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सोमवार, 25 मई 2020

कार्यशाला : दोहे अरुण भटनागर

दोहे
इंजी. अरुण भटनागर
*
बृह्म सत्य मिथ्या जगत ज्ञानी कहहिं सुजान
सत्य नाम सत्संग सुख सुमति सुबुद्धि समान

प्रेम भगति अरु ध्यान फल ईश मिलन सुखमूल
इरषा तृसना वासना समझिए बंध के मूल

कलजुग भगति सहज दुरह सहज सुमरि हरि नाम
राम नाम रटि अहरनिशि राम सुधारिहिं काम

आपन करु कछु होत नहिं दूजी आस न‌ कोय
गुरू की किरपा जब मिले अलखनिरंजन होय
*
बृह्म सत्य मिथ्या जगत, कहते संत सुजान
सत्य नाम सत्संग सुख,  सुमति सुबुद्धि समान

प्रेम भगति अरु ध्यान फल, ईश मिलन सुख-मूल
तृष्णा ईर्ष्या वासना, क्लेश-कष्ट के मूल

त्याग कठिन कलिकाल में, सहज सुमिर हरि नाम
राम नाम रट अहर्निश, राम सुधारें काम

आप किये कुछ हो नहीं,  आप किये हो काम
मिले कृपा गुरु की अरुण,  सीधी हो विधि वाम
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