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मंगलवार, 7 मई 2013

hindi poem: shiv rajiv shrivastav





आज की कविता 
हे शिव!
राज राजीव कुमार श्रीवास्तव
*
हे शिव! ये तुम्हीं तो हो!
आँधियों की तेज़ आवाज़ कहती है कि तुम हो,
पेड़ों का झूमना और पर्वतों का अडिग रहना,
लहरों का उठना और झरनों का गिरना,
धरती की कोख का बीज और माँ की कोख का अंश,
फूलों की महक और तितली के रंग,
सूरज का उगना, ढलना और तारों का चमकना,
बारिश की बूँदें और धरती का सोंधापन,
चमकते और पिघलते हिमशिखर,
दूब पर टिके पावन ओस के कण,
घंटों की मधुर ध्वनि और ॐ का स्वर,
चहचहाते पंछी और उड़ते बादल,
सोना उगलती धरती और चांदी बहाते पर्वत,
साँसों का संगीत, सब कहते हैं कि तुम हो,
झूमते, गाते, महकते, खिलखिलाते,
चमकते, बोलते और सिर सहलाते,
हे शिव! ये तुम्हीं तो हो!

रविवार, 29 जुलाई 2012

आज की कविता: हम तो जो हैं वही रहेंगे --रेखा राजवंशी

आज की कविता 

हम तो जो हैं वही रहेंगे




रेखा राजवंशी
सिडनी, ऑस्ट्रेलिया
 
***
 
 चाहे हमको साहिल समझो
या फिर हमको कातिल समझो
या आवारा,
 जाहिल  समझो
समझ तुम्हारी, सोच तुम्हारी
हम तो जो हैं वही रहेंगे
फिर भी अपनी बात कहेंगे

चाहे हमको पागल समझो
या फिर बीत गया कल समझो
या आने वाला पल समझो
समझ तुम्हारी, सोच तुम्हारी
हम तो जो हैं वही रहेंगे
फिर भी अपनी बात कहेंगे

चाहे हमको मंजिल समझो
या फिर हमको महफ़िल समझो
या हमको आशिक दिल समझो
समझ तुम्हारी, सोच तुम्हारी
हम तो जो हैं वही रहेंगे
फिर भी अपनी बात कहेंगे

***