हिंदी शब्द सलिला : १९ संजीव 'सलिल'*
संकेत : अ.-अव्यय, अर. अरबी, अक्रि.-अकर्मक क्रिया, अप्र.-अप्रचलित, अर्थ.-अर्थशास्त्र, अलं.- अलंकार, अल्प-अल्प (लघुरूप) सूचक, आ.-आधुनिक, आयु.-आयुर्वेद, इ.-इत्यादि, इब.-इबरानी, उ. -उर्दू, उदा.-उदाहरण, उप.-उपसर्ग, उपनि.-उपनिषद, अं.-अंगिका, अंक.-अंकगणित, इ.-इंग्लिश/अंगरेजी, का.-कानून, काम.-कामशास्त्र, क्व.-क्वचित, ग.-गणित, गी.-गीता, गीता.-गीतावली, तुलसी-कृत, ग्रा.-ग्राम्य, ग्री.-ग्रीक., चि.-चित्रकला, छ.-छतीसगढ़ी, छं.-छंद, ज.-जर्मन, जै.-जैन साहित्य, ज्या.-ज्यामिति, ज्यो.-ज्योतिष, तं.-तंत्रशास्त्र, ति.-तिब्बती, तिर.-तिरस्कारसूचक, दे.-देशज, देव.-देवनागरी, ना.-नाटक, न्या.-न्याय, पा.-पाली, पारा.- पाराशर संहिता, पु.-पुराण, पुल.-पुल्लिंग, पुर्त. पुर्तगाली, पुरा.-पुरातत्व, प्र.-प्रत्यय, प्रा.-प्राचीन, प्राक.-प्राकृत, फा.-फ़ारसी, फ्रे.-फ्रेंच, ब.-बघेली, बर.-बर्मी, बहु.-बहुवचन, बि.-बिहारी, बुं.-बुन्देलखंडी, बृ.-बृहत्संहिता, बृज.-बृजभाषा बो.-बोलचाल, बौ.-बौद्ध, बं.-बांग्ला/बंगाली, भाग.-भागवत/श्रीमद्भागवत, भूक्रि.-भूतकालिक क्रिया, मनु.-मनुस्मृति, महा.-महाभारत, मी.-मीमांसा, मु.-मुसलमान/नी, मुहा. -मुहावरा, यू.-यूनानी, यूरो.-यूरोपीय, योग.योगशास्त्र, रा.-रामचन्द्रिका, केशवदास-कृत, राम.- रामचरितमानस-तुलसीकृत, रामा.- वाल्मीकि रामायण, रा.-पृथ्वीराज रासो, ला.-लाक्षणिक, लै.-लैटिन, लो.-लोकमान्य/लोक में प्रचलित, वा.-वाक्य, वि.-विशेषण, विद.-विदुरनीति, विद्या.-विद्यापति, वे.-वेदान्त, वै.-वैदिक, व्यं.-व्यंग्य, व्या.-व्याकरण, शुक्र.-शुक्रनीति, सं.-संस्कृत/संज्ञा, सक्रि.-सकर्मक क्रिया, सर्व.-सर्वनाम, सा.-साहित्य/साहित्यिक, सां.-सांस्कृतिक, सू.-सूफीमत, सूर.-सूरदास, स्त्री.-स्त्रीलिंग, स्मृ.-स्मृतिग्रन्थ, ह.-हरिवंश पुराण, हिं.-हिंदी.
'अग' से प्रारंभ शब्द : ६.
संजीव 'सलिल'*
अग्नि - स्त्री. सं. आग, पंच महाभूतों/पंचतत्वों में से तेज तत्व, प्रकाश, उष्णता, गर्मी, गरमी, जठराग्नि, पित्त, अग्निकर्म जलने की क्रिया, सोना, ३ की संख्या (वैद्यक/आयुर्वेद के अनुसार अग्नि के ३ भेद: १. भौमाग्नि=काष्ठादि से उत्पन्न, २. दिव्याग्नि = उल्का, विद्युत्, तड़ित आदि, ३. जठराग्नि = उदार/पेट में उत्पन्न अग्नि. कर्मकांड के अनुसार ३ अग्नियाँ: गार्हपत्य, आहवनीय, दक्षिणाग्नि. शरीरस्थ १० अग्नियाँ: भ्राजक, रंजक, क्लेदक, स्नेहक, धारक, बंधक, द्रावक,व्यापक, मापक, श्लेष्मक), चित्रक, नीबू, भिलावाँ,' र' का प्रतीक.-
कण-पु. चिंगारी, चिन्गारी.-
कर्म/
कर्मन -पु. अग्निहोत्र, शवदाह, अंत्येष्टि, गर्म लोहे से दागना.-
कला-स्त्री. अग्नि के दशविध अवयवों-वर्णों या मूर्तियों में से कोई एक.-
काण्ड/
कांड-पु.
आग लगाना, जलाना, आगजनी.-
कारिका-स्त्री. 'अग्निदूतं पुरोदधे...' मन्त्र जिससे अग्न्याध्यान किया जाता है.-
कार्य- पु. अग्नि में आहुति देना, लोहे से दागना, गर्म तेल आदि से अर्बुद/मस्से आदि को जलाना, देखें 'प्रतिसारण'.-
काष्ठ- पु. अरणीकी लकड़ी.-कीट-पु. समंदर नामक कीड़ा.-
कुण्ड/
कुंड-पु. वेदी, हवनकुंड.-
कुक्कुट-पु. लूका.-
कुमार-पु. शिवके पुत्र कार्तिकेय, एक अग्निवर्धक रस. -
कुल-पु.क्षत्रियों का एक वंश जिसकी उत्पत्ति अग्निकुंड से मान्य है: परमार,
परिहार,चालुक्य/सोलंकी, चौहान/चव्हाण.-
केतु-पु. धुआँ, शिव, रावण सेना के दो राक्षस जो राम द्वारा मारे गये थे.-
कोण-पु., आग्नेय-पु.-
दिक्/
दिशा-स्त्री. पूर्व-दक्षिण का कोना,-
क्रिया-स्त्री. शव का दाह, दागना.-
क्रीड़ा-स्त्री. आतिशबाजी, रंग-बिरंगी विद्युत्-सज्जा, बिजली से सजावट.-
गर्भ- वि.जिसके अन्दर आग हो, जिससे आग उत्पन्न हो. पु. अरनी, सूर्यकांत मणि, आतिशी शीशा. -
पर्वत-पु. ज्वालामुखी पहाड़,.-
गर्भा-स्त्री. शमी वृक्ष, महाज्योतिष्मती लता, पृथ्वी.-
गृह-पु.होमाग्नि रखने का स्थान.-
चक्र-शरीर के अन्दर के ६ चक्रों में से एक योग.-
चय/
चयन- पु. अग्न्याधान/अग्न्याधान करने का मन्त्र,-
चित-अग्निहोत्री,-
ज/
जन्म/
जन्मा/जात-पु. अग्निजार वृक्ष, सुवर्ष, कार्तिकेय, विष्णु.वि. अग्नि से उत्पन्न, अग्नि उत्पन्न करनेवाला/अग्निद, पाचक.-
जार/
जाल-पु.सिन्धुफला, गजपिप्पली का पेड़.-
जिव्ह-पु. देवता, वाराह रूपधारी विष्णु, वि. अग्नि ही जिसकी जीभ है.-
जिव्हा-स्त्री. आग की लपट, अग्नि की ७ जीभें काली, कराली, मनोजवा, सुलोहिता,धूम्रवर्णा, उग्रा, प्रदीप्ता, लांगली वृक्ष, जिसकी जीभ आग उगलती हो, जिसके बोलने से सुननेवाले को आग लगने की तरह प्रतीत हो.-
जीवी/
विन-पु. अग्नि के आधार पर काम करनेवाला/जिसका काम बिना अग्नि के न हो सके-सुनार, लुहार, हलवाई आदि. -
ज्वाल- पु. शिव.-
ज्वाला-स्त्री.
आग की लपट, जलपिप्पली, घातकी.-
टुंडावती-स्त्री. अजीर्ण दूर करने की एक गोली आयु.-
तेजा/
तेजस- वि. अग्नि सदृश तेजधारी.-
त्रय-
पु.-
त्रेता/त्रयी- स्त्री. यथाविधि स्थापित ३ प्रकार की अग्नि गार्हपत्य, आहवनीय, रक्षित. -
दंड- पु. आग में जलाने का दंड.-
द- पु. आग देने/लगाने वाला दाहक, जलानेवाला.-
दग्ध-वि. चिता पर विधिवत जलाया गया.पु. एक पितृवर्ग.-
दमनी-स्त्री. एक क्षुप.-
दाता/
तृ-पु. अंतिम कृत्य (दाहकर्म) करनेवाला. -
दान-पु. जलाना, शवदाह,-
दिव्य-पु.अग्निपरीक्षा,-
दीपक-वि. पाचनशक्तिवर्धक,-
दीपन-पु. जठराग्नि का दीपन, पाचनशक्ति की वृद्धि, पाचनशक्तिवर्धक औषधि. -
दीप्ता- स्त्री. महाज्योतिष्मती लता.-
दूत-पु. यज्ञ, यज्ञ में आवाहित देवता.-
देव-अग्नि भगवान -'प्रगटे अगिनी देव चरु लीन्हें' राम.-
देवा-स्त्री. कृत्तिका नक्षत्र.-
धान- पवित्र अग्नि रखने का स्थान.-
नक्षत्र-कृत्तिका नक्षत्र.-
निर्यास- पु. अग्निजार वृक्ष.-
नेत्र- पु. देवता मात्र.-
पक्व-वि. आगपर पकाया हुआ.-
पथ-पु. जलते अंगारे जिन पर भक्त चलते हैं, डॉ. हरिवंशराय बच्चन की प्रसिद्ध कविता, अमिताभ बच्चन अभिनीत हिन्दी चलचित्र.
-
परिक्रिया-स्त्री. अग्निचर्या, होमादि करना.-
परिगृह-पु. शास्त्रोक्त अग्नि को अखंड रखने का व्रत.-
परिधान-पु. यज्ञाग्नि को परदेसे घेरना.-
परीक्षा-स्त्री. अग्नि द्वारा परीक्षा,जलती आग या खौलते तेल से किसी के दोषी/
निर्दोष होने की जाँच, सोने-चाँदीआदि को आग में तपकर परखना, कठिन परीक्षा.-पर्वत-पु. ज्वालामुखी पहाड़ -पुराण-पु. महर्षि व्यास द्वारा लिखे गये १८ महापुराणों में
से एक जिसे अग्नि ने सर्वप्रथम वशिष्ठ ऋषि को सुनाया था.-
पूजक-पु. आग की पूजा करनेवाला, पारसी.-
प्रणयन-पु. अग्निहोत्रकी अग्नि का मन्त्रपूर्वक संस्कार करना.-
प्रतिष्ठा-स्त्री. धार्मिक कृत्यों विशेषकर विवाह के अवसर पर अग्नि का आवाहन-पूजन.-
प्रवेश-पु. आग में प्रवेश, स्त्री का पति की चिता में प्रवेश.-
प्रस्तर-पु. चकमक पत्थर.-
बाण- वह तीर जिससे आग की लपट निकले.
बाहु-धुआँ, स्वायंभुव मनु का एक पुत्र.-
बीज- सोना, 'र' अक्षर.-
भ-पु. सोना, कृत्तिका नक्षत्र. वि. अग्नि जैसा चमकनेवाला.-
भक्षक/भक्षी-आग खानेवाला. -
भू-पु.कार्तिकेय.-
भूति-अंतिम तीर्थ करके लौटे ११ शिष्यों में से एक.-
मंथ/
मंथन-अरणी से रगड़कर आग उत्पन्न करना/इस हेतु प्रयुक्त मंत्र, गनयारी का पेड़.-
मथ-पु. अरनी की दो टहनियों से रगड़कर आग उत्पन्न करनेवाला याज्ञिक, अग्निमंथनका मंत्र. अरणीकी लकड़ी.-
मणि- पु. सूर्यकांत मणि, आतिशी शीशा.-
मान्द्य-पु. जठराग्नि का मंद हो जाना, मन्दाग्नि, हाजमें की खराबी.-
मारुति-पु. अगस्त्य ऋषि.-
मित्र-पु. शुंगवंशका एक राजा, पुष्यमित्र का बेटा.
मिसाइल-स्त्री.भारत का प्रक्षेपास्त्र जो सुदूर लक्ष्य का अचूक भेदन करने में सक्षम है.-
मुख-ब्राम्हण, देवता, प्रेत, अग्निहोत्री, चीते का पेड़,
भिलावाँ, एक अग्निवर्धक चूर्ण.-
मुखी-स्त्री. गायत्री मंत्र, भिलावाँ, पाकशाला.-
युग-पु. ज्योतिष में मानेगये ५ युगों में से एक.-
योजन-पु. अग्नि प्रज्वलित करने की क्रिया.-
रंजक-वि. आग से मनोरंजन करनेवाला.-
रंजन-आग से खेलकर मनोरंजन करने की कला.-
रजा/
रजस-पु. बीरबहूटी, वर्षाकाल के बाद हरी घास में मिलनेवाला लाल-मखमली कीड़ा, सोना.-
रहस्य-पु. अग्नि की उपासना का रहस्य, शतपथ ब्राम्हण का दसवाँ काण्ड.-
रक्षक-पु. आगसे बचानेवाला/लड़नेवाला, फायरफाइटर.-
रुहा-स्त्री. मांसरोहिणी नामक पौधा,-
रेता/
रेतस-पु. सोना.-
रोधक- पु. वि. वारक, आग से बचनेवाला, जिस पर आग असर न करे, फायरप्रूफ देखें अग्निसह.इ.-
रोहिणी-स्त्री. काँख में
निकलनेवाला फोड़ा जिसमें ज्वर होता है, कँखौरी.-लिंग-पु. आग की लपट


देखकर शुभाशुभ बताने की विद्या.-
लोक- पु. अग्निदेव का लोक.-
वंश- पु. अग्निकुल.-
वधु-स्त्री. स्वाहा.-
वर्च/
वर्चस-पु. अग्नि का तेज.-
वर्ण-वि. अग्नि जैसे रंगवाला.-वर्णा-स्त्री. तेज शराब.-
वर्धक/न-वि. पाचनशक्ति बढ़ानेवाला.-
वर्षा- स्त्री. बंदूक की गोली, तोप के गोले, बम आदि लगातार गिरना/मिलना/पड़ना.-
वल्लभ-पु. अग्निदेव, शाल वृक्ष, राल.-
वारक-पु. वि. रोधक, आग से बचनेवाला, जिस पर आग असर न करे, फायरप्रूफ देखें अग्निसह.-
वासा/
सस-वि. अग्नितुल्य शुद्ध वस्त्रवाला, जो लाल कपड़े पहने हो.-
वाह-धुआँ, बकरा.वि. अग्निवाहक.-
वाहन- पु. बकरा.-बिंदु-चिंगारी.-
विद-वि. अग्निहोत्र जाननेवाला, पु. अग्निहोत्री.-
विद्या- स्त्री. अग्निहोत्र, आग से लड़ने/को
नियंत्रित करने की विद्या.-
विसर्प-पु. अर्बुद/बवासीर रोगजनित जलन.-
वीर्य-अग्नि जैसे तेजवाला. पु. अग्नि का तेज, सोना.-
वेश-अग्नि जैसे तेजस्वी, एक आयुर्वेदाचार्य/प्राचीन ऋषि.-
शर्मा/
शर्मन-अति क्रोधी, एक ऋषि.-
शामक दल-दमकल, अग्नि बुझानेवाला प्रशिक्षित दल.-
शाला-स्त्री. अग्न्याधान का स्थान.-
शिख-पु. कुसुम का वृक्ष, केसर, सोना, दीपक, बाण.-वि. अग्नि जैसी शिखा, ज्वाला या दीप्तिवाला.-
शिखा-स्त्री. आग की ज्वाला/लपट, कलियारी पौधा.-
शुद्धि-स्त्री. आग में तपाकर शुद्ध करना, अग्निपरीक्षा.
-शेखर-पु. केसर, कुसुम, सोना.-
ष्टोम-पु. यज्ञविशेष.-
ष्ठ-वि. आग पर रखा हुआ, आग पर स्थित, विस्फोटक स्थिति.-
ष्वात्त-पु. पितरों का एक गण/वर्ग.-
संभव-वि. आग से उत्पन्न. पु.अरन्यकुसुम, सोना, भोजन का रस.-
संस्कार-पु. आग जलाना/लगाना, तप्त/गरम करना, अग्नि द्वारा शुद्धि करना, मृतक-दाह, श्राद्ध में एक विधि,-
संहिता-स्त्री. अग्निवेश-रचित चिकित्सा-ग्रन्थ,-
सखा/
सहाय-पु. वायु, धुआँ, जंगली कबूतर,-
समाधि-स्त्री.
यौगिक क्रिया द्वारा अपने शरीर को जलाना.-सह-जिस पर अग्नि का असर न हो, जो अग्नि/ताप को सहन करले, अदाह्य, जिसे जलाया न जा सके, फायरप्रूफ इ.-साक्षिक-वि. अग्नि जिसका साक्षी हो, अग्नि को साक्षी कर किया
गया कार्य.-सात-वि. आग में जलाया हुआ, भस्मसात.-
सार-पु. रसांजन.-
सेवन- आग तपना/सेंकना.-
स्तंभ/
स्तंभन-पु. अग्नि की दाहक शक्ति रोकने की क्रिया.हेतु मन्त्र/औषधि.-
स्तोक-पु. चिंगारी.-
स्नान-पु. आग में जल जाना.-
होत्र-पु. वैदिक मन्त्रों से अग्नि में आहुति देना, विवाह की साक्षीभूत अग्नि में नियमपूर्वक हवन करना.-
होत्री/त्रिन-वि. पु. अग्निहोत्र करनेवाला.