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बुधवार, 27 मई 2009

हास्य हाइकु: मन्वंतर





लाद दे भार

जो होता नहीं भारी

ले ले आभार॥







खाता है चारा

घर होते रबडी

लालू बेचारा॥







करें विरोध

संसद में विपक्षी

हैं धृतराष्ट्र॥



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मंगलवार, 19 मई 2009

काव्य-किरण:

हास्य हाइकु

मन्वंतर

अजब गेट
कोई न जाए पार
रे! कोलगेट।

एक ही सेंट
नहीं सकते सूंघ
है परसेंट।

कौन सी बला
मानी जाती है कला?
बजा तबला।