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शुक्रवार, 10 अप्रैल 2020

दोहा : अवध में कोरोना

दोहा सलिला
आओ यदि रघुवीर
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
*
गले न मिलना भरत से, आओ यदि रघुवीर
धर लेगी योगी पुलिस, मिले जेल में पीर
कोरोना कलिकाल में, प्रबल- करें वनवास
कुटिया में सिय सँग रहें, ले अधरों पर हास

शूर्पणखा की काटकर, नाक धोइए हाथ
सोशल डिस्टेंसिंग रखें, तीर मारकर नाथ

भरत न आएँ अवध में, रहिए नंदीग्राम
सेनेटाइज शत्रुघन, करें- न विधि हो वाम

कैकई क्वारंटाइनी, कितने करतीं लेख
रातों जगें सुमंत्र खुद, रहे व्यवस्था देख

कोसल्या चाहें कुसल, पूज सुमित्रा साथ
मना रहीं कुलदेव को, कर जोड़े नत माथ

देवि उर्मिला मांडवी, पढ़ा रहीं हैं पाठ
साफ-सफाई सब रखें, खास उम्र यदि साठ

श्रुतिकीरति जी देखतीं, परिचर्या हो ठीक
अवधपुरी में सुदृढ़ हो, अनुशासन की लीक

तट के वट नीचे डटे, केवट देखें राह
हर तब्लीगी पुलिस को, सौंप पा रहे वाह

मिला घूमता जो पिटा, सुनी नहीं फरियाद
सख्ती से आदेश निज, मनवा रहे निषाद

निकट न आते, दूर रह वानर तोड़ें फ्रूट
राजाज्ञा सुग्रीव की, मिलकर करो न लूट

रात-रात भर जागकर, करें सुषेण इलाज
कोरोना से विभीषण, ग्रस्त विपद में ताज

भक्त न प्रभु के निकट हों, रोकें खुद हनुमान
मास्क लगाए नाक पर, बैठे दयानिधान

कौन जानकी जान की, कहो करे परवाह?
लव-कुश विश्वामित्र ऋषि, करते फ़िक्र अथाह

वध न अवध में हो सके, कोरोना यह मान
घुसा मगर आदित्य ने, सुखा निकली जान
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विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट
नेपियर टाउन , जबलपुर ४८२००१
चलभाष : ९४२५१८३२४४
ईमेल : salil.sanjiv@gmail.com

बुधवार, 29 अप्रैल 2009

राम भजन : स्व. शान्ति देवी

सुनो री गुइयाँ

सुनो री गुइयाँ, सुनो री गुइयाँ, राज कुंवर दो आए।

सुनो री गुइयाँ, सुनो री गुइयाँ...

कौन के कुंवर?, कहाँ से आए?, कौन काज से आए?


कहो री गुइयाँ, कहो री गुइयाँ...

दशरथ-कुंवर, अवध से आए, स्वयम्वर देखे आए।


सुनो री गुइयाँ, सुनो री गुइयाँ...

का पहने हैं?, का धारे हैं?, कैसे कहो सुहाए?


कहो री गुइयाँ, कहो री गुइयाँ...

पट पीताम्बर, कांध जनेऊ, श्याम-गौर मन भये।


सुनो री गुइयाँ, सुनो री गुइयाँ...

शौर्य-पराक्रम भी है कछु या कोरी बात बनायें?


कहो री गुइयाँ, कहो री गुइयाँ...

राघव-लाघव, लखन शौर्य से मार ताड़का आए।


सुनो री गुइयाँ, सुनो री गुइयाँ...

चार कुंअरि हैं जनकपुरी में, कौन को जे मन भाए?


कहो री गुइयाँ, कहो री गुइयाँ...

अवधपुरी में चार कुंअर, जे सिया-उर्मिला भाए।


सुनो री गुइयाँ, सुनो री गुइयाँ...

विधि सहाय हों, कठिन परिच्छा रजा जनक लगाये।


कहो री गुइयाँ, कहो री गुइयाँ...

तोड़ सके रघुवर पिनाक को, सिया गिरिजा से मनाएं।


सुनो री गुइयाँ, सुनो री गुइयाँ...

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