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मंगलवार, 7 फ़रवरी 2012

ऋतुराज बसंत पर १० छन्न पकय्या योगराज प्रभाकर


रचना-प्रति रचना: 

ऋतुराज बसंत पर १० छन्न पकय्या 

योगराज प्रभाकर 

*

छन्न पकय्या,छन्न पकय्या, छन्न पकाई बरसों 

तन मन को महकाती जाए, पीली पीली सरसों. (१)
.
छन्न पकय्या,छन्न पकय्या छन्न के ऊपर केरी 
पीली डोर का पल्लू थामे, पीली पतंग उड़े री. (२)
.
छन्न पकय्या,छन्न पकय्या, छन्न बजाए बाजा
राजा महाधिराज बसंता, सब ऋतुयों का राजा  (३)   
.
छन्न पकय्या,छन्न पकय्या, मस्ती के हिचकोले 
पार्वती को ब्याहने निकले, मेरे बम बम भोले. (४).  
.
छन्न पकय्या,छन्न पकय्या, हर जुबां ये बातें
मस्ती मस्ती दिन हैं सारे, नशा नशा सी रातें  (५).
.
छन्न पकय्या,छन्न पकय्या, कैसा नियम निराला 
झूम झूम जो खिले बसंता, डर डर भागे पाला. (६)  
.
छन्न पकय्या,छन्न पकय्या, वादा एक निभाना 
हे ऋतुराज ! तुम्हें कसम है, छोड़ अभी न जाना. (७).
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छन्न पकय्या,छन्न पकय्या, डर के पतझड़ भागे 
सारी धरती ही मुझको तो, दुल्हन जैसी लागे. (८)
.
छन्न पकय्या,छन्न पकय्या, बात बनी है तगड़ी 
बूढे अमलतास के सर पर, पीली पीली पगड़ी. (९)  
.
छन्न पकय्या,छन्न पकय्या, दिल बैठा सा जाए,
कंक्रीट के जंगल तक तक, ऋतु राजा  घबराए. (१०) 

*

प्रति रचना


संजीव 'सलिल'
*
छन्न पकैया, छन्न पकैया, छन्न पकाई आकर.
झूम रहा हैं  हवा बसन्ती, के संग आज प्रभाकर..

छन्न पकैया, छन्न पकैया, छन्न पकाई भाई.
गौराजी के संग बौरा ने, आज करी कुडमाई..

छन्न पकैया, छन्न पकैया, छन्न मचाये धूम.
ऊषा के संग सूरज का, चक्कर हमको मालूम.

छन्न पकैया, छन्न पकैया, छन्न उडाये पतंग.
संसद में नेता लड़ते हैं, नकली-नकली जंग..

छन्न पकैया, छन्न पकैया, छन्न न जाना भूल.
बेमतलब बातों को देती, टी. व्ही. चैनेल तूल..

छन्न पकैया, छन्न पकैया, छन्न बोलिए साँच.
पोल खोलिए गुँजा कबीरा, कथनी-करनी बाँच..

छन्न पकैया, छन्न पकैया, छन्न बजाएं ताली.
लोकतंत्र की पंगत जीमें, नेता खाकर गाली..

छन्न पकैया, छन्न पकैया, छन्न करें मतदान.
सोच समझकर, प्रतिनिधि चुनिए, करें नहीं मत-दान..  

छन्न पकैया, छन्न पकैया, छन्न फूलती सरसों.
चंपा संग चमेली भागी, मौका पाकर परसों.. 

छन्न पकैया, छन्न पकैया, छन्न ठगिनी है माया.
फिर काहे सारा जग, माया पीछे है बौराया..

छन्न पकैया, छन्न पकैया, छन्न न मनो हार.
नफरत के बदले बाँटो तुम, दिल से दिल को प्यार..

छन्न पकैया, छन्न पकैया, छन्न गुनगुनी धूप.
सुबह ताप पाता जो- खुद को, समझ रहा है भूप..