नवगीत महोत्सव १७-१८ नवंबर २०१८ लखनऊ। हिंदी साहित्य के लिए अभिव्यक्ति विश्वम और पूर्णिमा जी का अप्रतिम योगदान। नवगीत के विविध पहलुओं पर विशद-व्यापक चर्चाएँ, समीक्षाएँ और नवगीत पाठ। उत्तम व्यवस्था और अपनत्व अर्थात सोने में सुहागा। अगले आयोजन के लिए नव योजना, नव संकल्प और नव साथियों से जुड़ाव का प्रयास रहेगा ही। बाएं से खड़े हुए- सर्व श्री / श्रीमती बसंत शर्मा, डॉ.दिनेश त्रिपाठी, मंजुल मिश्रा मंज़र, भूपेंद्र सिंह, ज्ञानप्रकाश 'आकुल', भावना तिवारी, शीला पांडे, संध्या सिंह, त्रिलोचना कौर, डॉ. प्रदीप शुक्ल, अनिल वर्मा। बैठे हुए- सर्व श्री / श्रीमती अविनाश ब्योहार, पंकज परिमल, आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल, सुभाष वशिष्ठ, डॉ. यायावर, पंकज परिमल के पिता श्री, पूर्णिमा जी।
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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मंगलवार, 20 नवंबर 2018
नवगीत महोत्सव लखनऊ २०१८
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