बाल कविता:
आन्या गुडिया प्यारी
संजीव 'सलिल'
*
*
आन्या गुडिया प्यारी,
सब बच्चों से न्यारी।
गुड्डा जो मन भाया,
उससे हाथ मिलाया।
हटा दिया मम्मी ने,
तब दिल था भर आया ।
आन्या रोई-मचली,
मम्मी थी कुछ पिघली।
नया खिलौना ले लो,
आन्या को समझाया ।
आन्या बात न माने,
मन में जिद थी ठाने ।
लगी बहाने आँसू,
सिर पर गगन उठाया ।
आये नानी-नाना,
किया न कोई बहाना ।
मम्मी को समझाया
गुड्डा वही मंगाया ।
मम्मी ने ले धागा ,
कार में गुड्डा टाँगा ।
आन्या झूमी-नाची,
गुड्डा भी मुस्काया ।
फिर महकी फुलवारी,
आन्या गुडिया प्यारी।
*******************
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
कुल पेज दृश्य
gudda लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
gudda लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
शनिवार, 3 जुलाई 2010
बाल कविता: आन्या गुडिया प्यारी संजीव 'सलिल'
चिप्पियाँ Labels:
-Acharya Sanjiv Verma 'Salil',
baal kavita,
gudda,
gudiya,
poem for kids

सदस्यता लें
संदेश (Atom)