नवगीत:
संजीव
*
अँगना सूना
बिन गौरैया
उषा उदास
न कलरव बाकी
गुमसुम है
मुँडेर वह बाँकी
शुक-शिशु
करे न
ता-ता-थैया
चुग्गा-दाना
किसे खिलायें?
कौन कीट का
भोग लगाये
कौन चुगे कृमि
बेकल गैया
संझा बेकल
खिड़की सूनी
कल खो गयी
बेकली दूनी
गुम पछुआ
पुरवैया
-------