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सोमवार, 19 जुलाई 2010

मुक्तिका: ...लिख दे संजीव 'सलिल'

मुक्तिका:

...लिख दे

संजीव 'सलिल'
*
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*
सच को छिपा कहानी लिख दे.
कुछ साखी, कुछ बानी लिख दे..

लोकनीति पहचानी लिख दे.
राजनीति अनजानी लिख दे..

चतुर न बन नादानी लिख दे.
संयम तज मनमानी लिख दे..

कर चम्बल को नेह नर्मदा.
प्यासा मरुथल पानी लिख दे..

हिन्दी तेरी अपनी माँ है.
कभी संस्कृत नानी लिख दे..

जोड़-जोड़ कर जीवन गुजरा.
अब हाथों पर दानी लिख दे..

जंगल काटे पर्वत खोदे.
'सलिल' धरा है धानी लिखदे..

ढाई आखर 'सलिल' सीख ले.
दुनिया आनी-जानी लिख दे..

'सलिल' तिमिर में तनहाई है
परछाईं बेगानी लिख दे..

*********
Acharya Sanjiv Salil

http://divyanarmada.blogspot.com

मंगलवार, 29 जून 2010

गीत: आँख का पानी ---संजीव 'सलिल'

नवगीत:
आँख का पानी
संजीव 'सलिल'
*
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*
आँख का पानी न सूखे,
आँख का पानी...
*
सुबह सूरज उगे या संझा ढले.
नहीं पल भर भी कभी निज कर मले.
कहे नानी नित कहानी सुन-गुनो-
श्रम-रहित सपना महज खुद को छले.
जल बचा पौधे लगा
भू को करो धानी.
आँख का पानी न सूखे,
आँख का पानी...
*
भुलाकर मतभेद सबसे मिल गले.
हो नहीं मन-भेद अपनापन पले.
सभी अपने किसे कहता गैर तू-
तभी तो कुल-दीप के हाथों जले.
ढाई आखर सुन-सुनाने
कहे तू बानी.
आँख का पानी न सूखे,
आँख का पानी...
*
कबीरा का ठाठ राजा को खले.
कोई बंधन नहीं मन-मर्जी चले.
ठेठ दिल को छुए साखी क्यों भला?
स्वार्थ सब सर्वार्थ-भट्टी में जले.
जोड़ मरती रिक्त हाथों
जिंदगानी.
आँख का पानी न सूखे,
आँख का पानी...
*