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बुधवार, 20 फ़रवरी 2019

दोहा वैलेंटाइन

दोहा सलिला 
*
मधुशाला है यह जगत, मधुबाला है श्वास 
वैलेंटाइन साधना, जीवन है मधुमास 
*
धूप सुयश मिथलेश का, धूप सिया का रूप
याचक रघुवर दान पा, हर्षित हो हैं भूप

***

शनिवार, 9 फ़रवरी 2019

doha valentine

दोहा सलिला:
वैलेंटाइन 
संजीव
*
उषा न संध्या-वंदना, करें खाप-चौपाल 
मौसम का विक्षेप ही, बजा रहा करताल
*
लेन-देन ही प्रेम का मानक मानें आप
किसको कितना प्रेम है?, रहे गिफ्ट से नाप
*
बेलन टाइम आगया, हेलमेट धर शीश
घर में घुसिए मित्रवर, रहें सहायक ईश
*
पर्व स्वदेशी बिसरकर, मना विदेशी पर्व
नकद संस्कृति त्याग दी, है उधार पर गर्व
*
उषा गुलाबी गाल पर, लेकर आई गुलाब
प्रेमी सूरज कह रहा, प्रोमिस कर तत्काल
*
धूप गिफ्ट दे धरा को, दिनकर करे प्रपोज
देख रहा नभ मन रहा, वैलेंटाइन रोज
*
रवि-शशि से उपहार ले, संध्या दोनों हाथ
मिले गगन से चाहती, बादल का भी साथ
*
चंदा रजनी-चाँदनी, को भेजे पैगाम
मैंने दिल कर दिया है, दिलवर तेरे नाम
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पुरवैया-पछुआ कहें, चखो प्रेम का डोज
मौसम करवट बदलता, जब-जब करे प्रपोज
*

९.२.२०१५ 

शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2019

दोहा वैलेंटाइन

दोहा वैलेंटाइन
उषा दुपहरी सांझ से, पाल रहा जो प्रीत. 
छलिया सूरज को कहे, जग क्यों 'सलिल' पुनीत?.
८.२.२०१० 

दोहा वैलेंटाइन

दोहा वैलेंटाइन
दिनकर प्रिय सुधि रश्मि से, करे प्रणय शुरुआत।
विरह तिमिर का अंत कर, जगा रहा जज्बात।।
*

दोहा वैलेंटाइन

दोहा वैलेंटाइन 
रोज, प्रप्रोज पठा रहा, नाती कैसा काल।
पोता हो लव बर्ड तो, आ जाए भूचाल।।