छंद बहर का मूल है: १
छंद परिचय:
दस मात्रिक दैशिक जातीय भव छंद।
षडवार्णिक गायत्री जातीय सोमराजी छंद।
संरचना: ISS ISS,
सूत्र: यगण यगण, यय।
बहर: फ़ऊलुं फ़ऊलुं ।
*
कहेगा-कहेगा
सुनेगा-सुनेगा।
हमारा-तुम्हारा
फ़साना जमाना।
मिलेंगे-खिलेंगे
चलेंगे-बढ़ेंगे।
गिरेंगे-उठेंगे
बनेंगे निशाना।
न रोके रुकेंगे
न टोंके झुकेंगे।
कभी ना चुकेंगे
हमें लक्ष्य पाना।
नदी हो बहेंगे
न पीड़ा तहेंगे।
ख़ुशी से रहेंगे
सुनाएँ तराना।
नहीं हार मानें
नहीं रार ठानें।
नहीं भूल जाएँ
वफायें निभाना।
***
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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मंगलवार, 13 अप्रैल 2021
भव छंद सोमराजी छंद
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शुक्रवार, 12 मार्च 2021
भव छंद
छंद सलिला:
भव छंद
संजीव
* लक्षण: जाति रौद्र, पद २, चरण ४, प्रति चरण मात्रा ११, चरणान्त लघु गुरु गुरु या गुरु
लक्षण छंद:
एकादश पग रखो, भवसिंधु पार करो
चरण आदि मन चाहा, चरण अंत गुरु से हो
उदाहरण:
१. आशा का बीज बो, कोशिश से फसल लो
श्रम सीकर नर्मदा, भव तारें वर्मदा
२. सूर्य चन्द्र सितारा, सकल जगत निखारा
भव को जब निहारा, खुद को भी बिसारा
रूप-रंग सँवारा, असुंदर न गवारा
सच जिसने बिसारा, रण न लड़ रण हारा
३. समय शिला पर लिखो, सबसे आगे दिखो
शब्द नये उकेरो, नव उजास बिखेरो
४. नित्य हरि गुण गाओ, मन में शांति पाओ
छन्दों में मन रमा, कष्टों को दो भुला
(अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, ककुभ, कीर्ति, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, छवि, जाया, तांडव, तोमर, दीप, दोधक, नित, निधि, प्रदोष, प्रेमा, बाला, भव, मधुभार, मनहरण घनाक्षरी, माया, माला, ऋद्धि, रामा, लीला, वाणी, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शिव, शुभगति, सार, सिद्धि, सुगति, सुजान, हंसी)
१२-३-२०१४
भव छंद
संजीव
* लक्षण: जाति रौद्र, पद २, चरण ४, प्रति चरण मात्रा ११, चरणान्त लघु गुरु गुरु या गुरु
लक्षण छंद:
एकादश पग रखो, भवसिंधु पार करो
चरण आदि मन चाहा, चरण अंत गुरु से हो
उदाहरण:
१. आशा का बीज बो, कोशिश से फसल लो
श्रम सीकर नर्मदा, भव तारें वर्मदा
२. सूर्य चन्द्र सितारा, सकल जगत निखारा
भव को जब निहारा, खुद को भी बिसारा
रूप-रंग सँवारा, असुंदर न गवारा
सच जिसने बिसारा, रण न लड़ रण हारा
३. समय शिला पर लिखो, सबसे आगे दिखो
शब्द नये उकेरो, नव उजास बिखेरो
४. नित्य हरि गुण गाओ, मन में शांति पाओ
छन्दों में मन रमा, कष्टों को दो भुला
(अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, ककुभ, कीर्ति, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, छवि, जाया, तांडव, तोमर, दीप, दोधक, नित, निधि, प्रदोष, प्रेमा, बाला, भव, मधुभार, मनहरण घनाक्षरी, माया, माला, ऋद्धि, रामा, लीला, वाणी, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शिव, शुभगति, सार, सिद्धि, सुगति, सुजान, हंसी)
१२-३-२०१४
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