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शनिवार, 3 जुलाई 2010

बाल कविता: आन्या गुडिया प्यारी संजीव 'सलिल'

बाल कविता: 

आन्या गुडिया प्यारी

संजीव 'सलिल'
*











*
आन्या गुडिया प्यारी,
सब बच्चों से न्यारी।

गुड्डा जो मन भाया,
उससे हाथ मिलाया।
हटा दिया मम्मी ने,
तब दिल था भर आया ।

आन्या रोई-मचली,
मम्मी थी कुछ पिघली।
नया खिलौना ले लो,
आन्या को समझाया ।

आन्या बात न माने,
मन में जिद थी ठाने ।
लगी बहाने आँसू,
सिर पर गगन उठाया ।

आये नानी-नाना,
किया न कोई बहाना ।
मम्मी को समझाया
गुड्डा वही मंगाया ।

मम्मी ने ले धागा ,
कार में गुड्डा टाँगा ।
आन्या झूमी-नाची,
गुड्डा भी मुस्काया ।

फिर महकी फुलवारी,
आन्या गुडिया प्यारी।
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