 'सलिल' की रीत।
दंभ-द्वेष से दूर दे, विमल प्रीत को प्रीत।।
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स्नेह संतुलन साधकर, 'सलिल' धरा को सींच।
बह जाता निज राह पर, सुख से आँखें मींच।।
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क्या पहले क्या बाद में, घुली कुँए में भंग।
गाँव पिए मदमस्त है, कर अपनों से जंग।।
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जो अव्यक्त है, उसी से, बनता है साहित्य।
व्यक्त करे सत-शिव तभी, सुंदर का प्रागट्य।।
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नमन नलिनि को कीजिए, विजय आप हो साथ।
'सलिल' प्रवह सब जगत में, ऊँचा रखकर माथ।।
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हर रेखा विश्वास की, शक-सेना की हार।
सक्सेना विजयी रहे, बाँट स्नेह-सत्कार।
१५-९-२०१६

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हिंदी गीत:

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अपना हर पल है हिन्दीमय एक दिवस क्या खाक मनाएँ?
बोलें-लिखें नित्य अंग्रेजी जो वे एक दिवस जय गाएँ...
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निज भाषा को कहते पिछडी. पर भाषा उन्नत बतलाते.
घरवाली से आँख फेरकर देख पडोसन को ललचाते.
ऐसों की जमात में बोलो, हम कैसे शामिल हो जाएँ?...
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हिंदी है दासों की बोली, अंग्रेजी शासक की भाषा.
जिसकी ऐसी गलत सोच है, उससे क्या पालें हम आशा?
इन जयचंदों की खातिर हिंदीसुत पृथ्वीराज बन जाएँ...
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ध्वनिविज्ञान- नियम हिंदी के शब्द-शब्द में माने जाते.
कुछ लिख, कुछ का कुछ पढने की रीत न हम हिंदी में पाते.
वैज्ञानिक लिपि, उच्चारण भी शब्द-अर्थ में साम्य बताएँ...
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अलंकार, रस, छंद बिम्ब, शक्तियाँ शब्द की बिम्ब अनूठे.
नहीं किसी भाषा में मिलते, दावे करलें चाहे झूठे.
देश-विदेशों में हिन्दीभाषी दिन-प्रतिदिन बढ़ते जाएँ...
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अन्तरिक्ष में संप्रेषण की भाषा हिंदी सबसे उत्तम.
सूक्ष्म और विस्तृत वर्णन में हिंदी है सर्वाधिक सक्षम.
हिंदी भावी जग-वाणी है निज आत्मा में 'सलिल' बसाएँ...
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सोमवार, 25 फ़रवरी 2019

विश्वेश्वरैया

क्या यह संभव है?


भारत रत्न सर विश्वेश्वरैया मैसूर राज्य के दीवान थे। अपने दौरे के बीच किसी गाँव में कैम्प कर अपना काम निबटा रहे थे। कुछ दे बात उन्होंने उठकर अपने सामान में से मोमबत्ती निकाल कर जलाई और पहले से जल रही माँ बत्ती बुझाकर कुछ लिखने लगे। लेखन समाप्त होने पर किसी ने पूछा मोमबत्ती तो पहले से जल रही थी, अपने दूसरी मोमबत्ती जलाकर पहली क्यों बुझाई? पहली मोमबत्ती में ही लिख लेते।

एम्.वी. ने उत्तर दिया पहली मोमबत्ती सरकारी है, उसे जलाकर सरकारी काम कर रहा था। वह ख़तम होने पर घर पर समाचार देने के लिए पत्र लिखना था, वह निजी काम करने में सरकारी मोमबत्ती कैसे जलाता? दूसरी मोमबत्ती मेरी व्यक्तिगत है इसलिए उसे जलाकर व्यक्तिगत कार्य किया। 

आज के समय में क्या यह संभव है?
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संवस