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मंगलवार, 23 अप्रैल 2019

दोहा / द्विपदी

द्विपदी 
*
सबको एक नजर से कैसे देखूँ ?
आँखें भगवान् ने दो-दो दी हैं 

*
उनको एक नजर से ज्योंही देखा 
आँख मारी? कहा और पीट दिया 
*

दोहा

अपनी छवि पर मुग्ध हो, सैल्फी लेते लोग 
लगा दिया चलभाष ने, आत्म मोह का रोग
*

सोमवार, 4 दिसंबर 2017

muktak

एक मुक्तक: 
दे रहे हो तो सारे गम दे दो 
चाह इतनी है आँखें नम दे दो 
होंठ हँसते रहें हमेशा ही 
लो उजाले, दो मुझे तम दे दो
*