short story: read & think
time and happiness

लघुकथा:
समय और प्रेम
किसी समय सुख, दुःख, प्रेम आदि भावनाएं समय के साथ एक द्वीप पर रहती थीं. एक दिन आकाशवाणी हुई कि द्वीप डूबनेवाला है. प्रेम को छोड़कर सभी ने तुरंत द्वीप छोड़ दिया. प्रेम ने अंतिम क्षण तक प्रतीक्षा की कि संभवतः द्वीप न डूबे. अंततः द्वीप के डूबने की घड़ी जानकर प्रेम ने द्वीप छोड़ने का निश्चय किया. एक बड़ी नाव में बैठ कर जा रहे समृद्धि को पुकारकर प्रेम ने पूछा: 'समृद्धि तुम मुझे अपने साथ ले सकोगी?'
'नहीं, मेरी नाव में बहुमूल्य सोना-चांदी है, तुम्हारे लिए जगह नहीं है.'
प्रेम ने खूबसूरत कक्ष में जा रहे सौन्दर्य को आवाज दी: 'सौन्दर्य! कृपया मेरी मदद करो'.
'नहीं, तुम भीगे हो, तुम्हारे आने से मेरा कक्ष ख़राब हो जायेगा.' सौन्दर्य बोला.
इस बीच निकट आ चुके दुःख से प्रेम ने कहा: 'दुःख मुझे अपने साथ चलने दो.'
'ओह।.. प्रेम मैं इतना दुखी हूँ कि एकाकी रहना चाहता हूँ.' दुःख ने कहा.
तभी समीप से सुख निकला किन्तु वह इतना सुखी था कि प्रेम की पुकार ही नहीं सुन सका.
अचानक एक वृद्ध की आवाज़ आई 'आओ, प्रेम मेरे साथ आ जाओ, मैं तुम्हें अपने साथ ले चलूँगा'. प्रेम इतना अधिक प्रसन्न हुआ कि वृद्ध से यह पूछना भी भूल गया कि वे कहाँ जा रहे हैं?' सूखी धरती पर आते ही वृद्ध अपनी राह पर चला गया। वृद्ध कितने परोपकारी थे यह अनुभव करते हुए प्रेम ने अन्य वृद्ध ज्ञान से पूछा: 'मेरी सहायता किसने की?'
'वह समय था' ज्ञान ने उत्तर दिया।
'किन्तु समय ने मेरी सहायता क्यों की?' प्रेमने पूछा।
ज्ञान ने समझदारी से मंद-मंद मुस्कुराते हुए कहा: ' क्योंकि केवल समय ही यह समझने में सक्षम है कि प्रेम कितना मूल्यवान है।'
**********