कुल पेज दृश्य

समय के देवता लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
समय के देवता लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

रविवार, 26 अप्रैल 2020

गीत

गीत
हे समय के देवता!
संजीव 'सलिल'
*
हे समय के देवता!
गर दे सको वरदान दो तुम...
*
श्वास जब तक चल रही है,
आस जब तक पल रही है
अमावस का चीरकर तम-
प्राण-बाती जल रही है.
तब तलक रवि-शशि सदृश हम
रौशनी दें तनिक जग को.
ठोकरों से पग न हारें-
करें ज्योतित नित्य मग को.
दे सको हारे मनुज को,
विजय का अरमान दो तुम.
हे समय के देवता!
गर दे सको वरदान दो तुम...
*
नयन में आँसू न आये,
हुलसकर हर कंठ गाये.
कंटकों से भरे पथ पर-
चरण पग धर भेंट आये.
समर्पण विश्वास निष्ठा
सिर उठाकर जी सके अब.
मनुज हँसकर गरल लेकर-
शम्भु-शिववत पी सकें अब.
दे सको हर अधर को
मुस्कान दो, मधुगान दो तुम..
हे समय के देवता!
गर दे सको वरदान दो तुम...
*
सत्य-शिव को पा सकें हम
गीत सुन्दर गा सकें हम.
सत-चित-आनंद घन बन-
दर्द-दुःख पर छा सकें हम.
काल का कुछ भय न व्यापे,
अभय दो प्रभु!, सब वयों को.
प्रलय में भी जयी हों-
संकल्प दो हम मृण्मयों को.
दे सको पुरुषार्थ को
परमार्थ की पहचान दो तुम.
हे समय के देवता!
गर दे सको वरदान दो तुम...
१९८४
*
संजीव
९४२५१८३२४४