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रविवार, 11 जुलाई 2021

नवगीत

नवगीत
संजीव 
*
मैं लड़ूँगा, मैं लड़ूँगा, मैं लड़ूँगा।
*
लाख दागो गोलियाँ 
सर छेद दो
मैं नहीं बस्ता तजूँगा। 
गया विद्यालय 
न वापिस लौट पाया। 
तुम गए हो जीत 
यह किंचित न सोचो। 
भोर होते ही उठाकर 
फिर नए बस्ते हजारों 
मैं बढूँगा, मैं बढूँगा, मैं बढूँगा। 
मैं लड़ूँगा, मैं लड़ूँगा, मैं लड़ूँगा।।
*
खून की नदियाँ बहीं 
उसमें नहा 
हर्फ़-हिज्जे फिर पढ़ूँगा। 
कसम रब की है 
मदरसा हो न सूना। 
मैं रचूँगा गीत 
मिलकर अमन बोओ। 
भुला औलादें तुम्हें 
मेरे साथ होंगी। 
मैं गढ़ूँगा,  मैं गढ़ूँगा, मैं गढ़ूँगा।
मैं लड़ूँगा, मैं लड़ूँगा, मैं लड़ूँगा।।
*
आसमां गर स्याह है 
तो क्या हुआ? 
हवा बनकर मैं बहूँगा। 
दहशतों के 
बादलों को उड़ा दूँगा।
मैं बनूँगा सूर्य 
तुम रण हार रोओ। 
वक़्त लिक्खेगा कहांणी 
फाड़ मैं पत्थर उगूँगा। 
मैं खिलूँगा, मैं खिलूँगा, मैं खिलूँगा। 
मैं लड़ूँगा, मैं लड़ूँगा, मैं लड़ूँगा।।
***
(टीप - पेशावर के मदरसे में दहशतगर्दों द्वारा गोलीचालन के विरोध में) 

शुक्रवार, 18 दिसंबर 2020

नवगीत

 नवगीत:

पेशावर के नरपिशाच
धिक्कार तुम्हें
.
दिल के टुकड़ों से खेली खूनी होली
शर्मिंदा है शैतानों की भी टोली
बना न सकते हो मस्तिष्क एक भी तुम
मस्तिष्कों पर मारी क्यों तुमने गोली?
लानत जिसने भेज
किया लाचार तुम्हें
.
दहशतगर्दों! जिसने पैदा किया तुम्हें
पाला-पोसा देखे थे सुख के सपने
सोचो तुमने क़र्ज़ कौन सा अदा किया
फ़र्ज़ निभाया क्यों न पूछते हैं अपने?
कहो खुदा को क्या जवाब दोगे जाकर
खला नहीं क्यों करना
अत्याचार तुम्हें?
.
धिक्-धिक् तुमने भू की कोख लजाई है
पैगंबर मजहब रब की रुस्वाई है
राक्षस, दानव, असुर, नराधम से बदतर
तुमको जननेवाली माँ पछताई है
क्यों भाया है बोलो
हाहाकार तुम्हें?
.

मंगलवार, 18 दिसंबर 2018

navgeet

नवगीत:
संजीव 'सलिल'
मैं लड़ूँगा....
.
लाख दागो गोलियाँ
सर छेद दो
मैं नहीं बस्ता तजूँगा।
गया विद्यालय
न वापिस लौट पाया
तो गए तुम जीत
यह किंचित न सोचो,
भोर होते ही उठाकर
फिर नये बस्ते हजारों
मैं बढूँगा।
मैं लड़ूँगा....
.
खून की नदियाँ बहीं
उसमें नहा
हर्फ़-हिज्जे फिर पढ़ूँगा।
कसम रब की है
मदरसा हो न सूना
मैं रचूँगा गीत
मिलकर अमन बोओ।
भुला औलादें तुम्हारी
तुम्हें, मेरे साथ होंगी
मैं गढूँगा।
मैं लड़ूँगा....
.
आसमां गर स्याह है
तो क्या हुआ?
हवा बनकर मैं बहूँगा।
दहशतों के
बादलों को उड़ा दूँगा
मैं बनूँगा सूर्य
तुम रण हार रोओ ।
वक़्त लिक्खेगा कहानी
फाड़ पत्थर मैं उगूँगा
मैं खिलूँगा।
मैं लड़ूँगा....
१८-१२-२०१४
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