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सोमवार, 28 जुलाई 2014

नजरिया अपना अपना

नजरिया अपना अपना
*
नन्दिता मेहता

मंजिल की मुझको तलब नहीं
मुझे रास्तों से ही प्यार है
न कुबूल मुझको वो ज़िन्दगी
जिसके सफ़र का सिरा भी है
*
संजीव वर्मा 'सलिल'

रास्तों से न प्यार कर, 
जाते कहीं न रास्ते
करते सफर पग तय सदा, 
बस मंजिलों के वास्ते.
***