क्षणिका:
कविता कैसे बनती है
अर्चना मलैया
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भावना के सागर पर
वेदना की किरण पड़ती है
भावों की भाप
मानस पर जमती है.
धीरे धीरे भाप
मेघ में बदलती है .
मेघ फटते है ,
बरसात होती है,
ये नन्ही-नन्ही बूँदें
कविता होती हैं.
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दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
करें वंदना-प्रार्थना, भजन-कीर्तन नित्य.
सफल साधना हो 'सलिल', रीझे ईश अनित्य..
शांति-राज सुख-चैन हो, हों कृपालु जगदीश.
सत्य सहाय सदा रहे, अंतर्मन पृथ्वीश..
गुप्त चित्र निर्मल रहे, ऐसे ही हों कर्म.
ज्यों की त्यों चादर रखे,निभा'सलिल'निज धर्म.