कुल पेज दृश्य

एक समुन्दर दो पतवार... लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
एक समुन्दर दो पतवार... लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, 24 अगस्त 2012

गीत: एक समुन्दर दो पतवार... संजीव 'सलिल'

गीत:
एक समुन्दर दो पतवार...
संजीव 'सलिल'
*



एक समुन्दर दो पतवार,
तज मत हिम्मत होगा पार...
*
विधि की रचना एक पहेली,
लगे कठिन, हो सहज सहेली.
कोई रो-पछताकर झेले,
और किसी ने हँसकर झेली.
शांत सलिल के नीचे रहती-
है लहरों की ठेला-ठेली.
गिनने  की कोशिश मत करना
बाधाएँ हैं अपरम्पार...
*
हरि ही बनकर बदरी छाये,
सूरज मंद मगर मुस्काये.
किसकी हिम्मत राह रोक ले-
चमक रास्ता फिर दिखलाये.
उठ पतवार थाम ले नाविक
कोशिश नैया पार लगाये.
तूफानों की फ़िक्र न करना
पायेगा अति शीघ्र किनार...
*
हर विष को अमृत सम पीते.
हर संकट हिम्मत से जीते.
दुनिया उउके गुण गये जो-
पीर सहे चुप आँसू पीते..
उसे शेष पाना है केवल-
जिसके कर हैं खाली-रीते.
और न कोई भी कर सकता
कर रे मन अपना उद्धार...
*
सलिल.संजीव@जीमेल.कॉम
दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.इन
९४२५१८३२४४