माँ रेवा (नर्मदा) स्तुति
संजीव
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शिवतनया सतपुड़ा-विन्ध्य की बहिना सुगढ़ सलौनी
गोद अमरकंटक की खेलीं, उछल-कूद मृग-छौनी
डिंडोरी में शैशव, मंडला में बचपन मुस्काया
अठखेली कैशोर्य करे, संयम कब मन को भाया?
गौरीघाट किया तप, भेड़ाघाट छलांग लगाई-
रूप देखकर संगमरमरी शिला सिहर सँकुचाई
कलकल धार निनादित हरती थकन, ताप पल भर में
सांकल घाट पधारे शंकर, धारण जागृत करने
पापमुक्त कर ब्रम्हा को ब्रम्हांड घाट में मैया
चली नर्मदापुरम तवा को किया समाहित कैंया
ओंकारेश्वर को पावन कर शूलपाणी को तारा
सोमनाथपूजक सागर ने जल्दी आओ तुम्हें पुकारा
जीवन दे गुर्जर प्रदेश को उत्तर गंग कहायीं
जेठी को करने प्रणाम माँ गंगा तुम तक आयींत्रिपुर बसे-उजड़े शिव का वात्सल्य-क्रोध अवलोका
बाणासुर-दशशीश लड़े चुप रहीं न पल भर टोका
अहंकार कर विन्ध्य उठा, जन-पथ रोका-पछतायाऋषि अगस्त्य ने कद बौनाकर पल में मान घटायावनवासी सिय-राम तुम्हारा आशिष ले बढ़ पायेकृष्ण और पांडव तव तट पर बार-बार थे आयेपरशुराम, भृगु, जाबाली, वाल्मीक हुए आशीषितमंडन मिश्र-भारती गृह में शुक-मैना भी शिक्षित
गौरव-गरिमा अजब-अनूठी जो जाने तर जाएमैया जगततारिणी भव से पल में पार लगाएकर जोड़े 'संजीव' प्रार्थना करे गोद में लेनामृण्मय तन को निज आँचल में शरण अंत में देना
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शुक्रवार, 5 अक्टूबर 2012
माँ रेवा (नर्मदा) स्तुति -संदीप पटेल "दीप"
माँ रेवा (नर्मदा) स्तुति
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