घनाक्षरी छंद :
--संजीव 'सलिल'
*
(८-८-८-७)
सामयिक नीतिपरक : ....
राजनीति का अखाड़ा घर न बनाइये..
धन परदेश में जो, गया इसी देश का है, देश-हित चाहते तो, देश में ले आइए
बाबा रामदेव जी ने, बात ठीक-ठीक की है, जन-मत चाहिए तो, उनको मनाइए..
कुमति हुई है मति, कोंगरेसियों की आज, संत से असंत को न, आप लड़वाइए.
सम्हल न पाये बात, इतनी बिगाड़ें मत, राजनीति का अखाड़ा, घर न बनाइए..
*
कुटिल कपिल ने जो, किया है कमीनापन, देख देश दुखी है न, सच झुठलाइए.
'मन' ने अमन को क्यों, खतरे में आज डाला?, भूल को सुधार लें, न नाश को बुलाइए..
संत-अपमान को न, सहन करेगा जन, चुनावी पराजय की, न सचाई भुलाइए.
'सलिल' सलाह मान, साधुओं का करें मान, राजनीति का अखाड़ा घर न बनाइये..
*
काला धन जिनका है, क्यों न उनको फाँसी हो?, देश का विकास इसी, धन से कराइए.
आरती उतारते हैं, लुच्चे-लोफरों की- कुछ, शर्म करें नारियों का, मान न घटाइए.
पैदा तुम को भी किया, नारी ने ही पाल-पोस, नारी की चरण-रज, माथ से लगाइए..
नेता सेठ अफसर, बुराई की जड़ में हैं, राजनीति का अखाड़ा घर न बनाइये..
*
Acharya Sanjiv Salil
http://divyanarmada.blogspot.com
--संजीव 'सलिल'
*
(८-८-८-७)
सामयिक नीतिपरक : ....
राजनीति का अखाड़ा घर न बनाइये..
धन परदेश में जो, गया इसी देश का है, देश-हित चाहते तो, देश में ले आइए
बाबा रामदेव जी ने, बात ठीक-ठीक की है, जन-मत चाहिए तो, उनको मनाइए..
कुमति हुई है मति, कोंगरेसियों की आज, संत से असंत को न, आप लड़वाइए.
सम्हल न पाये बात, इतनी बिगाड़ें मत, राजनीति का अखाड़ा, घर न बनाइए..
*
कुटिल कपिल ने जो, किया है कमीनापन, देख देश दुखी है न, सच झुठलाइए.
'मन' ने अमन को क्यों, खतरे में आज डाला?, भूल को सुधार लें, न नाश को बुलाइए..
संत-अपमान को न, सहन करेगा जन, चुनावी पराजय की, न सचाई भुलाइए.
'सलिल' सलाह मान, साधुओं का करें मान, राजनीति का अखाड़ा घर न बनाइये..
*
काला धन जिनका है, क्यों न उनको फाँसी हो?, देश का विकास इसी, धन से कराइए.
आरती उतारते हैं, लुच्चे-लोफरों की- कुछ, शर्म करें नारियों का, मान न घटाइए.
पैदा तुम को भी किया, नारी ने ही पाल-पोस, नारी की चरण-रज, माथ से लगाइए..
नेता सेठ अफसर, बुराई की जड़ में हैं, राजनीति का अखाड़ा घर न बनाइये..
*
Acharya Sanjiv Salil
http://divyanarmada.blogspot.com