१
लाद दे भार
जो होता नहीं भारी
ले ले आभार॥
२
खाता है चारा
घर होते रबडी
लालू बेचारा॥
३
करें विरोध
संसद में विपक्षी
हैं धृतराष्ट्र॥
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दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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बुधवार, 27 मई 2009
हास्य हाइकु: मन्वंतर
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धृतराष्ट्र,
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हाइकु: मन्वंतर
मंगलवार, 19 मई 2009
काव्य-किरण:
हास्य हाइकु
मन्वंतर
अजब गेट
कोई न जाए पार
रे! कोलगेट।
एक ही सेंट
नहीं सकते सूंघ
है परसेंट।
कौन सी बला
मानी जाती है कला?
बजा तबला।
मन्वंतर
अजब गेट
कोई न जाए पार
रे! कोलगेट।
एक ही सेंट
नहीं सकते सूंघ
है परसेंट।
कौन सी बला
मानी जाती है कला?
बजा तबला।
करें वंदना-प्रार्थना, भजन-कीर्तन नित्य.
सफल साधना हो 'सलिल', रीझे ईश अनित्य..
शांति-राज सुख-चैन हो, हों कृपालु जगदीश.
सत्य सहाय सदा रहे, अंतर्मन पृथ्वीश..
गुप्त चित्र निर्मल रहे, ऐसे ही हों कर्म.
ज्यों की त्यों चादर रखे,निभा'सलिल'निज धर्म.
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