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गुरुवार, 30 नवंबर 2017

navgeet

नवगीत:
अनेक वर्णा पत्तियाँ हैं
शाख पर तो क्या हुआ?
अपर्णा तो है नहीं अमराई
सुख से सोइये
बज रहा चलभाष सुनिए
काम अपना छोड़कर
पत्र आते ही कहाँ जो रखें
उनको मोड़कर
किताबों में गुलाबों की
पंखुड़ी मिलती नहीं
याद की फसलें कहें, किस नदी
तट पर बोइये?
सैंकड़ों शुभकामनायें
मिल रही हैं चैट पर
सिमट सब नाते गए हैं
आजकल अब नैट पर
ज़िंदगी के पृष्ठ पर कर
बंदगी जो मीत हैं
पड़ गये यदि सामने तो
चीन्ह पहचाने नहीं
चैन मन का, बचा रखिए
भीड़ में मत खोइए
***

शनिवार, 5 सितंबर 2015

ek chat warta, काम

एक चैट वार्ता:
कुछ दिन पूर्व एक वार्ता आपसे साझा की थी. आज एक अन्य वार्ता से आपको जोड़ रहा हूँ. कोई कहानीकार इन पर कहानी का तन-बाना बुन सकता है. आपसे साझा करने का उद्देश्य समाज में बढ़ रही प्रवृत्तियों का साक्षात है. समाज में हो रहे वैचारिक परिवर्तन का संकेत इन वार्ताओं से मिलता है.

- hi
= नमस्कार
पर्व नव सद्भाव के
संजीव 'सलिल'
*
हैं आ गये राखी कजलियाँ, पर्व नव सद्भाव के.
सन्देश देते हैं न पकड़ें, पंथ हम अलगाव के..
भाई-बहिन सा नेह-निर्मल, पालकर आगे बढ़ें.
सत-शिव करें मांगल्य सुंदर, लक्ष्य सीढ़ी पर चढ़ें..
शुभ सनातन थाती पुरातन, हमें इस पर गर्व है.
हैं जानते वह व्याप्त सबमें, प्रिय उसे जग सर्व है..
शुभ वृष्टि जल की, मेघ, बिजली, रीझ नाचे मोर-मन.
कब बंधु आये? सोच प्रमुदित, हो रही बहिना मगन..
धारे वसन हरितिमा के भू, लग रही है षोडशी.
सलिला नवोढ़ा नारियों सी, कथा है नव मोद की..
शालीनता तट में रहें सब, भंग ना मर्याद हो.
स्वातंत्र्य उच्छ्रंखल न हो यह, मर्म सबको याद हो..
बंधन रहे कुछ तभी तो हम, गति-दिशा गह पायेंगे.
निर्बंध होकर गति-दिशा बिन, शून्य में खो जायेंगे..
बंधन अप्रिय लगता हमेशा, अशुभ हो हरदम नहीं.
रक्षा करे बंधन 'सलिल' तो, त्याज्य होगा क्यों कहीं?
यह दृष्टि भारत पा सका तब, जगद्गुरु कहला सका.
रिपुओं का दिल संयम-नियम से, विजय कर दहला सका..
इतिहास से ले सबक बंधन, में बंधें हम एक हों.
संकल्पकर इतिहास रच दें, कोशिशें शुभ नेक हों..
***
- hi
= कहिए, कैसी हैं?

- thik hu ji
= क्या कर रही हैं आजकल?

- kuch nahi ji. aap kyaa karte ho ji?
=मैं लोक निर्माण विभाग में इंजीनियर रहा. अब सेवा निवृत्त  हूँ.

- aachha ji
= आपके बच्चे किन कक्षाओं में हैं?

- beta 4th me or beti 3 मे.
= बढ़िया. उनके साथ रोज शाम को रामचरित मानस के ५ दोहे अर्थ के साथ पढ़ा करें। इससे वे नये  शब्द और छंद को समझेंगे। उनकी परीक्षा में उपयोगी होगा। गाकर पढ़ने से आवाज़ ठीक होगी।

- ji. me aapke charan sparsh karti hu. aap bahut hi nek or aachhe insan he.
= सदा प्रसन्न रहें। बच्चों की पहली और सबसे अधिक प्रभावी शिक्षक माँ ही होती है. माँ  बच्चों की सखी भी हो तो बच्चे बहुत सी बुराइयों से बच जाते हैं.

- or sunaao kuch. mujhe aap s bat karke bahut aacha laga ji
= आपके बच्चों के नाम क्या हैं?

- beta sachin beti sandhya
= रोज शाम को एकाग्र चित्त होकर लय सहित मानस का पाठ करने से आजीवन शुभ होता है.

- wah wah kya bat he ji. aap mere guru ji ho
= आपकी सहृदयता के लिए धन्यवाद। बच्चों को बहुत सा आशीर्वाद

- orr sunaao aapko kya pasand he? mere layk koi sewa?
= आप कहाँ तक पढ़ी हैं? कौन से विषय थे.
- 10 pas hu. koi job karna chahti hu.
= अभी नहीं। पहले मन को मजबूत कर १२ वीं पास करें। प्राइवेट परीक्षा दें. साथ में कम्प्यूटर सीखें। इससे आप बच्चों को मदद कर सकेंगी. बच्चों को ८० प्रतिशत अंक मिलें तो समझें आप को मिले. आप के पति क्या करते हैं? आय कितनी है?

- ha par m padhai nahi kar sakti hu. computar chalaana to aata he mujhe
 mobail repering ka kam he dukaan he khud ki
= तब तो सामान्य आर्थिक स्थिति है. बच्चे कॉलेज में जायेंगे तो खर्च अधिक होगा। अभी से सोचना होगा। आप किस शहर में हैं?

- ……।
= आय लगभग १५-२०  हजार रु. मानूं तो भी आपको कुछ कमाना होगा। कम्प्यूटर में माइक्रौसौफ़्ट ऑफिस, माइक्रोसॉफ्ट वर्ड, विंडो आदि सीखना होगा। बच्चे छोटे हैं इसलिए घर में रहना भी जरूरी है. आप घर पर वकीलों और किताबों का टाइपिंग काम करें तो अतिरिक्त आय का साधन हो सकता है. बाहर नौकरी करेंगी तो घर में अव्यवस्था होगी.

- bahar bhi kar lugi yadi job achha he to. 10 hajar s jyada nahi kama pate he.
= अच्छी नौकरी के लिए १० वीं पर्याप्त नहीं है. आजकल प्राइवेट स्कूल १ से ३ हजार में  शिक्षिकाएं रखते हैं जो BA या MA होती हैं. कंप्यूटर से टाइपिंग सीखने में २-३ माह लगेंगे और आप घर पर काम कर अच्छी आय कर सकती हैं. घर कहाँ है?

- steshan k pas men rod par, kabhi aana to hum s jarur milna aap.

= दूसरा रास्ता घर में पापड़, आचार, बड़ी आदि बनाकर बेचना है. यह घर, दूकान तथा सरकारी दफ्तरों में किया जा सकता है. नौकरी करने वाली महिलाओं को घर में बनाने का समय नहीं मिलता। आपसे स्वच्छ, स्वादिष्ट तथा सस्ता सामान मिल सकेगा। त्योहारों आर मिठाई भी बना कर बेच सकती हैं. इसमें लगभग ६० % का फायदा है. जबलपुर में मेरी एक रिश्तेदार ने इसी तरह अपने बेटे को इंजीनियरिंग की पढ़ाई  कराई है. यह सुझाव  उन्हें भी मैंने ही दिया था.
- thank u ji
= पति के साथ सोच-विचार कर कोई निर्णय करें जिसमें घर और बच्चों को देखते हुए भी आय कर सकें. घर में और कौन-कौन हैं?

- total femli 4 log, sas sasur nahi he, bhai sab aalag rahte he
= फिर तो पूरी जिम्मेदारी आप पर है, वे होते तो आपके बाहर जाने पर बच्चों को बड़े देख लेते। मेरी समझ में बेहतर होगा कि आप घर से ही काम करें।

- ji, hamari bhai ki ladki yahi p rahti he coleej ki padhai kar rahi he ghar ka kam to bo kar leti he. m jyadatar free rahti hu. isliye kuch karne ka socha

= घर में सामान बना कर बेचेंगी, अथवा पढ़ाई करेंगी या टाइपिंग का काम करेंगी तो समय कम पड़ेगा। घर पर करने से घर और बच्चों की देख-रेख कर सकेंगी. थकान होने पर सुस्ता सकेंगी, बाहर की नौकरी में घर छोड़ना होग. समय अधिक लगेगा. आने-जाने में भी खर्च होग. वेतन भी कम ही मिलेगा. उससे अधिक आप घर पर काम कर कमा सकती हैं. बनाया हुआ सामान बिकने लगे तो फिर काम बढ़ता जाता है. त्योहारों पर सहायक रखकर काम करना होता है. मैदा, बेसन आदि बोरों से खरीदने अधिक बचत होती है. आप लड्डू, बर्फी, सेव, बूंदी, मीठी-नमकीन मठरी, शकरपारे, गुझिया, पपड़ियाँ आदि बना लेती होंगी। अभी यह योग्यता घर तक सीमित है.

- mujhe ghumna pasand he. aap jese jankar or sammaniy logos bat karna aacha lagta he. gana gane ka shook he
= जब सामान बना लेंगी तो बेचने के लिए घूमना होगा। सरकारी दफ्तरों में काम करनेवाले कर्मचारी ही आपके ग्राहक होंगे.  जिनके घरों में महिलायें बनाना नहीं जानतीं, बीमार हैं, या आलसी हैं वे सभी घर का बना साफ़-सुथरा सामान खरीदना पसंद करते हैं.गायन अच्छी कला है पर इससे धन कमाना कठिन है.  अधिकांश कार्यक्रम मुफ्त देना होते हैं, लगातार अभ्यास करना होता है. आयोजक या व्यवस्था ठीक न हो तो कठिनाई होती है. पूरी टीम चाहिए। गायक-गायिका, वादक, माइक आदि

- ji, aapko kya pasand he
= आपकी परिस्थितियों, वातावरण और साधनों को देखते हुए अधिक सफलता घर में सामान बनाकर बेचने से मिल सकती है. नौकरीवालों के लिए टिफिन भी बना सकती हैं. इससे घर के सदस्यों का भोजन-व्यय बच जाता है. कमाई होती है सो अलग.
गायन, वादन, नर्तन आदि शौक हो सकते हैं पर इनसे कमाई की सम्भावना काम है.

- aapko kya pasand he
= मुझे हिंदी मैया की सेवा करना पसंद है. रिटायर होने के बाद रोज १०-१२ घंटे लिखता-पढ़ता हूँ. चैटिंग के माध्यम से समस्याएं सुलझाता हूँ.

- thank u. i l u. i lick  u
= प्रभु आपकी सहायता करें.. कंप्यूटर पर हिंदी में लिखना सीख लें.

- aap  bhi kuch sahayta karo
= इतना विचार-विमर्श और मार्गदर्शन सहायता ही तो है.

- haa ji
= आपने गायन के जो कार्यक्रम किये उनसे कितनी आय हुई ?

- मै आपको मिल जाऊँ तो आप क्या करोगे । 1. दोस्ती, 2.प्यार, 3. सेक्स। mene koi karykaran nahi kiya he kewal shook he ghar p gati rahti hu
= मैं केवल लेखन और परामर्श देने में रूचि रखता हूँ. दोस्ती जीवन साथी से, प्यार बच्चों से करना उत्तम है. सेक्स का उद्देश्य संतान उत्पत्ति है. अब उसकी कोई भूमिका नहीं है.

- मै आपसे दोस्ती करना चाहती हूँ,
= सम्बन्ध तन, नहीं मन के हों तभी कल्याणकारी  होते हैं. आप विवाहिता हैं, माँ भी हैं, किसी के चाहने पर भी देह के सम्बन्ध कैसे बना सकती हैं?

- m kuch bhi kar sakti hu, paresan hu. peeso ki jarurathe mujhe
= चरित्र से बड़ा कुछ नहीं है. ऐसा कुछ कभी न करें जिससे आप खुद, पति या बच्चे शर्मिंदा हों. देह व्यापार से आत्मा निर्बल हो जाती है. मन को शांत करें, नित्य मानस-पाठ करें. दुर्गा  जी से सहायता की प्रार्थना करें।

- aap mujhe 10 hajar ru ki madad de sakte ho
= नहीं। अपने सहायक आप हो, होगा सहायक प्रभु तभी. श्रम करें, याचना नहीं।

- ok ji. muft ki salaah to har koi deta he kisi s 2 rupay mago to koi nahi deta. mene aapko aapna samajh kar madad magi thi  kuch bhi kam karne k liy peesa ki jarurat to sabse pahle hoti he   or wo mere pas nahi he ji
= राह पर कदम बढ़ाने से, मंज़िल निकट आती है. ठोकर लगे तो सहारा मिला जाता है अथवा ईश्वर उठ खड़े होने की हिम्मत देता है. किनारे बैठकर याचना करने पर भिक्षा मिल भी जाए तो मंज़िल नहीं मिलती.

- कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई
= आपको भी पर्व मंलमय हो
***

शनिवार, 29 अगस्त 2015

chat charcha

चैट चर्चा :
आजकल चैट बातचीत का खूब चलन है. विविध पृष्ठ भूमियों के साथी मित्रता का आग्रह करते हैं. फिर वार्ता का दौर… आजकल दूरदर्शन, फिल्म और पत्रकारिता ने समाज को 'सादा जीवन उच्च विचार' पर 'मौज-मस्ती' मंत्र दे दिया है. खुली हवा ने त्याग-परिश्रम के सिक्कों को खोटा घोषित कर भोग का वातावरण बना दिया है. बहुधा फेसबुक मित्र इसी दिशा के आग्रही होते हैं. कुछ जिज्ञासु, कुछ लती. जिज्ञासा को उचित समाधान न मिले तो वह समाज के लिए घातक होती है. लती को सिर्फ कानून ही सुधार सकता है. चैट मित्रों में पुरुष-महिला और किशोर-वयस्क सभी हैं. बहुधा ये दैहिक सम्बन्ध की सम्भावना तलाशते संपर्क करते हैं. विस्मय है कि किशोरियों से लेकर प्रौढ़ायें तक सीधे आमंत्रण देने में संकोच नहीं करतीं. सच कहूँ तो आरम्भ में मुझे भय लगता था. फिर विचार आया कि भागना समाधान नहीं है. कुछ सकारात्मक प्रयास किया जाए.
आज एक महिला से हुई चैट चर्चा आपके समक्ष प्रस्तुत है. आप इस सम्बन्ध में क्या सोचते हैं?
संकेत: - मित्र, = मैं
- g m ji
= शुभ प्रभात.
- kis diparment me the aap?
= लोक निर्माण विभाग
- pwd ?
- जी
- fir acha paisa banaya hoga
= यही नहीं किया. कविता लिखता रहा और खुश होकर इज्जत से जीता रहा. सरस्वती पुत्र के पास लक्ष्मी नहीं आती.
- subah kitane baje uth jate hai?
= ६-६.३० बजे.
- us ke bad kaya2 karte hai?
= प्रात: भ्रमण, स्नान, पूजन और लेखन
- kitana bhamad karte hai?
= लगभग ३-४ किलोमीटर
- v good
= kitane salo se ye bharmad kar rahe hai?aur regular hai?
- कोशिश करता हूँ. कभी-कभी नहीं भी जा पता
= आपकी क्या दिनचर्या है?
- mai subah 6 se 7 baje tak uthti hoon, thoda yoga, aur kuch nahii
= योग तो शुभ ही शुभ है.
- haa
= गरल-पान कर जो करे,सतत सुधा का दान
उसको सब जग पूजता, कह शंकर भगवान
- app kaun se bhagwan ki pooja karte hai?
= सभी की.
- shankar bhagwan ka?
= शिव-शक्ति, राम-सीता, कृष्ण-राधा, गणेश, चित्रगुप्त जी, हनुमान जी आदि
- shiv shakti ji ke bare me kuch bataye
= शक्ति श्रद्धा है, और विश्वास शंकर. श्रद्धा औरों का शुभ करने की प्रेरणा देती है और विश्वास औरों से अपनी रक्षा करने की सामर्थ्य देता है. माँ के प्रति श्रृद्धा होती है और प्रति विश्वास इसलिए पारवती को जगजननि और शिव को है.
शिव को जगतपिता कहा गया है।
- ohhhh aur bataye
= खुद पर विश्वास हो तो मनुष्य टेढ़े-मेढ़े रस्ते से भी निकल आता है. शिव विश्वास हैं अत: वे योग और भोग, शुभ और अशुभ दोनों के साथ रहकर भी सदा प्रसन्न रहते हैं. हम अपने मन को ऐसा बना सकें तो कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता।
- bhog kaya hai?
= शरीर को स्वस्थ्य बनाये रखने के लिए जिन वस्तुओं को ग्रहण करना आवश्यक है वह भोग है. भोग को छोड़ कर जिया नहीं जा सकता और अत्यधिक भोग कर भी जिया नहीं जा सकता। स्वस्थ्य जीवन के लिए संयमित भोग आवश्यक है. जैसे बिना खाए भी नहीं जी सकते और अत्यधिक खाकर भी नहीं जी सकते. सीमित मात्रा में खाना जरूरी है.
- ji, mughe laga bhog means sex
= भोग कई तरह का होता है. देह की कई आवश्यकताएं हैं. यौन सम्बन्ध प्रजनन हेतु आवश्यक है.
- deh ki kaya2 awashaktaye hai?
= आप स्वयं देहधारी हैं. जिन वस्तुओं के बिना देह की सुरक्षा न हो सके वे प्राथमिक अनिवार्यताएं हैं. इन्हें सामान्य भाषा में रोटी, कपड़ा और मकान कह सकते हैं.
- ji ab bat bataye kya sahi hai? kya aacha sex se shiv ji prapti hoti hai?
= पूर्व में निवेदन किया है कि शिव विश्वास हैं. मनुष्य अपने जीवन में कोई भी कार्य श्रेष्ठता से करे तो उसका विश्वास बढ़ता है. जैसे कोई विद्यार्थी प्रथम आये, कोई खिलाड़ी बहुत अच्छा खेले, कोई गायक मधुरता से गाये. कोई अभिनेता जीवंत अभिनय करे तो उसका विश्वास बढ़ता है. यही शिवत्व की प्राप्ति है. ऐसा ही अन्य क्रियाओं के सम्बन्ध में है. शिव तत्व गुणवत्ता से सम्बंधित है मात्रा से नहीं
और कोई जिज्ञासा?
- bahut hi insperation bataya aap ne. bahut गyan hai aap me sabhi chij ka
maha dev aap ko swath n lambi aau de
= आप जैसे मित्रों से सीखता रहता हूँ और यथावसर बाँट लेता हूँ. तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा। आपकी सद्भावनाएँ मुझे संबल देंगी।
- sukriya ji

सोमवार, 2 मई 2011

एक दूरलेखवार्ता (चैट): वार्ताकार: नवीन चतुर्वेदी-संजीव 'सलिल' विषय: भाषा में अन्य भाषाओँ के शब्दों का प्रयोग

एक दूरलेखवार्ता (चैट):
वार्ताकार: नवीन चतुर्वेदी-संजीव 'सलिल'
विषय: हिंदी भाषा में अन्य भाषाओँ के शब्दों का प्रयोग:
 
 
 
 
 
 
नवीन
नमस्कार
सुप्रभात 
सलिल:  नमन.
पुरा-पुरातन चिर नवीन मैं अधुनातन का हिस्सा हूँ.
बिना कहे जो कहा गया, वह सुना-अनसुना किस्सा हूँ..
- नवीन: वाह वाह 
सलिल: निवेदन आप तक पहुँच गया है.
नवीन: बिलकुल, मैंने भी एक निवेदन किया है आपसे.
सलिल: कौन सा?
नवीन: भाषा-व्याकरण में बंध के रहना मेरे लिए सच में बहुत ही कठिन है. मैंने आपको जी मेल पर मेसेज दिया था कल. नवगीत पर भी ये निवेदन कर चुका हूँ , ओबीओ, ठाले बैठे, समस्या पूर्ति और फेसबुक पर भी.
सलिल: कठिन को सरल करना ही तो नवीन होना है. 
नवीन: मैं खुले गगन का उन्मुक्त विहग हूँ, आचार्य जी!
सलिल: आप जैसा समर्थ रचनाकार भाषिक शब्दों, पिंगलीय लयात्मकता और व्याकरणिक अनुशासन को साध सकता है बशर्ते तीनों को समान महत्त्व दे. कम ही रचनाकार हैं जिनसे यह आशा है.उन्मुक्त तो भाव और विचार होता है, शिल्प के साथ नियम तो होते ही हैं.
नवीन: क्षमा चाहता हूँ आदरणीय. जहाँ तक मैं समझता हूँ, जिनके लिए हम लिख रहे हैं, उन्हें समझ जरुर आना चाहिए और साहित्यिक बंधनों की मूलभूत बातों का सम्मान अवश्य जरूरी होता है. हमें स्तर अलग-अलग कर लेने चाहिए. एक वो स्तर जहाँ आप जैसे विद्वानों से हमें सीखने को मिल सके और एक वो स्तर जहाँ नए लोगों को काव्य में रूचि जगाने का मौका मिल सके, नहीं तो बचे-खुचे भी भाग खड़े होंगे.
सलिल: आप शब्दों का भंडार रखते हुए भी उसमें से चुनते नहीं जो जब हाथ में आया रख देते हैं. गाड़ी के दोनों चकों में बराबर हवा जरूरी है. शिल्प में सख्ती और शब्द चयन में ढील क्यों? अर्थ तो पाद टिप्पणी में दिए जा सकते हैं. इससे शब्द का प्रसार और प्रचलन बढ़ता है और भाषा समृद्ध होती है.
अलग-अलग कर देंगे तो हम बच्चों से कैसे सीखेंगे? बच्चों के पास बदलते समय के अनेक शब्द हैं जो शब्द कोष में सम्मिलित किये जाने हैं. उन्हें अतीत में प्रयोग हुए शब्दों को भी समझना है, नहीं तो अब तक रचा गया सब व्यर्थ होगा.
नवीन: हमें दो अलग-अलग मंच रखने चाहिए. एक विद्वानों वाला मंच, एक नए बच्चों का मंच. दोनों को मिक्स नहीं करना चाहिए.विद्वत्ता की प्रतियोगिता देखने के लिए काफी लोग लालायित हैं.
सलिल: नहीं, विद्वान कोई नहीं है और हर कोई विद्वान् है. यह केवल आदत की बात है. जैसे अभी अपने 'मिक्स' शब्द का प्रयोग किया मैं 'मिलाना' लिखता. लगभग सभी पाठक दोनों शब्दों को जानते हैं. तत्सम और तद्भव शब्द वहीं प्रयोग हों जहाँ वे विशेष प्रभाव उत्पन्न करें अन्यथा वे भाषा को नकली और कमजोर बनाते हैं.
नवीन: मुझे लगता है, हमारे करीब 20 अग्रजों को एक जुट होकर एक अलग प्रतियोगिता [खास कर उनके लिए ही] शुरू करनी चाहिए. हम सब उससे प्रेरणा लेंगे और समझाने का प्रयास भी करेंगे.
सलिल: हम साधक हैं पहलवान नहीं. साधकों में कोई प्रतियोगिता नहीं होती. आप लड़ाने नहीं मिलाने की बात करें. मैं एक विद्यार्थी था, हूँ और सदा विद्यार्थी ही रहूँगा. सबसे कम जानता हूँ... नए रचनाकारों से बहुत कुछ सीखता हूँ. बात भाषा में समुचित शब्द होते हुए और रचनाकार को ज्ञात होते हुए भी अन्य भाषा के शब्द के उपयोग पर है. आरक्षण या जमातें नहीं चाहिए. सब एक हैं. सबको एक दूसरे को सहना, समझना और एक दूसरे से सीखना है.मतभेद हों मनभेद न हों.
नवीन: इसीलिए तो २० अग्रजों को मिलाने की बात कर रहा हूँ आदरणीय. इसकी लम्बे अरसे से ज़रूरत है .
मथुरा का चौबे हूँ, लिपि-पुती बातें करने को वरीयता नहीं देता, जो दिल में आता है- अधिकार के साथ अपने स्नेही अग्रजों से निवेदन कर देता हूँ. मनभेद की नौबत न आये इसीलिए आगे बढ़कर संवाद के मौके तलाश किये हैं.अब ऑफिस की तयारी करता हूँ .
सलिल: मुझे आवश्यक होने पर अन्य भाषा के शब्द लेने से परहेज़ नहीं है पर वह आवश्यक होने पर, जब भाषा में समुचित शब्द न हो तब या कथ्य की माँग पर... मात्र यह निवेदन है. शेष अपनी-अपनी पसंद है. रचनाकार की शैली उसे स्वयं ही तय करना है, समीक्षक मूल्यांकन मानकों के आधार पर ही करते हैं. अस्तु नमन...
नवीन: प्रणाम आदरणीय.
सलिल: सदा प्रसन्न रहिये.
*************
 

रविवार, 30 मई 2010

एक वार्ता (चैट) मुक्तिका पर: कुसुम ठाकुर से-

एक वार्ता (चैट) मुक्तिका पर: कुसुम ठाकुर से-

इस वार्ता में कुसुम ठाकुर से मुक्तिका के शिल्प पर चर्चा हुई है. अन्य पाठकों की जिज्ञासा हो तो उस पर भी चर्चा की जा सकती है.











मैं: मुक्तिका

.....डरे रहे.

संजीव 'सलिल'
*
*
हम डरे-डरे रहे.
तुम डरे-डरे रहे.



दूरियों को दूर कर
निडर हुए, खरे रहे.

हौसलों के वृक्ष पा
लगन-जल हरे रहे.

रिक्त हुए जोड़कर
बाँटकर भरे रहे.



नष्ट हुए व्यर्थ वे
जो महज धरे रहे.

निज हितों में लीन जो
समझिये मरे रहे.

सार्थक हैं वे 'सलिल'
जो फले-झरे रहे.

****************

kusum thakur: namaste padh li muktika
रविवार को 12:43 PM पर भेजा गया
मैं: der se padhne kee saja...?
kusum thakur: avashya
sweekar hai
मैं: to ek aur jheliye

मुक्तिका

थोड़ा ज्यादा, ज्यादा कम.

संजीव 'सलिल'

थोड़ा ज्यादा, ज्यादा कम.
चाहा सुख तो पाया गम.

अधरों पर मुस्कान मिली
लेकिन आँखें पायीं नम.

दूर करो हाथों से बम.
मिलो गले कह बम-बम-बम.

'मैं'-'तू' भूलें काश सभी
कहें साथ मिल सारे 'हम'.

सात जन्म का वादा कर
ठोंक रहे आपस में ख़म.

मन मलीन को ढाँक रहे
क्यों तन को नित कर चम्-चम्.

जब भी बाला दिया 'सलिल'
मिला ज्योति के नीचे तम.

**************
kusum thakur: bahut achha hai achha ab yah shisya kuchh
 poochhana chah rahi hai
मैं: sirf tareef n karen kamee bhee batayen tanhee to sudhar sakoonga.
poochen..
kusum thakur: muktika ke niyam batayen
रविवार को 12:48 PM पर भेजा गया
मैं: muktika urdoo kee gazal की tarah hotee hai. uardoo gazal men 12 tayshudaa bahar (laykhand ) ka hee prayog hota hai.muktika ya hindee gazal men hindi ke kisi bhee chhand ka prayog kar sakte hain ya apna man pasand laykhand lrkar rachna kar sakte hain.
kusum thakur: achha
रविवार को 12:51 PM पर भेजा गया
मैं: pahalee pankti ke padbhar ( wazn ya matrayen) ke saman hee anya sabhee panktiyon ka padbhar hota hai. sanyukt akshar ko deergh (bada ya 2) mante hain.
kusum thakur: achha
रविवार को 12:54 PM पर भेजा गया
मैं: येचारों लघु (छोटे या )  गिने
जाते हैं बाकी सब २.
kusum thakur: achha
मैं: पद का आखिरी शब्द भार तथा तुक में समान होता है
kusum thakur: achha
मैं: मुखड़े में पदांत और तुकांत दोनों समान होता है. अन्य पदों में दूसरी पंक्ति का पदांत तुकांत मुखड़े के
समान
होता है.
रविवार को 12:58 PM पर भेजा गया
मैं: थोड़ा ज्यादा, ज्यादा कम.
चाहा सुख तो पाया गम.
यह मुखड़ा है
पहली पंक्ति मात्राएँ : २+२ २+२ २+२ १+१ कुल १४
दूसरी पंक्ति मात्राएँ : २+२ १+१ २ २+२
१+१ कुल १४
kusum thakur: han yah hai
रविवार को 1:01 PM पर भेजा गया
मैं: दूसरा पद :
दूर करो हाथों से बम. २+१ १+२ २+२ १+१ = १४
मिलो गले कह बम-बम-बम. १+२ १+२ १+१ १+१ १+१ १+१ = १४
रविवार को 1:02 PM पर भेजा गया
kusum thakur: han ab bilkul spasht ho gaya
मैं: कम, गम, नम आदि शब्द पदांत हैं
kusum thakur: han
मैं: और क्या बताऊँ?
अब लिखें मुक्तिका
kusum thakur: jo samajh me nahi ayega poochh lungihan
yah likh sakti hoon
मैं: likhna shuroo kar deejiye... haiku kee tarah....
aapkee pahalee muktika abhee rach jayegee.
kusum thakur: 25th ko main usa ja rahi hoon isliye ajkal thori si vyastata rahti hai
15 th ko ja rahi hoon
jaroor likhungi
मैं: samajh sakta hoon... vahan khoob muktika aur haiku likhen...
fk baat aur
kusum thakur: han wahan jane ke kuchh dino ke bad se jaroor likhungi
मैं: मुक्तिका के हर पद को उर्दू के शे'र की तरह अलग प्रिष्ठ भूमि या विषय पर रचा जाता है.
kusum thakur: apke jaise guru aur utsaah vardhan karne wale mile to avashya likhungi
achha
रविवार को 1:09 PM पर भेजा गया
मैं: nmn.
kusum thakur: naman
रविवार को 1:11 PM पर भेजा गया

*****************************


बुधवार, 26 मई 2010

आज की वार्ता (चैट): poornima barman - sanjiv 'salil'

आज की वार्ता (चैट)

मैं: नमस्कार.
taza rachna apko भेंट

मुक्तिका:

कौन चला वनवास रे जोगी?

संजीव 'सलिल'
*
RadhaKrishnaYogi.jpg
*

कौन चला वनवास रे जोगी?
अपना ही विश्वास रे जोगी.
*
बूँद-बूँद जल बचा नहीं तो
मिट न सकेगी प्यास रे जोगी.
*
भू -मंगल तज, मंगल-भू की
खोज हुई उपहास रे जोगी.
*
फिक्र करे हैं सदियों की, क्या
पल का है आभास रे जोगी?
*
गीता वह कहता हो जिसकी
श्वास-श्वास में रास रे जोगी.
*
अंतर से अंतर मिटने का
मंतर है चिर हास रे जोगी.
*
माली बाग़ तितलियाँ भँवरे
माया है मधुमास रे जोगी.
*
जो आया है वह जायेगा
तू क्यों हुआ उदास रे जोगी.
*
जग नाकारा समझे तो क्या
भज जो खासमखास रे जोगी.
*
राग-तेल, बैराग-हाथ ले
रब का 'सलिल' खवास रे जोगी.
*
नेह नर्मदा नहा 'सलिल' सँग
तब ही मिले उजास रे जोगी.
*
Purnima: वाह
आज की गजल के लिए लिखी है?
मैं: jee haan.
Purnima: बहुत बढ़िया है
मैं: thkee ho to भेजूं
Purnima: जरूर भेजिए
मैं: are, apne to ise utteernank de diye.
Purnima: मुझे गजल के बहर आदि का ज्ञान नहीं है
इसलिए मैंने इस बार हिम्मत ही नहीं की
मैं: mujhe bhee naheen hai. iseeliye to gazal n kahkar muktika kahata hoon.
Purnima: आप बताएँ तो मैं भी कोशिश करूँ
कोई बात नहीं
सतपाल खुद ठीक कर लेगा
कहीं कोई कुछ कमी होगी तो
अच्छा बच्चा है
मैं: avashya keejiye. agar lay aur padbhar men santulan ho to bahar apne aap theek hotee hai.
Purnima: नहीं ऐसा होता नहीं है
मैं: bahar ka arth hee lay-khand hai.
Purnima: मैंने एक दो बार कोशिश की लेकिन कुछ गलतियाँ थीं.
सतपाल ने ठीक कर दीं थीं बाद में
मैं: swabhavik hai. urdu vale 12 baharon ke aage naheen sochate. hindi men maulik karne par koee pratibndh naheen hai.
Purnima: जी
इतना बँधकर लिखने की हम लोगों की आदत नहीं
मैं: hindee men padant aur tukant ke sath kisi bhee chhand men kee gayee rachna muktika hai.
Purnima: जी
मुक्तिकाओं से ही तो हम लोग नवगीत बनाते हैं
मैं: isliye doha gazal, haiku gazal aadi prayog ho pate hain.
Purnima: जी
मैं: bilkul sahee.
bandhan to hindee men urdoo se adhik kade hain
ghanaksharee, chhappay, kakup aadi dekhiye par ve naye prayog se naheen rokte.
Purnima: जी जी
9:57 AM बजे बुधवार को प्रेषित
मैं: aap rachna avashya bhejen
9:59 AM बजे बुधवार को प्रेषित
**********************
10:07 AM बजे बुधवार को प्रेषित
dhanraj: sirji appki shabdo ka jawab hi...appko subah ka yek bahhot bada salaam.....!!!
10:10 AM बजे बुधवार को प्रेषित






दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम


Acharya Sanjiv Salil

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शुक्रवार, 21 मई 2010

आज की वार्ता : chait : kusum thakur ke sath

आज की वार्ता : chait :

मैं: namaskar...haiku kya huee?
kusum: namaskar
verma ji
is bich bahut vyast ho gayee hoon
kuchh bhi sochane wala lekhan nahi ho pa raha hai
lekhan hi kam ho gaya hai
par apko boli hoon to hoga avashya
asal me USA jana hai
aur isbar VISA bhi lena hai
usame itane papers lagte hain us sab me dhyan bata hua hai
lekhan nahi ho pa raha hai
मैं: वो व्यस्त हुए, हम त्रस्त हुए.
सूरज कहता हम अस्त हुए.
दुनिया से पूछा तो बोली-
जो जहाँ वहीं वे मस्त हुए.
जो जहाँ वहीं वे मस्त हुए.
kusum: wah wah
apke itana main hazir javabi wah bhi kavita me main nahi kar sakti
par bahut achha lagta hai
achha haiku ke niyam ekbar fir mail kar denge
मैं: बिदेसिया की धरती से
बिदेस जाकर स्वदेश को न भूल जाइएगा.
kusum: main 28 ke bad avashya karungi koshish
bilkul nahi bhoolungi
main to wahan aur free rahungi
aur wahan main jyada likhati hoon
मैं: haiku men 3 panktiyan prtham pankti men 5
akshar, doosaree men 7, teesaree men 5.
laghu-guru ka koii bhed naheen.
kusum: achha
thik hai
मैं: एक हाइकु

जापानी छंद
पाँच, सात औ' पाँच.
देता आनंद.
एक और
ईंट रेत का
मन्दिर मनहर
देव लापता.
 7:36 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
kusum: yah kya ap usaka udaharan bheje hain?
kusum: thik hai
मैं: कौन किसी का
सब छोड़ जाते हैं
हमें अकेला.
kusum: mujhe maithili me likhane apne bola hai?
मैं: jee mainne koshish kee thee. kuchh apko bheje the
bhojpuree ke. unkee galtee bhee sudharen
aur maithilee men aap bhee likh bhejen. kuchh abhyas ke baad sara lagega
kusum: han wah rakhi hoon
use koshis karungi thik karne ka
pahle
मैं: चली कुसुम
मैं: चली कुसुम
देश तज विदेश
सुगंध फैले.
dekhiye kitana saral.
kusum: apke liye saral hai
par main abhi tak nahi likhi hoon
par koshis avashya karungi
 7:44 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
मैं: दुनिया मेला.
मैं: दुनिया मेला.
फिर भी अकेला ही
मिला इन्सान.
*
 7:46 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
मैं: सूरज तपा
धरती जल गयी
जल तो सींचो.
*
 7:47 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
 7:47 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
kusum: ap to turant turant likh lete hain par mujhe to samay lagega
मैं: नहीं आँख में
'सलिल' शेष अब
पानी किंचित.
*
aap bhee likh lengee. bas shuroo ho jaiye.
.
kusum: han koshis avashy karungi
 7:50 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
मैं: maan jee ko charan sparsh kahen
 7:52 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
kusum: maa ji to mujhse bahut door rahti hain
मैं: are. main samjha aap unke sath hain.
kusum: nahi
main abhi jamshedpur me hoon
 7:56 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
मैं: achchha. tata ki nagaree men tabhee aap fauladee sankalpon walee hain.
 7:59 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
kusum: kahan
kusum: kahan
fauladi sankalp hai
 8:01 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
मैं: videsh yatra ka...main to ghar aur daftar ke alava kaheen ja hee naheen pata. sara samay likhne men hee nikal jata hai.
 8:02 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
 8:02 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
kusum: ap to bahut hi samay dete hain lekhan ko
main to apke lekhan se kafi prabhavit hoon
 8:05 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
मैं: leejiye:
कोशिश कर-कर जब हार गए,
जब छूट सभी पतवार गए.
तब हरि की आयी याद उन्हें-
जो कहते हैं: 'सन्यस्त हुए.'
*
मधुशाला को चाहा सबने.
मधु-प्याला अवगाहा सबने.
मधुबाला के आँसू बहते-
अनदेखा कर सब मस्त हुए.
*
*
kusum: bahut khoob
 8:07 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
मैं: जीवन भर जोड़-जोड़ हारे.
हैं अंत परेशां बेचारे.
अपनों ने ही छल लिया उन्हें-
जग जीता, खुद से पस्त हुए.

*
 8:09 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
मैं: आकाश कुसुम के सब सपने.
टूटे जब सम्मुख थे नपने.
मुँह फेर लगे माला जपने-
सब महल अटारी ध्वस्त हुए.
*
aapka abhar.
kusum: vah apki rachana se man khush ho jata hai
मैं: main ti apka aabharee hoon.
kusum: kyon ?
मैं: ek to apke satsang men haiku aur geet ki rachna ho gayee.
kusum: abhari main hoon
ap kyon ?
मैं: doosare aapne n keval inhen jhela apitu saraha bhee. kavita ko jhelne ke liye fauladee kaleja chahiye na.
kusum: ise hi kahte hain namrvan shilvan
nahi mujhe to bahut achha lagta hai
मैं: are naheen...vah sab gun to mere pas chhadam bhar bhee naheen hai...mo sam kaun kutil khal kamee...
yah to aap jaise paras ke sparsh se loha bhee sona ho jata hai kuchh palon ke liye.
kusum: yah mujhse koi poochhe
apki main kitani ijjat karati hoon
मैं: yah to apkee udarta hai.
kusum: yah sachai hai
jitane bhi logon se on line parichay hui hai uname apko aur girish pankaj ji ki main bahut ijjat karti hoon
 8:19 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
मैं: pankaj ji to hain hee gunavaan...par main to nikamma hoon.
kusum: nahi aisa nahi hai
main nahi manti
मैं: aap jeeteen main hara...
kusum: han ab thik hai
8:22 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
मैं: jeetata to vahee hain n jismen samrthya aur gun hote hain. harta to vahee hai jo kisis kaam ka naheen hota.
 8:24 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
kusum: ab ap apani bat se mukar rahe hain
tay ho chuka tha
मैं: haan tay to ho chuka...main to sirf tay hue ko bayan kar raha tha..
kusum: thik hai
fir 8:26 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
मैं: kusum se milee haar kaante se milee jeet se behatar hai.
 8:30 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित





आज की वार्ता : chait :
मैं: namaskar...haiku kya huee?
kusum: namaskar
verma ji
is bich bahut vyast ho gayee hoon
kuchh bhi sochane wala lekhan nahi ho pa raha hai
lekhan hi kam ho gaya hai
par apko boli hoon to hoga avashya
asal me USA jana hai
aur isbar VISA bhi lena hai
usame itane papers lagte hain us sab me dhyan bata hua hai
lekhan nahi ho pa raha hai
मैं: वो व्यस्त हुए, हम त्रस्त हुए.
सूरज कहता हम अस्त हुए.
दुनिया से पूछा तो बोली-
जो जहाँ वहीं वे मस्त हुए.
जो जहाँ वहीं वे मस्त हुए.
kusum: wah wah
apke itana main hazir javabi wah bhi kavita me main nahi kar sakti
par bahut achha lagta hai
achha haiku ke niyam ekbar fir mail kar denge
मैं: बिदेसिया की धरती से
बिदेस जाकर स्वदेश को न भूल जाइएगा.
kusum: main 28 ke bad avashya karungi koshish
bilkul nahi bhoolungi
main to wahan aur free rahungi
aur wahan main jyada likhati hoon
मैं: haiku men 3 panktiyan prtham pankti men 5
akshar, doosaree men 7, teesaree men 5.
laghu-guru ka koii bhed naheen.
kusum: achha
thik hai
मैं: एक हाइकु

जापानी छंद
पाँच, सात औ' पाँच.
देता आनंद.
एक और
ईंट रेत का
मन्दिर मनहर
देव लापता.
 7:36 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
kusum: yah kya ap usaka udaharan bheje hain?
kusum: thik hai
मैं: कौन किसी का
सब छोड़ जाते हैं
हमें अकेला.
kusum: mujhe maithili me likhane apne bola hai?
मैं: jee mainne koshish kee thee. kuchh apko bheje the
bhojpuree ke. unkee galtee bhee sudharen
aur maithilee men aap bhee likh bhejen. kuchh abhyas ke baad sara lagega
kusum: han wah rakhi hoon
use koshis karungi thik karne ka
pahle
मैं: चली कुसुम
मैं: चली कुसुम
देश तज विदेश
सुगंध फैले.
dekhiye kitana saral.
kusum: apke liye saral hai
par main abhi tak nahi likhi hoon
par koshis avashya karungi
 7:44 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
मैं: दुनिया मेला.
मैं: दुनिया मेला.
फिर भी अकेला ही
मिला इन्सान.
*
 7:46 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
मैं: सूरज तपा
धरती जल गयी
जल तो सींचो.
*
 7:47 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
 7:47 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
kusum: ap to turant turant likh lete hain par mujhe to samay lagega
मैं: नहीं आँख में
'सलिल' शेष अब
पानी किंचित.
*
aap bhee likh lengee. bas shuroo ho jaiye.
.
kusum: han koshis avashy karungi
 7:50 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
मैं: maan jee ko charan sparsh kahen
 7:52 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
kusum: maa ji to mujhse bahut door rahti hain
मैं: are. main samjha aap unke sath hain.
kusum: nahi
main abhi jamshedpur me hoon
 7:56 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
मैं: achchha. tata ki nagaree men tabhee aap fauladee sankalpon walee hain.
 7:59 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
kusum: kahan
kusum: kahan
fauladi sankalp hai
 8:01 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
मैं: videsh yatra ka...main to ghar aur daftar ke alava kaheen ja hee naheen pata. sara samay likhne men hee nikal jata hai.
 8:02 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
 8:02 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
kusum: ap to bahut hi samay dete hain lekhan ko
main to apke lekhan se kafi prabhavit hoon
 8:05 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
मैं: leejiye:
कोशिश कर-कर जब हार गए,
जब छूट सभी पतवार गए.
तब हरि की आयी याद उन्हें-
जो कहते हैं: 'सन्यस्त हुए.'
*
मधुशाला को चाहा सबने.
मधु-प्याला अवगाहा सबने.
मधुबाला के आँसू बहते-
अनदेखा कर सब मस्त हुए.
*
*
kusum: bahut khoob
 8:07 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
मैं: जीवन भर जोड़-जोड़ हारे.
हैं अंत परेशां बेचारे.
अपनों ने ही छल लिया उन्हें-
जग जीता, खुद से पस्त हुए.

*
 8:09 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
मैं: आकाश कुसुम के सब सपने.
टूटे जब सम्मुख थे नपने.
मुँह फेर लगे माला जपने-
सब महल अटारी ध्वस्त हुए.
*
aapka abhar.
kusum: vah apki rachana se man khush ho jata hai
मैं: main ti apka aabharee hoon.
kusum: kyon ?
मैं: ek to apke satsang men haiku aur geet ki rachna ho gayee.
kusum: abhari main hoon
ap kyon ?
मैं: doosare aapne n keval inhen jhela apitu saraha bhee. kavita ko jhelne ke liye fauladee kaleja chahiye na.
kusum: ise hi kahte hain namrvan shilvan
nahi mujhe to bahut achha lagta hai
मैं: are naheen...vah sab gun to mere pas chhadam bhar bhee naheen hai...mo sam kaun kutil khal kamee...
yah to aap jaise paras ke sparsh se loha bhee sona ho jata hai kuchh palon ke liye.
kusum: yah mujhse koi poochhe
apki main kitani ijjat karati hoon
मैं: yah to apkee udarta hai.
kusum: yah sachai hai
jitane bhi logon se on line parichay hui hai uname apko aur girish pankaj ji ki main bahut ijjat karti hoon
 8:19 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
मैं: pankaj ji to hain hee gunavaan...par main to nikamma hoon.
kusum: nahi aisa nahi hai
main nahi manti
मैं: aap jeeteen main hara...
kusum: han ab thik hai
8:22 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
मैं: jeetata to vahee hain n jismen samrthya aur gun hote hain. harta to vahee hai jo kisis kaam ka naheen hota.
 8:24 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
kusum: ab ap apani bat se mukar rahe hain
tay ho chuka tha
मैं: haan tay to ho chuka...main to sirf tay hue ko bayan kar raha tha..
kusum: thik hai
fir 8:26 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
मैं: kusum se milee haar kaante se milee jeet se behatar hai.
 8:30 PM बजे शुक्रवार को प्रेषित
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