कविता::
'बारिश '
शिशिर साराभाई
बारिश आती है, तो कितनी यादें साथ लाती हैसौंधी खुशबू के साथ, कभी अमराई साथ आती हैकभी फूलों से भरे घर के बगीचे की याद आती हैकभी तेरे-मेंरे बीच की प्यारी बात गुनगुनाती हैबारिश आती है, तो कितनी यादें साथ लाती है
कभी माँ की आवाज़ दूर से आती सुनाई पडती हैकभी बूढ़े बाबा की मीठी पुकार लहरा उठती हैकभी बहन की शहद सी हँसी खनखना उठती हैकभी छोटू की याद में आँखें भीग उठती हैबारिश आती है,तो कितनी यादें साथ लाती है
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Shishir Sarabhai <shishirsarabhai@yahoo.com>