कुल पेज दृश्य

kavyanuvaad लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
kavyanuvaad लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

मंगलवार, 9 मई 2017

kavyanuvaad baangla-hindi

बाङ्ग्ला-हिंदी भाषा सेतु:
पूजा गीत
रवीन्द्रनाथ ठाकुर
*
जीवन जखन छिल फूलेर मतो
पापडि ताहार छिल शत शत।
बसन्ते से हत जखन दाता
रिए दित दु-चारटि तार पाता,
तबउ जे तार बाकि रइत कत
आज बुझि तार फल धरेछे,
ताइ हाते ताहार अधिक किछु नाइ।
हेमन्ते तार समय हल एबे
पूर्ण करे आपनाके से देबे
रसेर भारे ताइ से अवनत।
*
पूजा गीत: रवीन्द्रनाथ ठाकुर
हिंदी काव्यानुवाद : संजीव
*
फूलों सा खिलता जब जीवन
पंखुरियां सौ-सौ झरतीं।
यह बसंत भी बनकर दाता
रहा झराता कुछ पत्ती।
संभवतः वह आज फला है
इसीलिये खाली हैं हाथ।
अपना सब रस करो निछावर
हे हेमंत! झुककर माथ।
*
९-५-२०१४

गुरुवार, 14 जून 2012

श्री गणेश स्मरण हिंदी पद्यानुवाद : संजीव 'सलिल'



श्री गणेश स्मरण

हिंदी पद्यानुवाद : संजीव 'सलिल'

*

प्रातः स्मरामि गणनाथमनाथ बन्धुं, सिन्दूरपूरपरिशोभितगण्डयुग्मं
उद्दंडविघ्नपरिखण्डनचण्डदण्डमाखण्डलादि सुरनायकवृन्दवन्द्यं

दीनबंधु गणपति नमन, सुबह सुमिर नत माथ.
शोभित गाल सिँदूर से, रखिए सिर पर हाथ..

विघ्न निवारण हित हुए, देव दयालु प्रचण्ड.
सुर-सुरेश वन्दित प्रभो, दें पापी को दण्ड..
*

प्रातर्नमामि चतुराननवन्द्यमानमिच्छानुकूलमखिलं च वरं ददानं
त तुन्दिलं द्विरसनाधिपयज्ञसूत्रं पुत्रं विलासचतुरं शिवयो: शिवाय

ब्रम्ह चतुर्भुज प्रात ही, करें वंदना नित्य.
मनचाहा वर दास को, देवें देव अनित्य..

उदार विशाल जनेऊ है, सर्प महाविकराल.
कीड़ाप्रिय शिव-शिवा सुत, नमन करूँ हर काल..
*

प्रातर्भजाम्यभयदं खलु भक्तशोकदावानलं  गणविभुं वरकुंजरास्यं 
अज्ञानकाननविनाशनहव्यवाहमुत्साहवर्धनमहं सुतमीश्वरस्यं

शोक हरें दावाग्नि बन, अभय प्रदायक दैव.
गणनायक गजवदन प्रिय, रहिए सदय सदैव..

जड़ जंगल अज्ञान का,करें अग्नि बन नष्ट.
शंकरसुत वंदन-नमन, दें उत्साह विशिष्ट..
*

श्लोकत्रयमिदं पुण्यं सदा साम्राज्यदायकं
प्रातरुत्थाय सततं यः पठेत प्रयते पुमान

नित्य प्रात उठकर पढ़ें, यह पावन श्लोक.
सुख-समृद्धि पायें अमित, भू पर हो सुरलोक..

************
 
 
श्री गणेश पूजन मंत्र 
हिंदी पद्यानुवाद: संजीव 'सलिल'
*
गजानना  पद्मर्गम  गजानना महिर्षम 
अनेकदंतम  भक्तानाम एकदंतम उपास्महे


 
कमलनाभ गज-आननी, हे ऋषिवर्य महान.
करें भक्त बहुदंतमय, एकदन्त का ध्यान..

गजानना = हाथी जैसे मुँहवाले, पद्मर्गम =  कमल को नाभि में धारण करने वाले अर्थात जिनका नाभिचक्र शतदल कमल की तरह पूर्णता प्राप्त है, महिर्षम = महान ऋषि के समतुल्य, अनेकदंतम = जिनके दाँत दान हैं, भक्तानाम भक्तगण, एकदंतम = जिनका एक दाँत है, उपास्महे = उपासना करता हूँ.
 
************

रविवार, 13 जून 2010

श्री मदभगवदगीता : भावानुवाद ---मृदुल कीर्ति

श्री मदभगवदगीता : भावानुवाद
मृदुल कीर्ति जी, ऑस्ट्रेलिया.

geeta.jpg


मूल:
पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति,
तदहं भक्त्युप हृतंश्रनामी        प्रयतात्मनः.II गीता ९/२६


भावानुवाद:
प्रभु जी तोरे मंदिर कैसे आऊँ ?
दीन हीन हर भांति विहीना,  क्या नैवेद्य चढाऊँ?
गीता कथित तुम्हारे वचना,  घनी शक्ति अब पाऊँ.
भाव पुष्प, सुमिरन की माला, असुंवन नीर चढाऊँ .
फल के रूप करम फल भगवन , बस इतना कर पाऊँ .
पत्र रूप में तुलसी दल को, कृष्णा भोग लगाऊँ.

************************************
 mridulkirti@hotmail.com; mridulkirti@gmail.com; lavnis@gmail.कॉम

शनिवार, 12 जून 2010

कवीन्द्र रवींद्रनाथ ठाकुर की एक रचना का भावानुवाद: ---संजीव 'सलिल'

कवीन्द्र रवींद्रनाथ ठाकुर की एक रचना का भावानुवाद:
संजीव 'सलिल'
*

















 
god20speaks.jpg

*
रुद्ध अगर पाओ कभी, प्रभु! तोड़ो हृद -द्वार.
कभी लौटना तुम नहीं, विनय करो स्वीकार..
*
मन-वीणा-झंकार में, अगर न हो तव नाम.
कभी लौटना हरि! नहीं, लेना वीणा थाम..
*
सुन न सकूँ आवाज़ तव, गर मैं निद्रा-ग्रस्त.
कभी लौटना प्रभु! नहीं, रहे शीश पर हस्त..
*
हृद-आसन पर गर मिले, अन्य कभी आसीन.
कभी लौटना प्रिय! नहीं, करना निज-आधीन..

Acharya Sanjiv Salil

http://divyanarmada.blogspot.com
Acharya Sanjiv Salil

http://divyanarmada.blogspot.com