दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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रविवार, 12 फ़रवरी 2023
पुस्तक विमोचन, संगीता भारद्वाज, नवनीता चौरसिया, अस्मिता 'शैली' , जयंत भारद्वाज
बुधवार, 8 अप्रैल 2009
साहित्य समाचार : पुस्तक विमोचन
समीर लाल की काव्य कृति 'बिखरे मोती विमोचित
'दिल की गहराई से निकली और ईमानदारी से कही गयी कविता ही असली कविता' - संजीव 'सलिल'
जबलपुर। सनातन सलिला नर्मदा के तट पर स्थित संस्कारधानी के सपूत अंतर्जाल के सुपरिचित ब्लोगर कनाडा निवासी श्री समीर लाल 'उड़नतश्तरी' की सद्य प्रकाशित प्रथम काव्य कृति 'बिखरे मोती' का विमोचन ४ अप्रैल को होटल सत्य अशोका के चाणक्य सभागार में दिव्य नर्मदा पत्रिका के सम्पादक आचार्य संजीव 'सलिल' के कर कमलों से संपन्न हुआ. इस अवसर पर इलाहांबाद से पधारे श्री प्रमेन्द्र 'महाशक्ति' तथा सर्व श्री, ताराचन्द्र गुप्ता प्रतिनिनिधि हरी भूमि दैनिक, , डूबे जी कार्टूनिस्ट, गिरिश बिल्लोरे, संजय तिवारी संजू, बवाल, विवेक रंजन श्रीवास्तव, आनन्द कृष्ण, महेन्द्र मिश्रा 'समयचक्र' सहभागी हुए.

कृति का विमोचन करते हुए श्री सलिल ने 'बिखरे मोती' के कविताओं के वैशित्य पर प्रकाश डालते हुए इन्हें 'बेहद ईमानदारी और अंतरंगता से कही गयी कविता बताया। उन्होंने शाब्दिक लफ्फाजी, भाषिक आडम्बर तथा शिपिक भ्रमजाल को खुद पर हावी न होने देने के लिए कृतिकार श्री समीर को बधाई देते हुए कहा- 'दिल की गहराई से निकली और ईमानदारी से कही गयी कविता ही असली कविता होती है।' कवि समीर द्वारा अपनी माँ को यह कृति समर्पित किये जाने को उन्होंने भारतीय संस्कारों का प्रभाव बताया तथा इस सारस्वत अनुष्ठान की सफलता की कामना की तथा कहा-
'बिखरे मोती' साथ ले, आये लाल-बवाल।
काव्य-सलिल में स्नान कर, हम सब हुए निहाल।
हम सब हुए निहाल, सुहानी साँझ रसमयी।
मिले ह्रदय से ह्रदय, नेह नर्मदा बह गयी।
थे विवेक आनंद गिरीश प्रमेन्द्र तिवारी।
बिन डूबे डूबे महेंद्र सुन रचना प्यारी.
पहली पुस्तक लेखक के लिए एक अद्भुत घटना होती है- समीर लाल
विमोचन के पश्चात् विचार व्यक्त करते हुए श्री समीर ने अपनी माताजी का स्मरण किया। अल्प समयी प्रवास में शीघ्रता से किये गए इस आयोजन के सभी सहयोगियों और सहभागियों से अंतर्जालीय चिटठा जगत में जुड़ने और प्रभावी भूमिका निभाने की अपेक्षा करते हुए समीर जी ने चयनित कविताओं का पाठ किया. श्री सलिल तथा श्री विवेक रंजन माता के विछोह को जीवन का दारुण दुःख बताते हुए समीर जी के साथ माता के विछोह की यादों को साँझा किया. समीर जी ने आकर्षक कलेवर में इस संकलन को प्रकाशित करने के लिए सर्वश्री पंकज सुबीर, रमेश हटीला जी, बैगाणी बंधुओं का विशेष आभार व्यक्त किया।
वातावरण को पुनः सहज बनाते हुए श्री गिरीश बिल्लोरे ने नगर के चिट्ठाकारों के नियमित मिलन का प्रस्ताव किया जिसका सभी ने समर्थन किया। सारगर्भित विचार विनिमय तथा पारिवारिक वातावरण में काव्य पाठ के पश्चात् पारिवारिक वातावरण में रात्रि-भोज के साथ इस आत्मीय कार्यक्रम का समापन हुआ.