एक दोहा
होता रूप अरूप जब, आत्म बने विश्वात्म.
कर शब्दाक्षर वन्दना, देख सकें परमात्म..
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होता रूप अरूप जब, आत्म बने विश्वात्म.
कर शब्दाक्षर वन्दना, देख सकें परमात्म..
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दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.