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बुधवार, 9 सितंबर 2020

मालवी हाइकु ललिता रावल

मालवी हाइकु
ललिता रावल
*
बिलपत्तर
ठूँठ सावन माय
भोला रिझाय
*
इंद्रधनुष
छटा बिखेरीरियो
अकास माय
*
पँखेरू उड्या
बसेरा पे लौटीर्या
अकास गूंज्यो
*
पूरबी हवा
पच्छम आड़ी लइ
हिलोर लइ
*
रमा-झमा से
सावन सेरो लायो
भादो ग़ैरायो
*
लीलो आकास
सफेद हुइ गया
बूड़ो हुइ ग्यो
*
जेठ को घाम
तपावे आखो गाम
असाड़ पाछे
*

सोमवार, 7 सितंबर 2020

मालवी हाइकु ललिता रावल

मालवी हाइकु
ललिता रावल
*
बिलपत्तर
ठूँठ सावन माय
भोला रिझाय
*
इंद्रधनुष
छटा बिखेरीरियो
अकास माय
*
पँखेरू उड्या
बसेरा पे लौटीर्या
अकास गूंज्यो
*
पूरबी हवा
पच्छम आड़ी लइ
हिलोर लइ
*
रमा-झमा से
सावन सेरो लायो
भादो ग़ैरायो
*
लीलो आकास
सफेद हुइ गया
बूड़ो हुइ ग्यो
*
जेठ को घाम
तपावे आखो गाम
असाड़ पाछे
***
  

शनिवार, 6 जून 2009

मालवी गीत ललिता रावल, इंदौर

मालवी गीत
ललिता रावल, इन्दौर


फाग घणों पोमायो हे

कली कचनार कन्हेर चटकी,
फाग घणों पोमायो हे।

मउआ ढाक कांस फुल्या,
बसंत्या अगवानी में।

गाँव गली घर अंगणे
पवन्यो बौरायो हे।

आम्बु-जाम्बु मोर पाक्या
रात सुवाली सजई हे।

भोलू की थकान भागी,
रामी रंग पकावे हे।

गोकुल-बिरज धूम मचई ने,
इना मांडवे आयो हे।

नानो बिरजू गुलाल उडावे
साला साली साते हे।

माय सासू होली गावे
जवई ने बखाने हे।

चार दन की आनी-जानी
आनंद मनव बाटी चूटी

'ललि' असी बोरई गई
भरी जमात में गावे हे।

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