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सोमवार, 30 मार्च 2020

सरस्वती वंदना

सरस्वती वंदना
वन्दे शारदे
मुझे बुद्धि वर दे
मृदु स्वर दे ।
वीणा वादिनी
राग द्वेष हर ले
मुझे वर दे ।
करूँ याचना
दया भाव भर दे
मानवता दे ।
मधुमय हो
पल-पल जीवन
शान्ति वर दे ।
जाति धर्म का
कोई भेद रहे ना
भाव भर दे ।
देश प्रेम ही
लक्ष्य हो जीवन का
ऐसा वर दे ।
हंस वाहिनी
आया शरण तेरी
पाद रज दे ।
हर पल मैं
तेरे ही गुण गाऊं
मुझे स्वर दे ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
8265821800

रविवार, 30 अगस्त 2009

एक कविता: कीर्तिवर्धन

खुदा ना बनाओ
मेरे मालिक!
मुझे इंसान बना रहने दो
खुदा ना बनाओ
बना कर खुदा मुझको
अपने रहम ओ करम से
महरूम ना कराओ।
पडा रहने दो मुझको
गुनाहों के दलदल में
ताकि तेरी याद सदा
बनी रहे मेरे दिल मे।
अपनी रहमत की बरसात
मुझ पर करना
मुझे आदमी से बढ़ा कर
इंसान बनने की ताकत देना।
तेरी हिदायतों पर अमल करता रहूँ
मुझे इतनी कुव्वत देना।
तेरे जहाँ को प्यार कर सकूं
मुझे इतनी सिफत देना।

मेरे मालिक!
मुझे खुदा ना बनाना
बस इंसान बने रहने देना।
मुझे डर है कहीं
बनकर खुदा
मैं खुदा को ना भूल जाऊँ
खुदा बनने गुरूर मे
गुनाह करता चला जाऊँ।

मेरे मालिक!
अपनी मेहरबानी से
मुझे खुदा ना बनाना।
सिर्फ़ अपनी नज़रे-इनायत से
मुझे इंसान बनाना।
गुस्ताखी ना होने पाये मुझसे
किसी इंसान की शान मे
मेहरबानी हो तेरी मुझ पर
बना रहूँ इंसान मैं.

* * *