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मंगलवार, 29 मई 2012

गीत: प्रभु जैसी चादर दी तूने... संजीव 'सलिल'

गीत:
प्रभु जैसी चादर दी तूने...
संजीव 'सलिल'
*

*
प्रभु जैसी चादर दी तूने
मैंने की स्वीकार.
जैसी भी मैं रख पाया
अब तू कर अंगीकार...
*
तुझसे मेरी कोई न समता,
मैं अक्षम, तू है सक्षमता.
तू समर्थ सृष्टा निर्णायक,
मेरा लक्षण है अक्षमता.
जैसा नाच नचाया नाचूँ-
विजयी हूँ वर हार.
प्रभु जैसी चादर दी तूने
मैंने की स्वीकार...
*
तू ऐसा हो, तू वैसा कर,
मेरी रही न शर्त.
क्यों न मुझे स्वीकार रहा हरि!
ज्यों का त्यों निश्शर्त.
धर्माधर्म कहाँ-कैसा
हारो अब सकूँ बोसार.
प्रभु जैसी चादर दी तूने
मैंने की स्वीकार...
*
जला न पाये आग तनिक प्रभु!
भीगा न पाये पानी.
संचयकर्ता मुझे मत बना,
और न अवढरदानी.
जग-नाटक में 'सलिल' सम्मिलित
हो निर्लिप्त निहार.
प्रभु जैसी चादर दी तूने
मैंने की स्वीकार...
***
Acharya Sanjiv verma 'Salil'
http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in





रविवार, 12 फ़रवरी 2012

प्रार्थना गीत: इतनी शक्ति हमें देना दाता

मेरी पसंद:                                                                                        

प्रार्थना गीत

इतनी शक्ति हमें देना दाता
*
(इतनी शक्ति हमें देना दाता
मन का विश्वास कमजोर हो ना
हम चलें नेक रस्ते पे, हमसे
भूलकर भी कोइ भूल हो ना) -2

इतनी शक्ति हमें देना दाता
मन का विश्वास कमजोर हो ना

हर तरफ जुल्म है, बेबसी है
सहमा सहमा सा हर आदमी है
पाप का बोझ बढता ही जाये
जानें कैसे ये धरती थमीं है
बोझ ममता से तू ये उठाले
तेरी रचना का ये अंत हो ना
हम चलें नेक रस्ते पे, हमसे
भूलकर भी कोइ भूल हो ना
इतनी शक्ति हमें देना दाता
मन का विश्वास कमजोर हो ना.....

दूर अज्ञान के हो अंधेरे
तू हमें ज्ञान की रोशनीं दे
हर बुराई से बचके रहें हम
जितनी भी दे, भली जिन्दगी दे
बैर हो ना किसि का किसि से
भावना मन में बदले कि हो ना
हम चलें नेक रस्ते पे, हमसे
भूलकर भी कोइ भूल हो ना

इतनी शक्ति हमें देना दाता
मन का विश्वास कमजोर हो ना.....

हम ना सोचें हमें क्या मिला है
हम ये सोचें किया क्या है अर्पण
फूल खुशियों के बाटें सभी को
सबका जीवन हीं बन जाये मधुबन
अपनी करुणा का जल तू बहाके
कर दे पावन हर एक मन का कोना
हम चलें नेक रस्ते पे, हमसे
भूलकर भी कोइ भूल हो ना

इतनी शक्ति हमें देना दाता
मन का विश्वास कमजोर हो ना.....

हम अंधेरे में है, रोशनीं दे
खो ना दे खुद को हीं दुश्मनी से
हम सजा पायें अपने किये की
मौत भी हो तो सहले खुशी से
कल जो गुजरा है फिर से ना गुजरे 
आने वाला वो कल ऐसा हो ना
हम चलें नेक रस्ते पे, हमसे
भूलकर भी कोइ भूल हो ना

इतनी शक्ति हमें देना दाता
मन का विश्वास कमजोर हो ना.....

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