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रविवार, 17 अक्टूबर 2021

सरस्वती वंदना, डॉ. राजरानी शर्मा, मीना भट्ट

सरस्वती स्तवन
——————-
डॉ. राजरानी शर्मा
प्राध्यापक हिन्दी
जन्म : १२ . ०५ . १९५५
मथुरा उत्तर प्रदेश
एम. ए . पी-एचडी.
रामचरितमानस का शैलीवैज्ञानिक अध्ययन
१९८४ से उच्च शिक्षा म प्र शासन
शोध निदेशक
पूर्व अध्यक्ष अध्ययनमंडल जीवाजी वि वि ग्वालियर
कवयित्री , लेखिका , समीक्षक , आकाशवाणी दूरदर्शन के लिये नियमित लेखन !
*
मेरे हिरदै आन बिराजो सुरसती
तुम्हरी स्तुति गाऊँ ....
कर वीणा अरु वेदविभूषित
कमलहस्त वर पाऊँ
हंसासनी श्वेतवसना शुचि
हरख हरख गुन गाऊँ
मेरे हिरदै .....
तुम्हरी कृपा जो पाऊँ सारदे
जीवन धन्य बनाऊँ
सुभ मति सुभ गति दूध धोयौ मन
तुम्हरी कृपा ते पाऊँ
मेरे हिरदै आन बिराजो सुरसती ....
कछु कह पाऊँ कछु रच पाऊँ
जीवन जोत जगाऊँ सारदे
तेरी कृपा की कोर मिलै तौ
नित नव छंद सुनाऊँ
मेरे हिरदै आन बिराजो ......
सत्य लखूँ सुंदर सौ सोचूँ
लेखनि विमल बनाऊँ
वरदहस्त परसाद में पाऊँ
शिवमय कछु रच पाऊँ
मेरे हिरदै आन बिराजो .......
करूँ साधना अरथ अाखर की
चित चंदन कर पाऊँ
साधूँ सुर और ताल शब्द के
दिव्य अरथ के अर्घ्य चढ़ाऊँ
मेरे हिरदै आन बिराजो .......
पावन पुण्य लेखनी पाऊँ
पल पल तुम्हरी ओर निहारूँ
जग में आइवो सफल करूँ माँ
कृपा की जोति जगाऊँ ....
मेरे हिरदै आन बिराजो सुरसती
***
वंदना
रुपहरण धनाक्षरी
८,८,८,८,प्रति चरण चार चरण समतुकांत
चरणांत गुरु लघु
शारदे माँ बार बार
करूँ विनती विचार,
भर ज्ञान का भंडार,
विद्या दान दोअपार।
ज्ञान जीवन का सार,
उत्कर्ष का है आधार,
सफलता का है द्वार,
।शरण आयी तिहार ।
करता दूर विकार,
प्रतिभा देता निखार,
स्वपन होते साकार,
मानता कभी न हार।
हृदय रखो उदार,
चित्त दीजिए सुधार,
करूँ शारदे पुकार,
करदे माता उद्धार।
मीना भट्ट

शनिवार, 16 अक्टूबर 2021

सरस्वती वंदना, वीना श्रीवास्तव

सरस्वती माता - सकल विद्या दाता
दक्षिण भारत में खास करके तमिलनाडु में सरस्वती माता को विद्या का मूल और सब प्रकार के कला का कारण मानते हैं। विद्यारंभ के पहले "सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणी  विद्यारंभम करिश्यामी सिद्धिर भवतु मे सदा" मंत्र जपते हैं। रोज सुबह शाम जब घर पर दिया जलाया जाता है तब सरस्वती की वंदना की जाती है।
वीना श्रीवास्तव
जन्म - १४ सितंबर १९६६, हाथरस।
आत्मजा - स्व. रमा श्रीवास्तव - स्व. महेश चन्द्र श्रीवास्तव।
जीवन साथी श्री राजेंद्र तिवारी।
शिक्षा - स्नातकोत्तर (हिंदी, अंग्रेजी)।
संप्रति - पत्रकारिता, स्वतंत्र लेखन। अध्यक्ष- शब्दकार, सचिव- (साहित्य ) हेरिटेज झारखंड, कार्यकारी अध्यक्ष – ग्रीन लाइफ।
प्रकाशन - काव्य संग्रह - तुम और मैं, मचलते ख्वाब, लड़कियाँ (३ पुरस्कार), शब्द संवाद (संकलन व संपादन), खिलखिलाता बचपन (स्तंभ)
परवरिश करें तो ऐसे करें (स्तंभ)। संपादन ‘भोर धरोहर अपनी’ त्रैमासिकी।
उपलब्धि - नाटक “बेटी”, "हिम्मत" आकाशवाणी राँची से प्रसारित-पुरस्कृत, प्रभात खबर में स्तंभ लेखन, अंतरराष्ट्रीय सम्मान - मास्को, बुडापेस्ट, इजिप्ट (मिस्त्र), इंडोनेशिया- (बाली), जर्मनी (बुडापेस्ट) में, देश में अनेक सम्मान।
संपर्क - सी- २०१श्री राम गार्डन, कांके रोड, रिलायंस मार्ट के सामने, रांची ८३४००८ झारखंड।
चलभाष - ९७७१४३१९००। ईमेल - veena.rajshiv@gmail.com ।
ब्लॉग लिंक- http://veenakesur.blogspot.in/
*
शारदे माँ! मैं पुकारूँ
शारदे माँ! मैं पुकारूँ
हर पल तेरी बाट निहारूँ
सुर की नदिया तुम बहा दो
द्वेष की दीवार गिरा दो
मन में प्रेम के पुष्प खिलाके
सुर से सुर को तुम मिला दो
तू जो आए चरण पखारूँ
हर पल तेरी बाट निहारूँ
अंधकार को दूर करो माँ!
ज्ञान का संचार करो माँ!
मन मंदिर में दीप जला दो
नव स्वर से झंकार करो माँ!
तेरे दरस से भाग सँवारूँ
हर पल तेरी बाट निहारूँ
*
अपना पता बता दे या मेरे पास आजा
श्वेतांबरी, त्रिधात्री दृग में मेरे समा जा
एक हंस सुवासन हो सरसिज पे एक चरण हो
शोभित हो कर में वीणा, वीणा की मधुर धुन हो
मैं मंत्रमुग्ध नाचूँ, ऐसा समा बंधा जा
श्वेतांबरी त्रिधात्री दृग में मेरे समा जा
तेरा ज्ञान पुंज दमके वीणा के सुर भी खनके
तेरे पाद पंकजों की रज से धरा ये महके
हम धन्य होएँ माता हमको दरस दिखा जा
श्वेतांबरी त्रिधात्री दृग में मेरे समा जा
जहाँ शांति हर तरफ हो और प्रेम की धनक हो
अपनी ज़बां पे माता तेरे नाम के हरफ़ हों
हम भूल जाएँ सब कुछ ऐसी छवि दिखा जा
श्वेतांबरी त्रिधात्री दृग में मेरे समा जा
*

सरस्वती वंदना, रामदेवलाल 'विभोर'

सरस्वती वंदना 
महान वरदे!, सुजान स्वर दे
रामदेवलाल 'विभोर'
*
महान वरदे!, सुजान स्वर दे, सुनाद नि:सृत विचार हो माँ!
समस्त स्वर ले, समस्त व्यंजन, समस्त आखर निखार हो माँ!
सुशब्द हो माँ!, सूअरथ हो माँ!, सुरम्यता सब प्रकार हो माँ!
सुविज्ञ हो माँ!, सुसिद्ध हो माँ!, अदम्य अनुपम उदार हो माँ!
अमर्त्य हो माँ!, समर्थ हो माँ!, समग्रता का लिलार हो माँ!
सुबुद्धि हो माँ!, प्रबुद्ध हो माँ!, असीम आभा प्रसार हो माँ!
सुताल-लय माँ!, सुगीतमय माँ!, सुरागबोधक धमार हो माँ!
सुज्ञानदात्री, सुतानदात्री, अजस्र पावन मल्हार हो माँ!
अनंत हो, चिर वसंत हो माँ!, सुकीर्तिवर्धक बयार हो माँ!
सुश्रव्य हो माँ!, सुदृश्य हो माँ!, समग्र मानस-उभार हो माँ!
सुकंठ हो माँ!, सुपंथ हो माँ!, 'विभोर' कवि की पुकार हो माँ!
नमो भवानी!, विशुद्ध वाणी, अकूत करती दुलार हो माँ।
***

शुक्रवार, 15 अक्टूबर 2021

सरस्वती वंदना प्रभाती छंद पज्झटिका

सरस्वती वंदना
प्रभाती
छंद पज्झटिका, (८+s ४+s), १२१ निषिद्ध  
*
टेरे गौरैया जग जा रे!
मूँद न नैना, जाग शारदा
भुवन भास्कर लेत बलैंया
झट से मोरी कैंया आ रे!
ऊषा गुइयाँ रूठ न जाए
मैना गाकर तोय मनाए
ओढ़ रजैया मत सो जा रे!
टिट-टिट करे गिलहरी प्यारी
धौरी बछिया गैया न्यारी
भूखा चारा तो दे आ रे!
पायल बाजे बेद-रिचा सी
चूड़ी खनके बने छंद भी
मूँ धो सपर भजन तो गा रे!
बिटिया रानी! बन जा अम्मा
उठ गुड़िया का ले ले चुम्मा
रुला न आते लपक उठा रे!
अच्छर गिनती सखा-सहेली
महक मोगरा चहक चमेली
श्यामल काजल नजर उतारे
सुर-सरगम सँग खेल-खेल ले
कठिनाई कह सरल झेल ले
बाल भारती पढ़ बढ़ जा रे!
***

गुरुवार, 14 अक्टूबर 2021

सरस्वती वंदना

*सरस्वती वंदना*
ईसुरी

मोदी खबर शारदा लइयो ,
खबर बिराजी रइये।
मैं अपडा अच्छर ना जानौ,
भूली कड़ी मिलाइये ।।
***
-- मधु कवि
टेर यो मधु ने जब जननी कहि,
है अनुरक्त सुभक्त अधीना।
पांच प्यादे प्रमोद पगी चली
हे सहु को निज संग न लीना।
धाय के आय गई अति आतुर
चार भुजायो सजाय प्रवीना
एक में पंकज एक में पुस्तक
एक में लेखनी एक में वीना ।।
***

- संजीव 'सलिल'
*मुक्तिका*
*
विधि-शक्ति हे!
तव भक्ति दे।
लय-छंद प्रति-
अनुरक्ति दे।।
लय-दोष से
माँ! मुक्ति दे।।
बाधा मिटे
वह युक्ति दे।।
जो हो अचल
वह भक्ति दे।
****
*मुक्तक*
*
शारदे माँ!
तार दे माँ।।
छंद को नव
धार दे माँ।।
****
हे भारती! शत वंदना।
हम मिल करें नित अर्चना।।
स्वीकार लो माँ प्रार्थना-
कर सफल छांदस साधना।।
*
माता सरस्वती हो सदय।
संतान को कर दो अभय।।
हम शब्द की कर साधना-
हों अंत में तुझमें विलय।।
****

प्रभाती
*
टेरे गौरैया जग जा रे!
मूँद न नैना, जाग शारदा
भुवन भास्कर लेत बलैंया
झट से मोरी कैंया आ रे!
ऊषा गुइयाँ रूठ न जाए
मैना गाकर तोय मनाए
ओढ़ रजैया मत सो जा रे!
टिट-टिट करे गिलहरी प्यारी
धौरी बछिया गैया न्यारी
भूखा चारा तो दे आ रे!
पायल बाजे बेद-रिचा सी
चूड़ी खनके बने छंद भी
मूँ धो सपर भजन तो गा रे!
बिटिया रानी! बन जा अम्मा
उठ गुड़िया का ले ले चुम्मा
रुला न आते लपक उठा रे!
अच्छर गिनती सखा-सहेली
महक मोगरा चहक चमेली
श्यामल काजल नजर उतारे
सुर-सरगम सँग खेल-खेल ले
कठिनाई कह सरल झेल ले
बाल भारती पढ़ बढ़ जा रे!
***
शत-शत नमन माँ शारदे!, संतान को रस-धार दे।
बन नर्मदा शुचि स्नेह की, वात्सल्य अपरंपार दे।।
आशीष दे, हम गरल का कर पान अमृत दे सकें-
हो विश्वभाषा भारती, माँ! मात्र यह उपहार दे।।
*
हे शारदे माँ! बुद्धि दे जो सत्य-शिव को वर सके।
तम पर विजय पा, वर उजाला सृष्टि सुंदर कर सके।।
सत्पथ वरें सत्कर्म कर आनंद चित् में पा सकें-
रस भाव लय भर अक्षरों में, छंद- सुमधुर गा सकें।।
*****

जय जय वीणापाणी
*
जय माँ सरस्वती
जय हो मैया रानी।।
नित सीस नवावा मैं
शब्दा नू मैया
तद पेंट चढावा मैं।।
तू ज्ञान दी गंगा ऐं
अखरा विच तू ही
करदी मन चंगा ऐं।।
हुण तार सानु मैया
दे असीस अपणी
दिल डोले ना मैया।।
तू हंस वराजे ऐं
हथ वीणा सोहे
मन जोत जगावे ऐं।।
जो सरण पया मैया
बेडा उसदा तू
पार लगावे मैया।।
मेरा नां तार दयो
माथे हथ रख के
एे जीव सवार दयो।।
विद्या कमल लोचने
तेरी कृपा नाल
लग गुंगा बी बोलने।।
मात उर उजास परो
ओ मात शारदे
ऐहे करम सँवारो।।
इस कलम च वास करो
साँझ दी वेनती
माई स्वीकार करो।।
संगीता गोयल "साँझ"
नोएडा

*

बुधवार, 6 अक्टूबर 2021

सरस्वती द्वादश नाम, सरस्वती वंदना

माँ सरस्वती के द्वादश नाम
माँ सरस्वती के स्तोत्र, मन्त्र, श्लोक का ज्ञान न हो तो श्रद्धा सहित इन १२ नामों का १२ बार जप करना पर्याप्त है-
हंसवाहिनी बुद्धिदायिनी भारती।
गायत्री शारदा सरस्वती तारती।।
ब्रह्मचारिणी वागीश्वरी! भुवनेश्वरी!
चंद्रकांति जगती कुमुदी लो आरती।।
***
शारद वंदना
१ ममता बनर्जी "मंजरी"
हंसवाहिनी शारदे,तुम्हें नमन शतबार।
विद्या के आलोक से,कर दो जग उजियार।।
विद्यादाता तू कहलाती।
अज्ञानी को पथ दिखलाती।।
तेरे दर पर जो भी आए।
वापस खाली हाथ न जाए।।
दासी तेरे द्वार की,करती विनती आज।
हे माते ममतामयी,रख लो मेरी लाज।।
शरण पड़े हम तेरे द्वारे।
झोली भर दो आज हमारे।।
कृपा करो अब मुझपर मैया।
पार लगा दो मेरी नैया।।
सुन लो माते प्रार्थना,सुन लो करुण पुकार।
रोती बिटिया मंजरी,करो आज उद्धार।।
**
२ पंकज भूषण पाठक"प्रियम्
वर दे! माँ भारती तू वर दे
अहम-द्वेष तिमिर मन हर
शील स्नेह सम्मान भर दे।
वर दे! माँ शारदे तू वर दे।
बाल अबोध सुलभ मन
अविवेक अज्ञान सब हर ले
जड़ मूढ़ अबूझ सरल मन
बुद्धि विवेक विज्ञान कर् दे।
अनगढ़ अनजान अनल मन
सत्य असत्य का ज्ञान भर दे।
नव संचार विचार नव नव मन
नव प्रकाश नव विहान कर दे।
वर दे! माँ भारती तू वर दे।
**
३. देवानंद साहा"आनंद अमरपुरी"
जोय माँ सरस्वती............
जोय माँ सरोस्वती,आमरा तोमार सन्तान।
तोमार पूजोर नियमें,आमरा ओज्ञान ।
अंधकारे आछी आमरा,नेई कोनो ज्ञान।
तोमारी कृपाय होबे,आमादेर कोल्याण।
तोमार विनार आवाज़,केड़े नेय ध्यान।
तोमार हातेर बोय,बाडाय आमादेर ज्ञान।
हांस तोमार बाहोन,श्वेत बोस्त्रो पोरिधान।
आमरा चाई तोमार काछे,बुद्धि,विद्यादान।
पद्मासने शोभितो,दाउ एमोन बोरदान।
जीवन काटुक"आनंद"ए,कोरी तोमार गुणोगान।
**
४ अंजुमन 'आरज़ू'
आधार छंद,-पीयूष वर्ष छंद
मापनी 2122 2122 212
सरस्वती वंदना
शारदे यश विद्या बुद्धि ज्ञान दे ।
पर तनिक भी मत हमें अभिमान दे ॥
श्री कलाधारा सुनासा वरप्रदा ।
शारदा ब्राह्मी सुभद्रा श्रीप्रदा ।
भारती त्रिगुणा शिवा वागीश्वरी ।
गोमती कांता परा भुवनेश्वरी ॥1॥
पुण्य इस भारत धरा पर ध्यान दे ॥
शारदे यश विद्या बुद्धि ज्ञान दे ।
पर तनिक भी मत हमें अभिमान दे ॥
ज्ञानमुद्रा पीत विमला मालिनी ।
वैष्णवी भामा रमा सौदामिनी ॥
विंध्यवासा धूम्रलोचनमर्दना।
चित्रमान्यविभूषिता पद्मासना ॥2॥
लोकहित आलोक अंशुमान दे ॥
शारदे यश विद्या बुद्धि ज्ञान दे ।
पर तनिक भी मत हमें अभिमान दे ॥
चंद्रवदना चंद्रलेखविभूषिता ।
ज्ञानमुद्रा अंबिका सुरपूजिता ।
ब्रह्मजाया कालरात्रि स्वरात्मिका ।
चंद्रकांता ब्रह्मविष्णुशिवात्मिका ॥3॥
ज्ञान कितना है न इसका ज्ञान दे ॥
शारदे यश विद्या बुद्धि ज्ञान दे ।
पर तनिक भी मत हमें अभिमान दे ॥
**

शनिवार, 4 सितंबर 2021

सरस्वती वंदना, मिथिलेश बड़गैयाँ

******सरस्वती वंदना*******
ज्ञान का वरदान दे माँ सरस्वती,
द्वार पर लेकर खड़ी हूँ प्रार्थना।
काट दे अज्ञानता की बेड़ियाँ,
दूर कर दुर्बुद्धि के जंजाल माँ।
ज्ञान के आलोक से रोशन हृदय,
और कर दे जिंदगी खुशहाल माँ।।
मन-वचन,अंत:करण,निष्पाप हों,
कर सकूँ माँ ! आपकी आराधना।।
ज्ञान का वरदान-----------प्रार्थना।।
हर तरफ ईमान बिकता है यहाँ,
दुश्मनी की आँधियों का जोर है।
हो रहा चिंतन प्रदूषित इस कदर,
आचरण से आदमी कमजोर है।।
खो गई करुणा,हृदय पत्थर हुए,
खो गई है आजकल संवेदना।।
ज्ञान का वरदान*******प्रार्थना।।
माँ ! हमें सामर्थ्य दे,संकल्प की,
बुद्धिबल से शुद्धि की,उत्कर्ष की।
आचरण व्यवहार से गरिमामयी,
हो अमिट पहचान भारतवर्ष की।।
माँ ! यही अरदास, पूजा, वन्दना।
माँ!यही मंगल हृदय की कामना।।
ज्ञान का वरदान********प्रार्थना।।
मिथिलेश बड़गैयाँ

गुरुवार, 12 अगस्त 2021

सरस्वती वंदना

सरस्वती वंदना:
संजीव 'सलिल'
*
संवत १६७७ में रचित ढोला मारू दा दूहा से सरस्वती वंदना का दोहा :
सकल सुरासुर सामिनी, सुणि माता सरसत्ति.
विनय करीन इ वीनवुं, मुझ घउ अविरल मत्ति..
(सकल स्वरों की स्वामिनी, सुनो सरस्वती मात 
विनय करूँ सर नवा दो, अविरल मति सौगात) 
*
अम्ब विमल मति दे.....
*

हे हंस वाहिनी! ज्ञानदायिनी!!
अम्ब विमल मति दे.....
*
नन्दन कानन हो यह धरती।
पाप-ताप जीवन का हरती।
हरियाली विकसे.....
*
बहे नीर अमृत सा पावन।
मलयज शीतल शुद्ध सुहावन।
अरुण निरख विहसे.....
*
कंकर से शंकर गढ़ पायें।
हिमगिरि के ऊपर चढ़ जाएँ।
वह बल-विक्रम दे.....
*
हरा-भरा हो सावन-फागुन।
रम्य ललित त्रैलोक्य लुभावन।
सुख-समृद्धि सरसे.....
*
नेह-प्रेम से राष्ट्र सँवारें।
स्नेह समन्वय मन्त्र उचारें।
'सलिल' विमल प्रवहे.....
************************
२.
हे हंस वाहिनी! ज्ञानदायिनी!!
अम्ब विमल मति दे.....
जग सिरमौर बने माँ भारत.
सुख-सौभाग्य करे नित स्वागत.
आशिष अक्षय दे.....
साहस-शील हृदय में भर दे.
जीवन त्याग तपोमय करदे.
स्वाभिमान भर दे.....
*
लव-कुश, ध्रुव, प्रहलाद हम बनें.
मानवता का त्रास-तम् हरें.
स्वार्थ सकल तज दे.....
*
दुर्गा, सीता, गार्गी, राधा,
घर-घर हों काटें भव बाधा.
नवल सृष्टि रच दे....
*
सद्भावों की सुरसरि पावन.
स्वर्गोपम हो राष्ट्र सुहावन.
'सलिल' निरख हरषे...
******************
३.
हे हंस वाहिनी! ज्ञानदायिनी!!
अम्ब विमल मति दे.....
नाद-ब्रम्ह की नित्य वंदना.
ताल-थापमय सलिल-साधना
सरगम कंठ सजे....
*
रुन-झुन रुन-झुन नूपुर बाजे.
नटवर-नटनागर उर साजे.
रास-लास उमगे.....
*
अक्षर-अक्षर शब्द सजाये.
काव्य, छंद, रस-धार बहाये.
शुभ साहित्य सृजे.....
*
सत-शिव-सुन्दर सृजन शाश्वत.
सत-चित-आनंद भजन भागवत.
आत्मदेव पुलके.....
*
कंकर-कंकर प्रगटें शंकर.
निर्मल करें हृदय प्रलयंकर.
गुप्त चित्र प्रगटे.....
*
४.
हे हंस वाहिनी! ज्ञानदायिनी!!
अम्ब विमल मति दे.....
*
कलकल निर्झर सम सुर-सागर.
तड़ित-ताल के हों कर आगर.
कंठ विराजे सरगम हरदम-
सदय रहें नटवर-नटनागर.
पवन-नाद प्रवहे...
*
विद्युत्छटा अलौकिक वर दे.
चरणों में गतिमयता भर दे.
अंग-अंग से भाव साधना-
चंचल चपल चारू चित कर दे.
तुहिन-बिंदु पुलके....
*
चित्र गुप्त, अक्षर संवेदन.
शब्द-ब्रम्ह का कलम निकेतन.
जियें मूल्य शाश्वत शुचि पावन-
जीवन-कर्मों का शुचि मंचन.
मन्वन्तर महके...
****************

सोमवार, 23 नवंबर 2020

सरस्वती वंदना मालवी

 सरस्वती स्तवन

मालवी
संजीव
*
उठो म्हारी मैया जी
उठो म्हारी मैया जी, हुई गयो प्रभात जी।
सिन्दूरी आसमान, बीत गयी रात जी।
फूलां की सेज मिली, गेरी नींद लागी थी।
भाँत-भाँत सुपनां में, मोह-कथा पागी थी।
साया नी संग रह्या, बिसर वचन-बात जी
बांग-कूक काँव-काँव, कलरव जी जुड़ाग्या।
चीख-शोर आर्तनाद, किलकिल मन टूट रह्या।
छंद-गीत नरमदा, कलकल धुन साथ जी
राजहंस नीर-छीर, मति निरमल दीजो जी।
हात जोड़, शीश झुका, विनत नमन लीजो जी।
पाँव पडूँ लाज रखो, रो सदा साथ जी
***
मात सरस्वती वीणापाणी
मात सरस्वती वीणापाणी, माँ की शोभा न्यारी रे!
बाँकी झाँकी हिरदा बसती, यांकी छवि है प्यारी रे!
वेद पुराण कहानी गाथा, श्लोक छंद रस घोले रे!
बालक-बूढ़ा, लोग-लुगाई, माता की जय बोले रे !
मैया का जस गान करी ने, शब्द-ब्रह्म पुज जावे रे
नाद-ताल-रस की जै होवे, छंद-बंद बन जावे रे!
आल्हा कजरी राई ठुमरी, ख्याल भजन रच गांवां रे!
मैया का आशीष शीश पर, आसमान का छांवा रे!
***

सरस्वती - बृज

 सरस्वती स्तवन

बृज
*
मातु! सुनौ तुम आइहौ आइहौ,
काव्य कला हमकौ समुझाइहौ।
फेर कभी मुख दूर न जाइहौ
गीत सिखाइहौ, बीन बजाइहौ।
श्वेत वदन है, श्वेत वसन है
श्वेत लै वाहन दरस दिखाइहौ।
छंद सिखाइहौ, गीत सुनाइहौ,
ताल बजाइहौ, वाह दिलाइहौ।
*
सुर संधान की कामना है मोहे,
ताल बता दीजै मातु सरस्वती।
छंद की; गीत की चाहना है इतै,
नेकु सिखा दीजै मातु सरस्वती।
आखर-शब्द की, साधना नेंक सी
रस-लय दीजै मातु सरस्वती।
सत्य समय का; बोल-बता सकूँ
सत-शिव दीजै मातु सरस्वती।
*
शब्द निशब्द अशब्द कबै भए,
शून्य में गूँज सुना रय शारद।
पंक में पंकज नित्य खिला रय;
भ्रमरों लौं भरमा रय शारद।
शब्द से उपजै; शब्द में लीन हो,
शब्द को शब्द ही भा रय शारद।
ताल हो; थाप हो; नाद-निनाद हो
शब्द की कीर्ति सुना रय शारद।
*
संजीव
२२-११-२०१९

मंगलवार, 22 सितंबर 2020

सरस्वती वंदना शकुंतला तरार

 सरस्वती वंदना 26.11.2003

आया मचो आय सरसती जुहार करेंसे
हात जोडुन बिनती करून सरन-सरन इलेंसे
(काय पांय पड़ेंसे) काय लेजा रे होय रे सुंदर
आया के पांय पड़ेंसे||
गियान दएदे बिधया दएदे आरू दएदे बुधी
लिखुन पढुन खुरची बसेंदे नी रहें कोना तुरची
काय लेजा रे होय दादा नी रहें कोना तुरची ||
मयं भकवा मचो बुद ने बादर ढापली से
अगमजानी आया हाते किताब धरली से
काय लेजा रे होय दादा किताब धरली से ||
आया मके बुधी देसे पढुक जायेंदे
घर चो जमाय बायले पीला के पढुक सिखायेंदे
काय लेजा रे होय दादा पढुक सिखायेंदे ||
नानी बीजा माटी मिसुन गाजा फुटेसे
खिन्डिक खिन्डिक बाढून पाछे रुख होए से
काय लेजा रे होय दादा रुख होये से||
मचो बुद नानी बीजा तुय अकराउन देसे
अकरून पाछे खांदा फुटेदे डारा-पाना हलायदे
काय लेजा रे होय दादा पाना –डारा हलायदे||
पंडरी-पंडरी हांसा ने ए बोडेंदा फूलने बसे
हाते धरून सितार बाजा सुन्दर गीद के रचे
काय लेजा रे होय दादा सुंदर गीद के रचे||

श्रीमती शकुंतला तरार (अखिल भारतीय कवयित्री, साहित्यकार एवं स्वतंत्र पत्रकार )
जन्म तिथि : 15-07-1956 शासकीय
जन्म स्थान : तहसील पारा, कोंडागांव, जिला कोंडागांव ''बस्तर''( छत्तीसगढ़)
माता का नाम : स्व.जमुना देवी देवांगन
पिता का नाम : स्व. रतनलाल देवांगन
पति : श्री टी. सी. तरार (शासकीय कर्मचारी)
शिक्षा : एम.ए- राजनीति शास्त्र , एल.एल.बी.,
बी म्यूज, एम.ए.- हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत,
डिप्लोमा -लोक संगीत, डिप्लोमा-पत्रकारिता, डिप्लोमा-उर्दू भाषा
प्रकाशित पुस्तकें- : बन कैना -छत्तीसगढ़ी गीत संग्रह, 2001
: बस्तर का क्रांतिवीर गुन्डाधुर- हिंदी छंद ,
: बस्तर की लोक कथाएं- (नवसाक्षर साहित्य),
: बेटियाँ छत्तीसगढ़ की- ( नवसाक्षर साहित्य), (2006)
: टेपारी -हाइकु संग्रह (हल्बी) (2009)
: चूरी- नाटक (छत्तीसगढ़ी), (2009)
: घरगुंदिया -कविता संग्रह, (छत्तीसगढ़ी), (2009)
: मेरा अपना बस्तर -कविता संग्रह (हिंदी) (2009)
: महारानी प्रफुल्ल्कुमारी देवी- (एस.सी.ई.आर.टी द्वारा प्रकाशित)
: बस्तर चो फुलबाड़ी -(हल्बी बाल साहित्य ), (2017)
: बस्तर चो सुंदर माटी -(हल्बी बाल साहित्य) (2017)
: राँडी माय लेका पोरटा -–हल्बी गीति कथा –साहित्य अकादमी दिल्ली से 2018 में प्रकाशित |
सम्मान- : प्रथम देवांगन महिला साहित्यकार,पत्रकार सम्मान छत्तीसगढ़ 2002 (तत्कालीन प्रदेश देवांगन समाज द्वारा शिक्षा मंत्री के कर कमलों से)
: प्रभावती सम्मान 2005, सुलभ साहित्य अकादमी (नई दिल्ली)
: वरिष्ठ कवयित्री सम्मान व्यंजना संस्था रायपुर 20 मार्च 2005 (तत्कालीन महामहिम राज्यपाल (छत्तीसगढ़) श्री के. एम. सेठ जी के कर कमलों से )
: सुभद्रा कुमारी चौहान रजत स्मृति सम्मान 25 जून 2006
हिंदी भाषा साहित्य परिषद् खगड़िया (बिहार)
: वैभव प्रकाशन सम्मान रायपुर 8 जून 2001
(तत्कालीन शिक्षा मंत्री के कर कमलों से |)
: त्रिवेणी परिषद् जबलपुर (म.प्र.) 17 फरवरी 2007 |
: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस सम्मान 8 मार्च 2008 |
: हिंदी लेखिका संघ भोपाल (म.प्र.) 22 मार्च 2009 |
: गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी सम्मान रायपुर 28 दिसंबर 2013
: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस सम्मान-- जिला लोक शिक्षा समिति रायपुर (छ.ग.) 8 मार्च 2014 |
: राष्ट्रीय संगोष्ठी केन्द्रीय हिंदी निदेशालय द्वारा - हिंदी और लोक भाषाएँ - पं. रविशंकर शुक्ल विश्व विद्यालय से 2016 |
: अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस साहित्य सम्मान 2018 |
: आनंद साहित्य उत्सव सम्मान 27 जनवरी 2018 |
: स्थानीय अनेकों सम्मान |
दायित्वों का निर्वहन-
: संपादक- त्रैमासिक पत्रिका "नारी का संबल" जुलाई 2001 से निरंतर 19 वें वर्ष में |
: सह संपादक- "बिहनिया" त्रैमासिक शोध पत्रिका, संस्कृति विभाग, छत्तीसगढ़ शासन, 2002 से निरंतर
: सदस्य- राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान, गवर्निंग काउंसिल 2012 |
: सदस्य -बोर्ड ऑफ़ मेनेजमेंट जनशिक्षण संस्थान रायपुर, (मानव विकास मंत्रालय से सम्बद्ध)
: सदस्य-कलाकार कल्याण समिति, संस्कृति विभाग, रायपुर (छ.ग.)
: सदस्य -(आजीवन)-छत्तीसगढ़ राष्ट्र भाषा प्रचार समिति, रायपुर(छ.ग.)
: सदस्य - वातावरण निर्माण समिति, जिला साक्षरता समिति रायपुर (छ.ग.)
पूर्व दायित्वों का निर्वहन-
: सदस्य -श्रम सलाहकार परिषद्, श्रम मंत्रालय,छ.ग. शासन |
: उपाध्यक्ष -जिला देवांगन समाज, रायपुर(छ.ग.)
: अध्यक्ष- जिला देवांगन समाज रायपुर (छ.ग.)
: अध्यक्ष -(महिला प्रकोष्ठ) छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति
कार्य अनुभव एवं उपलब्धियां –
: संपादक- "नारी का संबल" 2001 से निरंतर उन्नीसवें वर्ष में|
: सह संपादक- बिहनिया 2002 से निरंतर आज अठारह वर्षों से |
: पूर्व फीचर संपादक एवं सह संपादक- दैनिक समवेत शिखर |
: पूर्व सह संपादन- समाचार लोक |
: संपादन- स्मारिका— स्व. झाड़ूराम देवांगन ( पंडवानी गायक)
: निर्णायक- आदिम जाति,अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग विभाग द्वारा आयोजित लोक कला महोत्सव में 2001 से 2012 तक निरंतर
(जिला विभाजन तक)|
: निर्णायक- जवाहर नवोदय विद्यालय, माना, रायपुर, राज्य स्तरीय सांस्कृतिक कार्यक्रम में निर्णायक 2001से निरंतर |
: डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माण- "शिल्प कला" पर इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र नई दिल्ली एवं संस्कृति विभाग, छत्तीसगढ़ शासन के संयुक्त तत्वावधान में |
: संयोजक--संस्कृति विभाग, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा आयोजित हस्तशिल्प मडई मेला प्रशिक्षण कार्यक्रम में कई वर्षों तक |
: छत्तीसगढ़ हाट दिल्ली---पर्यटन विभाग, रायपुर, छ.ग. द्वारा दिल्ली में आयोजित छत्तीसगढ़ हाट 2006 के शुभारम्भ अवसर पर छत्तीसगढ़ की व्यंजन, कला और संस्कृति से माननीया श्रीमती सुषमा स्वराज जी को परिचित कराने के दायित्व का निर्वहन |
: न्यूयार्क, अमेरिका यात्रा - आठवां विश्व हिंदी सम्मलेन 13-15 जुलाई 2007 में महिला प्रतिनिधित्व छत्तीसगढ़ से |
: मॉरीशस की यात्रा- विश्व हिंदी साहित्य सम्मलेन के तहत 12-18 सितम्बर 2010 में सृजन सम्मान द्वारा |
: प्रथम हरेली महोत्सव-- छ.ग. की कला, संस्कृति के संवर्धन संरक्षण हेतु 10 अगस्त 2010 को “नारी का संबल” के बैनर में |
: द्वितीय हरेली महोत्सव--छ.ग. की कला, संस्कृति के संवर्धन संरक्षण हेतु 30 जुलाई 2011 को “नारी का संबल” के बैनर में |
: सदस्य – कलाकार कल्याण परिषद् संस्कृति संचालनालय रायपुर (छ.ग.)
: सदस्य– महिला प्रताड़ना प्रकोष्ठ–जनसंपर्क संचालनालय रायपुर (छ.ग.)
: सदस्य –महिला प्रताड़ना प्रकोष्ठ –जिला जनसंपर्क कार्यालय रायपुर (छ.ग.)
: सदस्य –महिला प्रताड़ना प्रकोष्ठ – पाठ्य पुस्तक निगम रायपुर (छ.ग.)
: दूरदर्शन, आकाशवाणी, जी 24 घंटे, जी टीवी, ई.टीवी., दबंग चैनल मुंबई से कविताओं, वार्ताओं एवं कार्यक्रमों का प्रसारण |
: नक्सली क्षेत्र बस्तर में 35 वर्ष से अधिक समय तक रहकर लोगों के जीवन को देखने समझने और उस पर रचनात्मक सृजन कार्य का सुदीर्घ अनुभव है |
: छात्र जीवन से ही पिता के आशु कविताओं एवं माता-पिता दोनों के द्वारा गाए जाने वाले गीतों , लोक कथाओं, भजनों , आदि को सुनकर , भाई बहनों के प्रहसनों, अपने आसपास के आदिवासी परिवेश, आदिवासी संस्कृति के बीच पल बढ़कर उनके साथ गायन कर लिपिबद्ध करने की प्रेरणा. सर्वप्रथम आकाशवाणी जगदलपुर से हल्बी कविताओं का प्रसारण | सरिता, मुक्ता, नवभारत, दैनिक भास्कर, समवेत शिखर, अमृत सन्देश, देशबंधु, हरी भूमि, अग्रदूत, समाचार लोक, सुराज, स्वदेश, दैनिक प्रताप केसरी, दैनिक जन सन्देश, दैनिक राजस्थान किरण, दैनिक जगत क्रांति, नई दुनिया, हरि भूमि, छत्तीसगढ़ी सेवक (साप्ताहिक), समाज कल्याण (दिल्ली) आदि पत्र पत्रिकाओं में लेखों का प्रकाशन |
: आज तक सैकड़ों संगोष्ठियों में वक्ता और श्रोता के रूप में सहभागिता |
: अखिल भारतीय कवि सम्मेलनों में निरंतर काव्य पाठ |
: मंच संचालक –ग्रामीण स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक |
: हिंदी, छत्तीसगढ़ी एवं हल्बी की एकमात्र आंचलिक कवयित्री एवं हल्बी-भतरी की लोक गीत गायिका |
: रायपुर साहित्य महोत्सव 12-14 दिसंबर 2014 में सहभागिता ''बस्तर की बोलियाँ और साहित्य" विषय पर |
: केंद्रीय हिंदी निदेशालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय (उच्चतर शिक्षा विभाग) द्वारा औरंगाबाद महाराष्ट्र में आयोजित 10-17 जुलाई 2015 तक हिंदीतर भाषी नवलेखक शिविर में विशेष प्रशिक्षक ।
: साहित्य अकादमी दिल्ली द्वारा जगदलपुर छत्तीसगढ़ में 30-31 अक्टूबर 2015 को आयोजित हल्बी भाषा संगोष्ठी में कवयित्री के रूप में सहभागिता |
: त्रैमासिक पत्रिका “नारी का संबल” के बैनर में अनेकों कार्यक्रमों के सफल संचालन का अनुभव |
: साहित्य अकादमी दिल्ली की जूरी मेंबर 28 नवंबर 2016 |
: साहित्य अकादमी दिल्ली की जूरी मेंबर 28 नवंबर 2016 |
(श्रीमती शकुंतला तरार)
एकता नगर सेक्टर -2 ,प्लॉट न.-32,
गुढ़ियारी, रायपुर (छ.ग.)
मोबाईल: 09425525681, 7999982106
Email-shakuntalatarar7@gmail.com

शुक्रवार, 18 सितंबर 2020

सरस्वती -वंदना अमरनाथ

 सरस्वती -वंदना अमरनाथ लखनऊ (उ प्र,)

(शिव छंद- 11मात्रिक, चरणांत रगण)
-------माता शारदे-------
हे माता शारदे!
मत मुझे बिसार दे।
मैं तेरा पुत्र हूँ
मुझको भी प्यार दे।।
हे माता शारदे!
मुझको आशीष दे
विद्या की सीख दे।
संचारित बुद्धि हो,
विवेक तू सींच दे।
अनगढ़ हूँ मातु! मैं,
हाथ रख, सँवार दे।।
हे माता शारदे!
छाया चीत्कार है।
बस हाहाकार है।
हुआ बुद्धि शून्य मैं ,
घिरा अंधकार है।
कुछ न सुझाई पड़े,
चीर अंधकार दे।
हे माता शारदे!
अज्ञानी मूढ़, मैं।
नासमझ , विमूढ़ मैं।
थक अब, मैं तो चुका,
तुझे ढूँढ -ढूँढ , मैं।
मेरी अज्ञानता,
मातु! अब बुहार दे।
हे माता शारदे!!
---------------,-------,,-

शनिवार, 5 सितंबर 2020

सरस्वती वंदना

सरस्वती वंदना
लेखनी ही साध मेरी,लेखनी ही साधना हो।
तार झंकृत हो हृदय के,मात! तेरी वंदना हो।
शक्ति ऐसी दो हमें माँ,सत्य लिख संसार का दूँ।
सार समझा दूँ जगत का,ज्ञान बस परिहार का दूँ।
आन बैठो नित्य जिह्वा,कंठ में मृदु राग भर दो-
नाद अनहद बज उठे उर,प्राण निर्मल भावना हो।
काव्य हो अभिमान मेरा,तूलिका पहचान मेरी।
छंद रंगित पृष्ठ शोभित,वंद्य कूची शान मेरी।
छिन भले लो साज सारे,पर कलम को धार दो माँ-
मसि धवल शुचि नीर लेकर,अम्ब!तेरी अर्चना हो।
लिख सकूँ अरमान सारे,रच सकूँ इतिहास स्वर्णिम।
ठूँठ पतझर के हृदय पर,रख सकूँ मधुमास स्वर्णिम।
शब्द अभिधा अर्थ अभिनव,रक्त कणिका में घुला दो-
शारदे! निज कर बढ़ा दो,शुभ चरण आराधना हो।
लेखनी ही साध मेरी,लेखनी ही साधना हो।
तार झंकृत हो हृदय के,मात! तेरी वंदना हो।

रविवार, 2 अगस्त 2020

सरस्वती वंदना


सरस्वती वंदना
संजीव वर्मा ''सलिल''
*
हे हंस वाहिनी! ज्ञानदायिनी!!
अम्ब विमल मति दे.....
जग सिरमौर बनाएँ भारत.
सुख-सौभाग्य करे नित स्वागत.
आशिष अक्षय दे.....
साहस-शील हृदय में भर दे.
जीवन त्याग तपोमय करदे.
स्वाभिमान भर दे.....
लव-कुश, ध्रुव, प्रहलाद बनें हम.
मानवता का त्रास हरें हम.
स्वार्थ सकल तज दे.....
दुर्गा, सीता, गार्गी, राधा,
घर-घर हों काटें भव बाधा.
नवल सृष्टि रच दे....
सद्भावों की सुरसरि पावन.
स्वर्गोपम हो राष्ट्र सुहावन.
'सलिल'-अन्न भर दे...
*

सोमवार, 30 मार्च 2020

सरस्वती वंदना

सरस्वती वंदना
वन्दे शारदे
मुझे बुद्धि वर दे
मृदु स्वर दे ।
वीणा वादिनी
राग द्वेष हर ले
मुझे वर दे ।
करूँ याचना
दया भाव भर दे
मानवता दे ।
मधुमय हो
पल-पल जीवन
शान्ति वर दे ।
जाति धर्म का
कोई भेद रहे ना
भाव भर दे ।
देश प्रेम ही
लक्ष्य हो जीवन का
ऐसा वर दे ।
हंस वाहिनी
आया शरण तेरी
पाद रज दे ।
हर पल मैं
तेरे ही गुण गाऊं
मुझे स्वर दे ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800

गुरुवार, 5 मार्च 2020

सरस्वती वंदना

सरस्वती वंदना
*
हे हंस वाहिनी! ज्ञानदायिनी!!
अम्ब विमल मति दे.....
जग सिरमौर बनाएँ भारत.
सुख-सौभाग्य करे नित स्वागत.
आशिष अक्षय दे.....
साहस-शील हृदय में भर दे.
जीवन त्याग तपोमय करदे.
स्वाभिमान भर दे.....
लव-कुश, ध्रुव, प्रहलाद बनें हम.
मानवता का त्रास हरें हम.
स्वार्थ सकल तज दे.....
दुर्गा, सीता, गार्गी, राधा,
घर-घर हों काटें भव बाधा.
नवल सृष्टि रच दे....
सद्भावों की सुरसरि पावन.
स्वर्गोपम हो राष्ट्र सुहावन.
'सलिल'-अन्न भर दे...

शुक्रवार, 17 जनवरी 2020

मुक्तिका हाड़ौती सरस्वती वंदना

मुक्तिका हाड़ौती
सरस्वती वंदना
*
जागण दै मत सुला सरसती
अक्कल दै मत रुला सरसती
बावन आखर घणां काम का
पढ़बो-बढ़बो सिखा सरसती
ज्यूँ दीपक; त्यूँ लड़ूँ तिमिर सूं
हिम्मत बाती जला सरसती
लीक पुराणी डूँगर चढ़बो
कलम-हथौड़ी दिला सरसती
आयो हूँ मैं मनख जूण में
लख चौरासी भुला सरसती
नांव सुमरबो घणूं कठण छै
चित्त न भटका, लगा सरसती
जीवण-सलिला लांबी-चौड़ी
धीरां-धीरां तिरा सरसती
***
संजीव
१८-११-२०१९