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शनिवार, 11 जनवरी 2020

लावणी - पुस्तक मेला

लावणी
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छंद विधान: यति १६-१४, समपदांती द्विपदिक मात्रिक छंद, पदांत नियम मुक्त।
पुस्तक मेले में पुस्तक पर, पाठक-क्रेता गायब हैं।
थानेदार प्रकाशक कड़ियल, विक्रेतागण नायब हैं।।
जहाँ भीड़ है वहाँ विमोचन, फोटो ताली माला है।
इंची भर मुस्कान अधर पर, भाषण घंटों वाला है।।
इधर-उधर ताके श्रोता, मीठा-नमकीन कहाँ कितना?
जितना मिलना माल मुफ्त का, उतना ही हमको सुनना।।
फोटो-सेल्फी सुंदरियों के, साथ खिंचा लो चिपक-चिपक।
गुस्सा हो तो सॉरी कह दो, खोज अन्य को बिना हिचक।।
मुफ्त किताबें लो झोला भर, मगर खरीदो एक नहीं।
जो पढ़ने को कहे समझ लो, कतई इरादे नेक नहीं।।
हुई देश में व्याप्त आजकल, लिख-छपने की बीमारी।
बने मियाँ मिट्ठू आपन मुँह, कविगण करते झखमारी।।
खुद अभिनंदन पत्र लिखा लो, ले मोमेंटो श्रीफल शाल।
स्वल्पाहार हरिद्रा रोली, भूल न जाना मल थाल।।
करतल ध्वनि कर चित्र खींच ले, छपवा दे अख़बारों में।
वह फोटोग्राफर खरीद लो, सज सोलह सिंगारों में।।
जिम्मेदारी झोंक भाड़ में, भूलो घर की चिंता फ़िक्र।
धन्य हुए दो ताली पाकर, तरे खबर में पाकर ज़िक्र।।
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११.१.२०१९

शुक्रवार, 13 फ़रवरी 2015

विश्व पुस्तक मेला दिल्ली : नवगीत  पर संवाद 
सूचना-
पुस्तक मेले के इतिहास में पहली बार- १७ फरवरी, २०१५ (मंगलवार), समय - सुबह ११ से १२ बजे के बीच पुस्तक मेले के हॉल सख्या - आठ में नवगीत पर एक विशेष परिचर्चा / संवाद '' समाज का प्रतिबिम्ब हैं नवगीत'' का आयोजन किया गया है। 
इसमें भाग लेने के लिये प्रमुख रूप से ओमप्रकाश तिवारी, डॉ.जगदीश व्योम, डॉ. धनंजय सिंह, आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' एवं सौरभ पांडेय उपस्थित रहेंगे। 
दिल्ली के आसपास रहने वाले तथा पुस्तक मेले के लिये दिल्ली पहुँचे सभी सदस्यों से अनुरोध है कि वे उपरोक्त समय पर पहुँचकर परिचर्चा में भाग लें और इसका लाभ उठाएँ। चर्चा में सहभागिता हेतु १०.१५ तक प्रगति मैदान में पहुच जाएँ