अहिंदुओं को हिन्दू धर्म अपनाने पर कायस्थ समाज में प्रवेश मिलेगा: आचार्य संजीव 'सलिल'
इस दुरभिसंधि के प्रति सजग होते हुए मसिजीवी कायस्थ समाज ने शंखनाद किया है कि अहिंदू समाजों में गए सभी बंधुओं को वापिस आने पर हिन्दू कायस्थ समाज में ससम्मान ग्रहण किया जाएगा। कायस्थ समाज एसे सभी गैर सनातनियों तथा अंतरजातीय विवाह के कारण बहिष्कृत युवाओं को पुनः सनातन धर्म ग्रहण कराएगा और उनके मूल वर्ण (ब्राम्हण, क्षत्रीय, वैश्य या शूद्र) में उन्हें स्थान न मिले तो उन्हें कायस्थ समाज में सहभागिता देगा।
इस प्रस्ताव के अनुसार कोई भी मनुष्य जो अन्य किसी भी धर्म से आकर सनातन धर्म अपनाना चाहता है उसे कायस्थ समाज अपनाएगा। इस हेतु आवेदक सपरिवार प्रतिदिन ध्यान-उपासना तथा योग करने, गायत्री मन्त्र का जाप करने, हर माह सत्य नारायण की कथा करने, सकल प्राणिमात्र में आत्मा के रूप में परमात्मा का अंश विद्यमान होने के कारण किसी भी आधार पर भेद-भाव न करने, देश तथा मानवता के प्रति निष्ठावान होने, पर्यावरण प्रदूषण कम करने, सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने तथा कायस्थ समाज की गतिविधियों में यथा शक्ति सहभागी होने का संकल्प पत्र सहित लिखित आवेदन प्रस्तुत कर चित्रगुप्त यज्ञ, गायत्री मन्त्र का जाप तथा सत्यनारायण की कथा कर चित्रगुप्त जी के चरणामृत का पान तथा बिरादरी के साथ सपरिवार भोज करेगा। उसे समस्त मानव मात्र को एक समान ईश्वरीय संतान मानने और धर्म, जाति, भाषा, भूषा, लिंग, क्षेत्र, देश आदि किसी भी अधर पर भेद-भाव न करने और हर एक को अपनी योग्यता वृद्धि का समान अवसर और योग्यता के अनुसार जीविकोपार्जन के साधन उपलब्ध कराने के सिद्धांत से लिखित सहमति के पश्चात् कायस्थ समाज में सम्मिलित किया जाएगा।
वर्तमान में चाहने पर भी कोई विधर्मी हिन्दू नहीं बन पाता क्योंकि हिन्दू समाज का कोई वर्ग उन्हें नहीं अपनाता। अब बुद्धिजीवी कायस्थ समाज ने यह क्रांतिकारी कदम उठाकर सबके लिए सनातन धर्म का दरवाज़ा खोल दिया है।कूप मंडूक सनातन धर्मी अपने आँख और कान बंद कर अपनी ही बहू-बेटियों को विधर्मी होता देख रहे हैं। जयपुर में राष्ट्रीय कायस्थ महा परिषद् की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की आसंदी से मैंने इस कुचक्र को रोकने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया जिसे सर्व सम्मति से स्वीकार किया गया। इस प्रस्ताव के अनुसार कोई भी मनुष्य जो अन्य कोई भी धर्म से आकर सनातन धर्म अपनाना चाहता है उसे कायस्थ समाज अपनाएगा तथा एक धार्मिक क्रिया संपन्न कराकर समस्त मानव मात्र को एक समान ईश्वरीय संतान मानने और धर्म, जाति, भाषा, भूषा, लिंग, क्षेत्र, देश आदि किसी भी अधर पर भेद-भाव न करने और हर एक को अपनी योग्यता वृद्धि का समान अवसर और योग्यता के अनुसार जीविकोपार्जन के साधन उपलब्ध कराने के सिद्धांत से लिखित सहमति के पश्चात् कायस्थ बनाया जाएगा।
वर्तमान में चाहने पर भी विधर्मी हिन्दू नहीं बन पाता क्योंकि हिन्दू समाज का कोई वर्ग उन्हें नहीं अपनाता। अब बुद्धिजीवी कायस्थ समाज ने यह क्रांतिकारी कदम उठाकर सबके लिए सनातन धर्म का दरवाज़ा खोल दिया है।
आरक्षण समाप्त हो - सचिन खरे
आरक्षण संविधान प्रदत्त समानाधिकार पर कुठाराघात कर हमारे देश की एकता तथा सामाजिक सद्भाव को दीमक की तरह खोखला करता जा रहा है। जयपुर में राष्ट्रीय कायस्थ महापरिषद् की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में राष्ट्रीय कायस्थ मह्परिषद के राजस्थान प्रान्त के संयोजक सचिन खरे ने इस कुचक्र को रोकने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया जिसे सर्व सम्मति से स्वीकार किया गया। पारित प्रस्ताव के अनुसार हर व्यक्ति को योग्यता विकास के समान अवसर मिलना चाहिए तथा योग्यतानुसार आजीविका का समान अवसर मिलें। किसी भी आधार पर भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। आरक्षण अपरिहार्य माना जाने पर अनारक्षित वर्गों को अनारक्षित स्थान इस तरह आवंटित किये जाएँ कि अधिक जनसँख्या वृद्धि दर वाले वर्ग को कम तथा कम जनसँख्या वृद्धि वाले वर्ग को अधिक स्थान मिलें। आरक्षण प्राप्त वर्गों को भी जनसँख्या वृद्धि दर के व्युत्क्रमानुपात में आरक्षण प्रतिशत दिया जाए ताकि जन संख्या वृद्धि की मानसिकता हतोत्साहित हो।
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आचार्य संजीव 'सलिल'
salil.sanjiv@gmail.com
divyanarmada.blogspot.com
0761 2411131 / 9425183244
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