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शुक्रवार, 3 सितंबर 2021

दोहा मुक्तिका

 दोहा मुक्तिका:

आशा जिसके साथ हो, तोड़ निराशा-पाश
पा सकता है एक को, फेंट मुश्किलें-ताश
*
धरती पर पग भले हों, निकट लगे आकाश
जब-जब होता सन्निकट, 'सलिल' संग कैलाश
*
जब कथनी को भूल मन, वर लेता मन 'काश'
तज यथार्थ को कल्पना, करे समय का नाश
*
ढोता है आतंक की, जब-जब मजहब लाश
पाखंडों का हो तभी, जग में पर्दाफाश
*
नफरत के सौदागरों, तज तम गहो प्रकाश
अगर न सुधरे सुनिश्चित, होगा सत्यनाश
३-९-२०१५
***

बुधवार, 16 दिसंबर 2020

दोहा मुक्तिका

 दोहा मुक्तिका

संजीव
*
दोहा दर्पण में दिखे, साधो सच्चा रूप।
पक्षपात करता नहीं, भिक्षुक हो या भूप।।
*
सार-सार को गह रखो, थोथा देना फेंक।
मनुज स्वभाव सदा रखो, जैसे रखता सूप।।
*
प्यासा दर पर देखकर, द्वार न करना बंद।
जल देने से कब करे, मना बताएँ कूप।।
*
बिसरा गौतम-सीख दी, तज अचार-विचार।
निर्मल चीवर मलिन मन, नित प्रति पूजें स्तूप।।
*
खोट न अपनी देखती, कानी सबको टोंक।
सब को कहे कुरूप ज्यों, खुद हो परी अनूप।।
***
१६-१२-२०१८

सोमवार, 27 जुलाई 2020

दोहा मुक्तिका

दोहा मुक्तिका
*
जो करगिल पर लड़ मरे, उनके गायें गान
नेता भी हों देश-हित, कभी-कहीं क़ुर्बान
*
सुविधा-भत्ते-पद नहीं, एकमेव हो लक्ष्य
सेना में भेजें कभी, अपनी भी संतान
*
पेंशन संकट हो सके, चन्द दिनों में दूर
अफसर-सुत सैनिक बनें, बाबू-पुत्र जवान
*
व्यवसायी के वंशधर, सरहद पर बन्दूक
थामें तो कर चुराकर, बनें न धन की खान
*
अभिनेता कुलदीप हों, सीमा पर तैनात
नर-पशु को मारें नहीं, वे बनकर सलमान
*
जज-अधिवक्ता-डॉक्टर, यंत्री-ठेकेदार
अनुशासित होकर बनें, देश हेतु वरदान
*
एन.सी.सी. में हर युवा, जाकर पाये दृष्टि
'सलिल' तभी बन सकेंगे, तरुण देश का मान
***
२७-७-२०१६ 

मंगलवार, 21 मई 2019

मुक्तिका दोहा

मुक्तिका 
संजीव 
*
मखमली-मखमली 
संदली-संदली 
.

भोर- ऊषा-किरण
मनचली-मनचली
.
दोपहर है जवाँ
खिल गयी नव कली
.
साँझ सुन्दर सजी
साँवली-साँवली
.
चाँद-तारें चले
चन्द्रिका की गली
.
रात रानी न हो
बावली-बावली
.
राह रोके खड़ा
दुष्ट बादल छली
***
(दस मात्रिक दैशिक छन्द
रुक्न- फाइलुन फाइलुन)
दोहा सलिला 
*
चिड़िया हों या औरतें, कलरव कर लें जीत
हार मानती ही नहीं, लेतीं जीत अतीत
*
नारी नदिया नाव से, हो जाता उद्धार।
पग अपंग चलता रहे, आती मंज़िल द्वार।।
*