स्वागत है नव अतिथि तुम्हारा...

मैथिल पुत्री कुसुम ठाकुर के नव जात प्रपौत्र

*
नव किसलय जैसे कोमल हे!, हो आशा अरमान.
तम के ऊपर विजय उजाले की जैसे गतिमान..
नहीं थका इंसां से ईश्वर, दी निर्मल मुस्कान.
रसनिधि हो, रसलीन रहो तुम, हो पाओ रसखान..
*

मैथिल पुत्री कुसुम ठाकुर के नव जात प्रपौत्र

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नव किसलय जैसे कोमल हे!, हो आशा अरमान.
तम के ऊपर विजय उजाले की जैसे गतिमान..
नहीं थका इंसां से ईश्वर, दी निर्मल मुस्कान.
रसनिधि हो, रसलीन रहो तुम, हो पाओ रसखान..
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