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रविवार, 26 जनवरी 2014

26 january 2014: neena sharma


२६ जनवरी २०१४
नीना शर्मा

गणतन्त्र दिवस (भारत)गणतन्त्र दिवस भारत का एक राष्ट्रीय पर्व जो प्रति वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता है। इसी दिन सन १९५० को भारत का संविधान लागू किया गया था।
इतिहास...सन 1929 के दिसंबर में लाहौर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन पंडित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में हुआ जिसमें प्रस्ताव पारित कर इस बात की घोषणा की गई कि यदि अंग्रेज सरकार 26 जनवरी, 1930 तक भारत को उपनिवेश का पद (डोमीनियन स्टेटस) नहीं प्रदान करेगी तो भारत अपने को पूर्ण स्वतंत्र घोषित कर देगा। 26 जनवरी, 1930 तक जब अंग्रेज सरकार ने कुछ नहीं किया तब कांग्रेस ने उस दिन भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के निश्चय की घोषणा की और अपना सक्रिय आंदोलन आरंभ किया। उस दिन से 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त होने तक 26 जनवरी स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता रहा। तदनंतर स्वतंत्रता प्राप्ति के वास्तविक दिन 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में स्वीकार किया गया। 26 जनवरी का महत्व बनाए रखने के लिए विधान निर्मात्री सभा (कांस्टीट्यूएंट असेंबली) द्वारा स्वीकृत संविधान में भारत के गणतंत्र स्वरूप को मान्यता प्रदान की गई।
गणतंत्र दिवस समारोह...

गणतंत्र दिवस समारोह 26 जनवरी को भारत के राष्ट्रपति द्वारा भारतीय राष्ट्र ध्वज को फहराया जाता हैं और इसके बाद सामूहिक रूप में खड़े होकर राष्ट्रगान गाया जाता है। गणतंत्र दिवस पूरे देश में विशेष रूप से राजधानी दिल्ली में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है | इस अवसर के महत्व को चिह्नित करने के लिए हर साल एक भव्य परेड इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन (राष्ट्रपति के निवास) तक राजपथ पर राजधानी, नई दिल्ली में आयोजित किया जाता है| इस भव्य परेड में भारतीय सेना के विभिन्न रेजिमेंट ,वायुसेना, नौसेना आदि सभी भाग लेते हैं| इस समारोह में भाग लेने के लिए देश के सभी हिस्सों से राष्ट्रीय कडेट कोर व विभिन्न विद्यालयों से बच्चे आते हैं , समारोह में भाग लेना एक सम्मान की बात होती है |परेड प्रारंभ करते हुए प्रधानमंत्री अमर जवान ज्योति (सैनिकों के लिए एक स्मारक) जो राजपथ के एक छोर पर इंडिया गेट पर स्थित है पर पुष्प माला डालते हैं| इसके बाद शहीद सैनिकों की स्मृति में दो मिनट मौन रखा जाता है | यह देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए लड़े युद्ध व स्वतंत्रता आंदोलन में देश के लिए बलिदान देने वाले शहीदों के बलिदान का एक स्मारक है | इसके बाद प्रधानमंत्री, अन्य व्यक्तियों के साथ राजपथ पर स्थित मंच तक आते हैं, राष्ट्रपति बाद में अवसर के मुख्य अतिथि के साथ आते हैं |

परेड में विभिन्न राज्यों से चलित शानदार प्रदर्शिनी भी होती है ,प्रदर्शिनी में हर राज्य के लोगों की विशेषता, उनके लोक गीत व कला का दृश्यचित्र प्रस्तुत किया जाता है| हर प्रदर्शिनी भारत की विविधता व सांस्कृतिक समृद्धि प्रदर्शित करती है | परेड और जलूस राष्ट्रीय टेलीविजन पर प्रसारित होता है और देश के हर कोने में करोड़ों दर्शकों के द्वारा देखा जाता है|

भारत के राष्ट्रपति व प्रधान मंत्री द्वारा दिया गये भाषण को सुनने के लाखो कि भीड़ लाल किले पर एकत्रित होती है।
ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 26वॉ दिन है। साल मे अभी और 339 दिन बाकी है .

भारत में गणतन्त्र दिवस
ऑस्ट्रेलिया में ऑस्ट्रेलिया दिवस
प्रमुख घटनाएँ:
१७८८- ऑस्ट्रेलिया ब्रिटेन का उपनिवेश बना।
1905- दुनिया का सबसे बड़ा हीरा ..क्यूलियन.. दक्षिण अफ्रीका के प्रिटोरिया में मिला। इसका वजन 3106 कैरेट था।
1924- पेट्रोग्राद (सेंट पीट्सबर्ग) का नाम बदलकर लेनिनग्राद कर दिया गया।
1930- भारत में पहली बार स्वराज दिवस मनाया गया।
1931- सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान ब्रिटिश सरकार से बातचीत के लिए महात्मा गांधी रिहा किये गए।
1950-
भारत एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित हुआ और भारत का संविधान लागू हुआ।
स्वतंत्र भारत के पहले और अंतिम गवर्नर जनरल चक्रवर्ति राजगोपालाचारी ने अपने पद से त्यागपत्र दिया और डा. राजेंद्र प्रसाद देश के पहले राष्ट्रपति बने।
उत्तर प्रदेश के सारनाथ स्थित अशोक स्तंभ के शेरों को राष्ट्रीय प्रतीक की मान्यता मिली।
वर्ष 1937 में गठित भारतीय संघीय न्यायालय का नाम सर्वोच्च न्यायालय कर दिया गया
भारत का युद्ध पोत एचएमआईएस दिल्ली आईएनएस दिल्ली के रूप में बदल दिया गया।
1972- युध्द में शहीद सैनिकों की याद में दिल्ली के इंडिया गेट पर अमर जवान योति स्थापित।
१९८० - इसरायल और मिस्र के बीच राजनयिक संबंध फ़िर से बहाल ।
1981- पूर्वोत्तर भारत में हवाई यातायात सुगम बनाने को ध्यान में रखते हुए हवाई सेवा ..वायुदूत.. शुरू।
1982- पर्यटकों को विलासितापूर्ण रेल यात्रा का आनंद दिलाने के लिए भारतीय रेल ने ..पैलेस आन व्हील्स सेवा शुरू की।
1994- रोमानिया ने उत्तर अटलांटिक संधि संगठन .नाटो. के साथ सैन्य सहयोग समझौते पर दस्तखत किए।
1996- अमरीकी सीनेट ने रूस के साथ परमाणु हथियार और मिसाइल की होड़ कम करने संबंधी समझौते स्टार्ट..2 को मंजूरी दी।
2001- गुजरात के भुज में 7.7 तीव्रता का भीषण भूकंप। इस भूकंप में लाखों लोग मारे गए थे।
2003- अमरीका की मार्टिना नवरातिलोवा टेनिस का ग्रैंड स्लैम खिताब जीतने वाली सबसे उम्रदराज खिलाड़ी बनी।
2006- फिलीस्तीन में विपक्षी हमास ने लंबे समय से सत्तारुढ़ संगठन फतह को चुनाव में शिकस्त दी।
2010-
फ्रांस की संसद के 32 सांसदों के पैनल द्वारा छह महीने तक विचार-विमर्श के बाद तैयार संसद की एक रिपोर्ट में मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले बुर्के को फ्रांसीसी मूल्यों के खिलाफ बताया गया और स्कूल, अस्पताल, सार्वजनिक परिवहन सेवाओं और सरकारी दफ्तरों में बुर्के के प्रयोग पर पूर्णतः पाबंदी लगाने की शिफारिश की।
भारत ने मीरपुर में बांग्लादेश से दूसरा टेस्ट 10 विकेट से जीतते हुए सीरीज़ पर 2-0 से कब्जा कर लिया।
भारत की राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने पद्म पुरस्कार पाने वाली 130 व्यक्तियों के नामों की घोषणा की। इनमें रंगमंच जगत की किंवदंति इब्राहिम अल्काजी और जोहरा सहगल, मशहूर अदाकार रेखा और आमिर खान, ऑस्कर विजेता ए़ आर रहमान और रसूल पोकुटटी, फार्मूला़ रेसर नारायण कार्तिकेयन, क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग, बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल और क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के गुरु रमाकांत आचरेकर शामिल हैं।

शनिवार, 25 जनवरी 2014

gantantra divas -sanjiv

ध्वजा तिरंगी...

संजीव 'सलिल'
*
ध्वजा तिरंगी मात्र न झंडा
जन गण का अभिमान है.
कभी न किंचित झुकने देंगे,
बस इतना अरमान है...
*
वीर शहीदों के वारिस हम,
जान हथेली पर लेकर
बलिदानों का पन्थ गहेंगे,
राष्ट्र-शत्रु की बलि देकर.
सारे जग को दिखला देंगे
भारत देश महान है...
*
रिश्वत-दुराचार दानव को,
अनुशासन से मारेंगे.
पौधारोपण, जल-संरक्षण,
जीवन नया निखारेंगे.
श्रम-कौशल को मिले प्रतिष्ठा,
कण-कण में भगवान है...
*
हिंदी ही होगी जग-वाणी,
यह अपना संकल्प है.
'सलिल' योग्यता अवसर पाए,
दूजा नहीं विकल्प है.
सारी दुनिया कहे हर्ष से,
भारत स्वर्ग समान है...
****

gantantra divas par... rakesh khandelwal

गणतंत्र दिवस पर  विशेष रचना




राकेश खंडेलवाल

भोजपत्रों पर लिखीं गणतंत्र की कितनी कथायें
आप कहिये ! हम उन्हें इक इक पढ़ें या भूल जायें
 
आ गये परछाइयों के अनुसरण में कक्ष चौंसठ
पांव चलते, वर्ष पर शतरंज के खानों सरीखे
हर बरस देता रहा है मात, शह बोले बिना ही
जो रहा इतिहास अब तक, वो भविष्यत आज दीखे
 
एक टूटे तानपूरे को कहो कब तक बजायें
आप कहिये ! हम उन्हें इक इक पढ़ें या भूल जायें
 
रंग विरसे में मिले थे जो सुनहरे औ’ रुपहरे
हो चुके हैं राज्गृह की साज में सब खर्च सारे
अल्पना का एक गेरू और खड़िया हाथ में ले
काटते हैं ज़िन्दगी को एक भ्रम के ही सहारे
 
कल नई आशा फ़लेगी ? स्वप्न कितने दिन सजायें
आप कहिये ! हम उन्हें इक इक पढ़ें या भूल जायें
 
घाटियों के पार, वादा था किरन के देश वाला
झुक चुकी है अब कमर भी,दुर्गमों को पार करते
पर सभी वादे रहे हैं मरुथली इक कल्पना से
रोपने से पूर्व इस वन में रहे हैं पात झरते
 
बेसुरे स्वर एक ही धुन और कितना गुनगुनायें
आप कहिये ! हम उन्हें इक इक पढ़ें या भूल जायें
 
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शनिवार, 26 जनवरी 2013

गणतंत्र दिवस पर विशेष गीत: ध्वजा तिरंगी... संजीव 'सलिल'

गणतंत्र दिवस पर विशेष गीत:
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ध्वजा तिरंगी...

संजीव 'सलिल'
*
ध्वजा तिरंगी मात्र न झंडा
जन गण का अभिमान है.
कभी न किंचित झुकने देंगे,
बस इतना अरमान है...
*
वीर शहीदों के वारिस हम,
जान हथेली पर लेकर
बलिदानों का पन्थ गहेंगे,
राष्ट्र-शत्रु की बलि देकर.
सरे जग को दिखला देंगे
भारत देश महान है...
*
रिश्वत-दुराचार दानव को,
अनुशासन से मारेंगे.
पौधारोपण, जल-संरक्षण,
जीवन नया निखारेंगे.
श्रम-कौशल को मिले प्रतिष्ठा,
कण-कण में भगवान है...
*
हिंदी ही होगी जग-वाणी,
यह अपना संकल्प है.
'सलिल' योग्यता अवसर पाए,
दूजा नहीं विकल्प है.
सारी दुनिया कहे हर्ष से,
भारत स्वर्ग समान है...
****

गणतंत्र दिवस पर विशेष गीत: लोकतंत्र की वर्ष गांठ पर संजीव 'सलिल'

गणतंत्र दिवस पर विशेष गीत: 
लोकतंत्र की वर्ष गांठ पर
संजीव 'सलिल'
*
लोकतंत्र की वर्ष गांठ पर
भारत माता का वंदन...

हम सब माता की संतानें,
नभ पर ध्वज फहराएंगे.
कोटि-कोटि कंठों से मिलकर
'जन गण मन' गुन्जायेंगे.
'झंडा ऊंचा रहे हमारा',
'वन्दे मातरम' गायेंगे.
वीर शहीदों के माथे पर
शोभित हो अक्षत-चन्दन...

नेता नहीं, नागरिक बनकर
करें देश का नव निर्माण.
लगन-परिश्रम, त्याग-समर्पण,
पत्थर में भी फूंकें प्राण.
खेत-कारखाने, मन-मन्दिर,
स्नेह भाव से हों संप्राण.
स्नेह-'सलिल' से मरुथल में भी
हरिया दें हम नन्दन वन... 

दूर करेंगे भेद-भाव मिल,
सबको अवसर मिलें समान.
शीघ्र और सस्ता होगा अब
सतत न्याय का सच्चा दान.
जो भी दुश्मन है भारत का
पहुंचा देंगे उसे मसान.
सारी दुनिया लोहा मने
विश्व-शांति का हो मंचन...

***

शुक्रवार, 25 जनवरी 2013

गणतंत्र दिवस पर विशेष : गीत, कविता, लघु कथा, नव गीत

गणतंत्र दिवस पर विशेष :
गीत

सारा का सारा हिंदी है

आचार्य संजीव 'सलिल'
*
जो कुछ भी इस देश में है, सारा का सारा हिंदी है.

हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्जवल बिंदी है....
*
मणिपुरी, कथकली, भरतनाट्यम, कुचपुडी, गरबा अपना है.

लेजिम, भंगड़ा, राई, डांडिया हर नूपुर का सपना है.

गंगा, यमुना, कावेरी, नर्मदा, चनाब, सोन, चम्बल,

ब्रम्हपुत्र, झेलम, रावी अठखेली करती हैं प्रति पल.

लहर-लहर जयगान गुंजाये, हिंद में है और हिंदी है.

हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्जवल बिंदी है....
*
मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, गिरजा सबमें प्रभु एक समान.

प्यार लुटाओ जितना, उतना पाओ औरों से सम्मान.

स्नेह-सलिल में नित्य नहाओ निर्माणों के दीप जला.

बाधा, संकट, संघर्षों को गले लगाओ नित मुस्का.

पवन, वन्हि, जल, थल, नभ पावन, कण-कण तीरथ, हिंदी है.

हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्जवल बिंदी है....
*
जै-जैवन्ती, भीमपलासी, मालकौंस, ठुमरी, गांधार.

गजल, गीत, कविता, छंदों से छलक रहा है प्यार अपार.

अरावली, सतपुड़ा , हिमालय, मैकल, विन्ध्य, उत्तुंग शिखर.

ठहरे-ठहरे गाँव हमारे, आपाधापी लिए शहर.

कुटी, महल, अँगना, चौबारा, हर घर-द्वारा हिंदी है.

हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्जवल बिंदी है....
*
सरसों, मका, बाजरा, चाँवल, गेहूँ, अरहर, मूँग, चना.

झुका किसी का मस्तक नीचे, 'सलिल' किसी का शीश तना.

कीर्तन, प्रेयर, सबद, प्रार्थना, बाईबिल, गीता, ग्रंथ, कुरान.

गौतम, गाँधी, नानक, अकबर, महावीर, शिव, राम महान.

रास कृष्ण का, तांडव शिव का, लास्य-हास्य सब हिंदी है.

हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्जवल बिंदी है....
*
ट्राम्बे, भाखरा, भेल, भिलाई, हरिकोटा, पोकरण रतन.

आर्यभट्ट, एपल, रोहिणी के पीछे अगणित छिपे जतन.

शिवा, प्रताप, सुभाष, भगत, रैदास, कबीरा, मीरा, सूर.

तुलसी, रामकृष्ण, रामानुज, माँ, अरविन्द खुदाई नूर.
 
विवेक, रवींद्र, विनोबा, ओशो, जयप्रकाश भी हिंदी है.

हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्जवल बिंदी है....

****************************************

जनगण के मन में: -संजीव सलिल

जनतंत्र की सोच को समर्पित कविता           

-संजीव सलिल
*
जनगण के मन में जल पाया,
नहीं आस का दीपक.
कैसे हम स्वाधीन देश जब
लगता हमको क्षेपक?

हम में से
हर एक मानता,
निज हित सबसे पहले।
नहीं देश-हित कभी साधता
कोई कुछ भी कह ले।

कुछ घंटों 'मेरे देश की धरती'
फिर हो 'छैंया-छैंया'।
वन काटे, पर्वत खोदे,
भारत माँ घायल भैया।

किसको चिंता? यहाँ देश की?
सबको है निज हित की।
सत्ता पा- निज मूर्ति लगाकर,
भारत की दुर्गति की।
श्रद्धा, आस्था, निष्ठा बेचो
स्वार्थ साध लो अपना।
जाये भाड़ में किसको चिंता
नेताजी का सपना।

कौन हुआ आजाद?
भगत है कौन देश का बोलो?
झंडा फहराने के पहले
निज मन जरा टटोलो।

तंत्र न जन का
तो कैसा जनतंत्र तनिक समझाओ?
प्रजा उपेक्षित प्रजातंत्र में
क्यों कारण बतलाओ?

लोक तंत्र में लोक मौन क्यों?
नेता क्यों वाचाल?
गण की चिंता तंत्र न करता
जनमत है लाचार।

गए विदेशी, आये स्वदेशी,
शासक मद में चूर।
सिर्फ मुनाफाखोरी करता
व्यापारी भरपूर।

न्याय बेचते जज-वकील मिल
शोषित- अब भी शोषित।
दुर्योधनी प्रशासन में हो
सत्य किस तरह पोषित?

आज विचारें
कैसे देश हमारा साध्य बनेगा?
स्वार्थ नहीं सर्वार्थ
'सलिल' क्या हरदम आराध्य रहेगा?
****

लघु कथा: शब्द और अर्थ --संजीव वर्मा "सलिल "


शब्द कोशकार ने अपना कार्य समाप्त किया...कमर सीधी कर लूँ , सोचते हुए लेटा कि काम की मेज पर कुछ खटपट सुनायी दी... मन मसोसते हुए उठा और देखा कि यथास्थान रखे शब्दों के समूह में से निकल कर कुछ शब्द बाहर आ गए थे। चश्मा लगाकर पढ़ा , वे शब्द 'लोकतंत्र', प्रजातंत्र', 'गणतंत्र' और 'जनतंत्र' थे।

शब्द कोशकार चौका - ' अरे! अभी कुछ देर पहले ही तो मैंने इन्हें यथास्थान रखा रखा था, फ़िर ये बाहर कैसे...?'

'चौंको मत...तुमने हमारे जो अर्थ लिखे हैं वे अब हमें अनर्थ लगते हैं। दुनिया का सबसे बड़ा लोक तंत्र लोभ तंत्र में बदल गया है। प्रजा तंत्र में तंत्र के लिए प्रजा की कोई अहमियत ही नहीं है। गण विहीन गण तंत्र का अस्तित्व ही सम्भव नहीं है। जन गण मन गाकर जनतंत्र की दुहाई देने वाला देश सारे संसाधनों को तंत्र के सुख के लिए जुटा रहा है। -शब्दों ने एक के बाद एक मुखर होते हुए कहा


****************************
नव गीत
संजीव 'सलिल'
शहनाई बज रही ...
*
शहनाई बज रही
शहर में मुखिया आये...
*
जन-गण को कर दूर
निकट नेता-अधिकारी.
इन्हें बनायें सूर
छिपाकर कमियाँ सारी.
सबकी कोशिश
करे मजूरी
भूखी सुखिया
फिर भी गाये.
शहनाई बज रही
शहर में मुखिया आये...
*
है सच का आभास
कर रहे वादे झूठे.
करते यही प्रयास
वोट जन गण से लूटें.
लोकतंत्र की
लख मजबूरी,
लोभतंत्र
दुखिया पछताये.
शहनाई बज रही
शहर में
मुखिया आये...

*

आये-गये अखबार रँगे,
रेला-रैली में.
शामिल थे बटमार
कर्म-चादर मैली में.
अंधे देखें,
बहरे सुन,
गूंगे बोलें,
हम चुप रह जाएँ.
शहनाई बज रही
शहर में
मुखिया आये...
*

सोमवार, 25 जनवरी 2010

गणतंत्र दिवस पर विशेष गीत:

सारा का सारा हिंदी है

आचार्य संजीव 'सलिल'
*

जो कुछ भी इस देश में है, सारा का सारा हिंदी है.

हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्जवल बिंदी है....


मणिपुरी, कथकली, भरतनाट्यम, कुचपुडी, गरबा अपना है.

लेजिम, भंगड़ा, राई, डांडिया हर नूपुर का सपना है.

गंगा, यमुना, कावेरी, नर्मदा, चनाब, सोन, चम्बल,

ब्रम्हपुत्र, झेलम, रावी अठखेली करती हैं प्रति पल.

लहर-लहर जयगान गुंजाये, हिंद में है और हिंदी है.

हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्जवल बिंदी है....


मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, गिरजा सबमें प्रभु एक समान.

प्यार लुटाओ जितना, उतना पाओ औरों से सम्मान.

स्नेह-सलिल में नित्य नहाकर, निर्माणों के दीप जलाकर.

बाधा, संकट, संघर्षों को गले लगाओ नित मुस्काकर.

पवन, वन्हि, जल, थल, नभ पावन, कण-कण तीरथ, हिंदी है.

हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्जवल बिंदी है....


जै-जैवन्ती, भीमपलासी, मालकौंस, ठुमरी, गांधार.

गजल, गीत, कविता, छंदों से छलक रहा है प्यार अपार.

अरावली, सतपुडा, हिमालय, मैकल, विन्ध्य, उत्तुंग शिखर.

ठहरे-ठहरे गाँव हमारे, आपाधापी लिए शहर.

कुटी, महल, अँगना, चौबारा, हर घर-द्वारा हिंदी है.

हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्जवल बिंदी है....


सरसों, मका, बाजरा, चाँवल, गेहूँ, अरहर, मूँग, चना.

झुका किसी का मस्तक नीचे, 'सलिल' किसी का शीश तना.

कीर्तन, प्रेयर, सबद, प्रार्थना, बाईबिल, गीता, ग्रंथ, कुरान.

गौतम, गाँधी, नानक, अकबर, महावीर, शिव, राम महान.

रास कृष्ण का, तांडव शिव का, लास्य-हास्य सब हिंदी है.

हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्जवल बिंदी है....


ट्राम्बे, भाखरा, भेल, भिलाई, हरिकोटा, पोकरण रतन.

आर्यभट्ट, एपल, रोहिणी के पीछे अगणित छिपे जतन.

शिवा, प्रताप, सुभाष, भगत, रैदास कबीरा, मीरा, सूर.

तुलसी. चिश्ती, नामदेव, रामानुज लाये खुदाई नूर.

रमण, रवींद्र, विनोबा, नेहरु, जयप्रकाश भी हिंदी है.

हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्जवल बिंदी है....

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Acharya Sanjiv Salil

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