कुल पेज दृश्य

aharnish chhand लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
aharnish chhand लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

सोमवार, 15 अप्रैल 2019

अहर्निश छंद

अहर्निश छंद:
*
विधान: प्रति पद तीन चरण, १०-८-६ पर यति, कुल कलाएँ २४, पदांत गुरु।

लक्षण छंद:
रच छंद अहर्निश, दस अठ छह नित, गुरु सुमिरो।
सिय राम पुकारो, मिल प्रभु प्यारों, भजन करो।।
जब जो घटना है, तब घटता है, सहन करो।
हनुमत सम चुप रह, कुछ न कभी कह, नमन करो।।
*
उदाहरण:
ध्वज लहर लहर कर, फहर फहर कर, गुण गाता।
जो बलिदानी हैं, उन्हें न भूलो, समझाता।।
कर गर्व देश पर, भारतवासी, तर जाता।
अरि-शीश काटकर, निज बलि देकर, जी जाता।।
***
टीप:  अहर्निश छंद की लय त्रिभंगी छंद से मिलती है। त्रिभंगी के १०-८-८-६ के ४ चार चरण में से ८ मात्रिक एक चरण निकल दें तो १०-८-६ के तीन चरण और पदांत गुरु शेष रहता है जो अहर्निश छंद है।
त्रिभंगी
रस-सागर पाकर, कवि ने आकर, अंजलि भर रस-पान किया।
ज्यों-ज्यों रस पाया, मन भरमाया, तन हर्षाया, मस्त हिया।।
कविता सविता सी, ले नवता सी, प्रगटी जैसे जला दिया।
सारस्वत पूजा, करे न दूजा, करे 'सलिल' ज्यों अमिय पिया।।
अहर्निश (उक्त का तीसरा चरण हटाकर)
रस-सागर पाकर, कवि ने आकर, पान किया।
ज्यों-ज्यों रस पाया, मन भरमाया, मस्त हिया।।
कविता सविता सी, ले नवता सी, जला दिया।
सारस्वत पूजा, करे न दूजा, अमिय पिया।।
उक्त का दूसरा चरण हटाकर 
रस-सागर पाकर, अंजलि भर रस-पान किया।
ज्यों-ज्यों रस पाया,  तन हर्षाया, मस्त हिया।।
कविता सविता सी, प्रगटी जैसे जला दिया।
सारस्वत पूजा, करे 'सलिल' ज्यों अमिय पिया।।
***