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बुधवार, 6 फ़रवरी 2013

उल्लाला मुक्तिका: दिल पर दिल बलिहार है -संजीव 'सलिल'

 
उल्लाला मुक्तिका:
दिल पर दिल बलिहार है
संजीव 'सलिल'
*
दिल पर दिल बलिहार है,
हर सूं नवल निखार है..

प्यार चुकाया है नगद,
नफरत रखी उधार है..

कहीं हार में जीत है,
कहीं जीत में हार है..

आसों ने पल-पल किया
साँसों का सिंगार है..

सपना जीवन-ज्योत है,
अपनापन अंगार है..

कलशों से जाकर कहो,
जीवन गर्द-गुबार है..

स्नेह-'सलिल' कब थम सका,
बना नर्मदा धार है..

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