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बुधवार, 29 नवंबर 2017

samasyapurti: naak

समस्या पूर्ति: 
नाक   
*
नाक के बाल ने, नाक रगड़कर, नाक कटाने का काम किया है 
नाकों चने चबवाए, घुसेड़ के नाक, न नाक का मान रखा है 
नाक न ऊँची रखें अपनी, दम नाक में हो तो भी नाक दिखा लें
नाक पे मक्खी न बैठन दें, है सवाल ये नाक का, नाक बचा लें
नाक के नीचे अघट न घटे, जो घटे तो जुड़े कुछ राह निकालें
नाक नकेल भी डाल सखे हो, न कटे जंजाल तो बाँह चढ़ा लें

*

मंगलवार, 23 मई 2017

doha

मुहावरेदार दोहे 
*
पाँव जमाकर बढ़ 'सलिल', तभी रहेगी खैर 
पाँव फिसलते ही हँसे, वे जो पाले बैर 
*
बहुत बड़ा सौभाग्य है, होना भारी पाँव
बहुत बड़ा दुर्भाग्य है होना भारी पाँव
*
पाँव पूजना भूलकर, फिकरे कसते लोग
पाँव तोड़ने से मिटे, मन की कालिख रोग
*
पाँव गए जब शहर में, सर पर रही न छाँव
सूनी अमराई हुई, अश्रु बहाता गाँव
*
जो पैरों पर खड़ा है, मना  रहा है खैर
जमीं न पैरों तले तो, अपने करते बैर
*
सम्हल न पैरों-तले से, खिसके 'सलिल' जमीन
तीसमार खाँ भी हुए, जमीं गँवाकर दीन
*
टाँग अड़ाते ये रहे, दिया सियासत नाम
टाँग मारते वे रहे, दोनों है बदनाम
*
टाँग फँसा हर काम में, पछताते हैं लोग
एक पूर्ण करते अगर, व्यर्थ न होता सोग
*
बिन कारण लातें न सह, सर चढ़ती है धूल
लात मार पाषाण पर, आप कर रहे भूल
*
चरण कमल कब रखे सके, हैं धरती पर पैर?
पैर पड़े जिसके वही, लतियाते कह गैर
*
धूल बिमाई पैर का, नाता पक्का जान
चरण कमल की कब हुई, इनसे कह पहचान?

***

स्वास्थ्य दोहे  

भोजन हरता रोग भी 
 मछली-सेवन से 'सलिल', शीश-दर्द हो दूर.
दर्द और सूजन हरे, अदरक गुण भरपूर...
*
दही -शहद नित लीजिये, मिले ऊर्जा-शक्ति.
हे-ज्वर भागे दूर हो, जीवन से अनुरक्ति..
*
हरी श्वेत काली पियें, चाय कमे हृद रोग.
धमनी से चर्बी घटे, पाचन बढे सुयोग..
*
नींद न आये-अनिद्रा, का है सुलभ उपाय.
शुद्ध शहद सेवन करें, गहरी निद्रा आय..
*

दोहा सलिला 
*
करें आरती सत्य की, पूजें श्रम को नित्य 
हों सहाय सब देवता, तजिए स्वार्थ अनित्य 
*
कर अव्यक्त को व्यक्त हम, रचते नव 'साहित्य' 
भगवद-मूल्यों का भजन, बने भाव-आदित्य 
.
मन से मन सेतु बन, 'भाषा' गहती भाव
कहे कहानी ज़िंदगी, रचकर नये रचाव
.
भाव-सुमन शत गूँथते, पात्र शब्द कर डोर
पाठक पढ़-सुन रो-हँसे, मन में भाव अँजोर
.
किस सा कौन कहाँ-कहाँ, 'किस्सा'-किस्सागोई
कहती-सुनती पीढ़ियाँ, फसल मूल्य की बोई
.
कहने-सुनने योग्य ही, कहे 'कहानी' बात
गुनने लायक कुछ कहीं, कह होती विख्यात
.
कथ्य प्रधान 'कथा' कहें, ज्ञानी-पंडित नित्य
किन्तु आचरण में नहीं, दीखते हैं सदकृत्य
.
व्यथा-कथाओं ने किया, निश-दिन ही आगाह
सावधान रहना 'सलिल', मत हो लापरवाह
.
'गल्प' गप्प मन को रुचे, प्रचुर कल्पना रम्य
मन-रंजन कर सफल हो, मन से मन तक गम्य
.
जब हो देना-पावना, नातों की सौगात
ताने-बाने तब बनें, मानव के ज़ज़्बात
.

गुरुवार, 19 मई 2016

doha

 दोहा सलिला 
देव लात के मानते, कब बातों से बात 
जैसा देव उसी तरह, पूजा करिए तात 
*
चरण कमल झुक लात से, मना रहे हैं खैर 
आये आम चुनाव क्या?, पड़ें  पैर के पैर 
​*
पाँव पूजने का नहीं, शेष रहा आनंद 
'लिव इन' के दुष्काल में, भंग हो रहे छंद 
*
पाद-प्रहार न भाई पर, कभी कीजिए भूल 
घर भेदी लंका ढहे, चुभता बनकर शूल 
*
'सलिल न मन में कीजिए, किंचित भी अभिमान 
तीन पगों में नाप भू, हरि दें जीवन-दान 
*

doha

मुहावरेदार दोहे
*
पाँव जमकर बढ़ 'सलिल', तभी रहेगी खैर
पाँव फिसलते ही हँसे, वे जो पाले बैर
*
बहुत बड़ा सौभाग्य है, होना भारी पाँव
बहुत बड़ा दुर्भाग्य है होना भारी पाँव
*
पाँव पूजना भूलकर, फिकरे कसते लोग
पाँव तोड़ने से मिटे, मन की कालिख रोग
*
पाँव गए जब शहर में, सर पर रही न छाँव 
सूनी अमराई हुई, अश्रु बहाता गाँव
*
जो पैरों पर खड़ा है, मन रहा है खैर
धरा न पैरों तले तो, अपने करते बैर
*
सम्हल न पैरों-तले से, खिसके 'सलिल' जमीन
तीसमार खाँ हबी हुए, जमीं गँवाकर दीन
*
टाँग अड़ाते ये रहे, दिया सियासत नाम
टाँग मारते वे रहे, दोनों है बदनाम
*
टाँग फँसा हर काम में, पछताते हैं लोग
एक पूर्ण करते अगर, व्यर्थ न होता सोग
*
बिन कारण लातें न सह, सर चढ़ती है धूल
लात मार पाषाण पर, आप कर रहे भूल
*
चरण कमल कब रखे सके, हैं धरती पर पैर?
पैर पड़े जिसके वही, लतियाते कह गैर
*
धूल बिमाई पैर  का, नाता पक्का जान
चरण कमल की कब हुई, इनसे कह पहचान?
***

बुधवार, 17 फ़रवरी 2016

muhavare / kahawat / geet - aankh/andha

आँख पर मुहावरे: 


आँख मारना = इंगित / इशारा करना। 
मुझे आँख मारते देख गवाह मौन हो गया

आँखें आना = आँखों का रोग होना। 
आँखें आने पर काला चश्मा पहनें

आँखें चुराना = छिपाना। 
उसने समय पर काम नहीं किया इसलिए आँखें चुरा रहा है

आँखें झुकना = शर्म आना। 
वर को देखते ही वधु की आँखें झुक गयीं

आँखें झुकाना = शर्म आना। 
ऐसा काम मत करो कि आँखें झुकाना पड़े

आँखें टकराना = चुनौती देना।
आँखें टकरा रहे हो तो परिणाम भोगने की तैयारी भी रखो

आँखें दिखाना = गुस्से से देखना। 
दुश्मन की क्या मजाल जो हमें आँखें दिखा सके?

आँखें नटेरना = घूरना। 
आँखें मत नटेरो, अच्छा नहीं लगता। 

आँखें फेरना = अनदेखी करना।
आज के युग में बच्चे बूढ़े माँ-बाप से आँखें फेरने लगे हैं

आँखें बंद होना = मृत्यु होना। 
हृदयाघात होते ही उसकी आँखें बंद हो गयीं

आँखें मिलना = प्यार होना। 
आँखें मिल गयी हैं तो विवाह के पथ पर चल पड़ो 

आँखें मिलाना = प्यार करना। 
आँखें मिलाई हैं तो जिम्मेदारी से मत भागो

आँखों में आँखें डालना = प्यार करना

लैला मजनू की तरह आँखों में ऑंखें डालकर बैठे हैं 

आँखें मुँदना = नींद आना, मर जाना।
लोरी सुनते ही ऑंखें मुँद गयीं।
माँ की आँखें मुँदते ही भाई लड़ने लगे 

आँखें मूँदना = सो जाना। 
उसने थकावट के कारण आँखें मूँद लीं

आँखें मूँदना = मर जाना। 
डॉक्टर इलाज कर पते इसके पहले ही घायल ने आँखें मूँद लीं

आँखें लगना = नींद आ जाना। 
जैसे ही आँखें लगीं, दरवाज़े की सांकल बज गयी

आँखें लड़ना = प्रेम होना। 
आँखें लड़ गयी हैं तो सबको बता दो

आँखें लड़ाना = प्रेम करना। 
आँखें लड़ाना आसान है, निभाना कठिन

आँखें बिछाना = स्वागत करना। 
मित्र के आगमन पर उसने आँखें बिछा दीं।

आँखों का काँटा = शत्रु 
घुसपैठिए सेना की आँखों का काँटा हैं 

आँख का तारा = लाड़ला। 
कान्हा यशोदा मैया की आँखों का तारा था। 

आँखों की किरकिरी = जो अच्छा न लगे। 
आतंकवादी मानव की आँखों की किरकिरी हैं।

आँखों में खून उतरना = अत्यधिक क्रोध आना। 
कसाब को देखते ही जनता की आँखों में खून उतर आया।

आँखों में धूल झोंकना = धोखा देना।
खड़गसिंग बाबा भारती की आँखों में धूल झोंक कर भाग गया। 

आँखों से गिरना = सम्मान समाप्त होना। 
झूठे आश्वासन देकर नेता मतदाताओं की आँखों से गिर गए हैं 

आँखों-आँखों में बात होना = इशारे से बात करना। 
आँखों-आँखों में  बात हुई और दोनों कक्षा से बाहर हो गये

आँख से सम्बंधित मुहावरे:

अंधो मेँ काना राजा = अयोग्यों में खुद को योग्य बताना
अंधों में काना राजा बनने से योग्यता सिद्ध नहीं होती

एक आँख से देखना = समानता का व्यवहार करना
सगे और सौतेले बेटे को एक आँख से कौन देखता है?

फूटी आँखों न सुहाना = एकदम नापसंद करना 
माली की बेटी रानी को फूटी आँखों न सुहाती थी

कहावत 


अंधे के आगे रोना, अपने नैना खोना = नासमझ/असमर्थ  के सामने अपनी व्यथा कहना
नेता को दुःख-दर्द बताना ऐसा ही है जैसे अंधे के आगे रोना, अपने नैना खोना। 

आँख का अंधा नाम नैन सुख = नाम के अनुसार गुण न होना। 
उसका नाम तो बहादुर है पर छिपकली से डर भी जाता हैं, इसी को कहते हैं आँख का अँधा नाम नैन सुख

आँख पर चित्रपटीय गीत

हमने देखी है इन आँखों की महकती खुशबू   -गुलजार   

छलके तेरी आँखों से शराब और ज्यादा   -हसरत जयपुरी   

जलते हैं जिसके लिये, तेरी आँखों के दिये  -मजरूह सुल्तानपुरी 

आँखों के ऊपर “आँखें” नाम से अभी तक जो मुझे पता है, तीन फिल्में बन चुकी हैं, २००२ (विपुल शाह निर्देशित अमिताभ बच्चन के साथ), १९९३(डेविड धवन निर्देशित गोविंदा के साथ) और १९६८ (रामानंद सागर निर्देशित धर्मेन्द्र के साथ)।
सबसे पहले उन आँखों का जिक्र करते हैं जो शांत हैं, चौकस हैं और जरूरत पड़ने पर अंगारे भी बरसाती हैं। अगर अभी तक आप अंदाज नही लगा पायें हैं तो मैं सीमा पर पहरा देती बहादुर फौजियों की आँखों का जिक्र कर रहा हूँ और इन आँखों पर साहिर लुधयानवी ने क्या खूब लिखा है – उस मुल्क की सरहद को कोई छू नही सकता जिस मुल्क की सरहद की निगेहबाँ हैं आँखें…….शबनम कभी शोला कभी तूफान हैं आँखें
अक्सर प्रेमी युगल आँखों का उपयोग बातें करने में भी करते हैं शायद ऐसे ही किसी जोड़े को देख जान निसार अख्तर ने लिखा “आँखों ही आँखों में इशारा हो गया“। बात इशारों तक ही सीमित नही रहती कुछ प्रेमी इन आँखों को शो-केस की तरह इस्तेमाल भी करते हैं, और गुलजार ने इसे कुछ यूँ बयाँ किया “आँखों में हमने आपके सपने सजाये हैं“, और “आपकी आँखों में कुछ महके हुए से ख्वाब हैं“।
आँखों में सपने और ख्वाब के अलावा भी बहुत कुछ देखा जा सकता है मसलन एस एच बिहारी (फिल्म किस्मत में नूर देवासी ने भी गीत लिखे थे) कहते हैं, “आँखों में कयामत के काजल” जबकि राजेन्द्र कृष्ण का मानना है, “आँखों में मस्ती शराब की” लेकिन इतना सब सुनकर भी मजरूह (सुल्तानपुरी) साहेब मासूमियत से पूछते हैं, “आँखों में क्या जी?” एक तरफ शराब की मस्ती की बात करने वाले राजेन्द्र कृष्ण ठुकराये जाने का दर्द कुछ इस तरह बयाँ करते हैं, “आँसू समझ के क्यों मुझे आँख से तुमने गिरा दिया, मोती किसी के प्यार का मिट्टी में क्यों मिला दिया“।
प्रेम धवन भी आँखों की तारीफ में पीछे नही रहते और कह उठते हैं, “बहुत हसीँ है तुम्हारी आँखें, कहो तो मैं इनसे प्यार कर लूँ” जबकि साहिर लुधयानवी साहेब का कुछ ये कहना है, “भूल सकता है भला कौन प्यारी आँखें, रंग में डूबी हुई नींद से भारी आँखें“। लेकिन राजेन्द्र कृष्ण के ख्यालात अपने साथियों से बिल्कुल जुदा है, ये एक तरफ कहते हैं “आँखें हमारी हों सपने तुम्हारे हों” और फिर इशारे में बात करने लगते हैं “तेरी आँख का जो इशारा ना होता, तो बिस्मिल कभी दिल हमारा ना होता“।
कैफी आजमी साहब जहाँ सवालिया मूड में सवाल करते हैं, “जाने क्या ढूँढती रहती हैं ये आँखें मुझमें, राख के ढेर में शोला है ना चिंगारी है” वहीं दिल्ली के तख्त में बैठने वाले आखिरी बादशाह बहादुर शाह जफर अपनी जिंदगी के दुख को यूँ बयाँ करते हैं, “ना किसी की आँख का नूर हूँ, ना किसी के दिल का करार हूँ, जो किसी के काम ना आ सके मैं वो एक मुस्त-ए-गुबार हूँ“।
साहिर लुधयानवी से बादशाह का दुख नही देखा गया और कलम उठा के उनको पाती में लिख भेजा, “पोंछ कर अश्क अपनी आँखों से मुस्कुराओ तो कोई बात बने, सर झुकाने से कुछ नही होगा, सर उठाओ तो कोई बात बने“।
और इस पोस्ट के अंत में एक बार फिर गुलजार साहब का आँखों पर लिखा कुछ इस तरह है , “मचल के जब भी आँखों से छलक जाते हैं दो आँसू, सूना है आबसारों को बड़ी तकलीफ होती है“।
लेकिन आँखों पर लिखे पहले भाग में आनंद बख्शी का आँखों पर कही बात कैसे छोड़ सकते हैं भला,- 
कितने दिन आँखें तरसेंगी, कितने दिन यूँ दिल तरसेंगे,
एक दिन तो बादल बरसेंगे, ऐ मेरे प्यासे दिल।
आज नही तो कल महकेगी ख्वाबों की महफिल।
आँखों ही आँखों में इशारा हो गया / बैठे-बैठे जीने का सहारा हो गया

आँखों-आँखों में बात होने दो / मुझको अपनी बाँहों में सोने दो

ये काली-काली आँखें / ये गोर-गोरे गाल  -दिलवाले 

आँखें भी होती हैं दिल की जुबां / बिन बोले, कर देती हैं हालत ये पल में बयां -हासिल 

उस मुल्क की सरहद को कोइ छू नहीं सकता / जिस मुल्क की सरहद की निगहबान हो आँखें  -आँखें 

आँखों की, गुस्ताखियाँ, माफ़ हो / 

आँखों में तेरी अजब सी, अजब सी अदाएं हैं    -ॐ शांति ॐ 

सुरीली आँखोंवाले सुना है तेरी आँखों में / बहती हैं नींदें, और नींदों में सपने -वीर 

कत्थई आँखोंवाली लड़की / एक ही बात पे रोज लड़ती है -डुप्लीकेट 

तेरी कली अँखियों से, जिंद मेरी जागे / धड़कन से तेज दौडूँ, सपनों से आगे 

नैन सो नैन नहीं मिलाओ / देखत सूरत आवत लाज सैयां!

तेरे मस्त-मस्त दो नैन / मेरे दिल का ले गए चैन 

तोसे नैना लागे पिया! 

तेरे नैना बड़े दगाबाज रे! - दगाबाज रे 

तेरे नैना बड़े कातिल मार ही डालेंगे -जय हो 

तेरे नैना हँस दिए / बस गए दिल में मेरे / तेरे नैना -चाँदनी चौक टु चाइना 

नैनों की चाल है, मखमली हाल है / नीची पलकों से बदले समा

निगाहें मिलाने को जी चाहता है / दिलो-जां लुटाने को जी चाहता है 

सोमवार, 1 दिसंबर 2014

navgeet:

नवगीत:



पत्थरों के भी कलेजे
हो रहे पानी
.
आदमी ने जब से
मन पर रख लिए पत्थर
देवता को दे दिया है
पत्थरों का घर
रिक्त मन मंदिर हुआ
याद आ रही नानी
.
नाक हो जब बहुत ऊँची
बैठती मक्खी
कब गयी कट?, क्या पता?
उड़ गया कब पक्षी
नम्रता का?, शेष दुर्गति 
अहं ने ठानी
.
चुराते हैं, झुकाते हैं आँख
खुद से यार
बिन मिलाये बसाते हैं
व्यर्थ घर-संसार
आँख को ही आँख
फूटी आँख ना भानी
.
चीर हरकर माँ धरा का
नष्टकर पोखर
पी रहे जल बोतलों का
हाय! हम जोकर
बावली है बावली
पानी लिए धानी


 

 

शनिवार, 29 नवंबर 2014

muhavare / kahavat

आँखों आँखों में बात होना =

आँख का काँटा = 

आँख का तारा = अत्यधिक प्रिय। बेटे को आँख का तर बना कर रखा पर बुढ़ापे में काम न आया

आँख खोलना =

आँख चुराना = सत्य बताना। राय प्रवीण के दोहे ने अकबर की आँख खोल दी 

आँख झुकना =  शर्म आना 

आँख झुकाना = नीचा दिखाना 

आँख दिखाना = डराना 

आँख फेरना = 

आँख मारना = 

आँख मिलाना =
आँखें मूंदना =

आँख लड़ना = 



लोकोक्ति: 

अंधों में काना राजा = 

आँख का अंधा नाम नैन सुख: अर्थ - नाम के अनुसार गुण न होना 

अंधे आगे रोना, अपने नैना खोना = नासमझ को समझाना 

एक आँख से देखना = 

गुरुवार, 27 नवंबर 2014

muhavra / kahawat salila: naak

मुहावरे / कहावत सलिला: नाक 

नाक ऊँची होना = सम्मान बढ़ना। बिटिया के प्रथम आने से परिवार की नाक ऊँची हो गयी  
नाक ऊँची रखना = महत्व दिखाना। ब्राम्हणों को अपनी नाक ऊँची रखने की आदत है।  
नाक कटना = प्रतिष्ठा कम होना। गलत फैसलों से खाप पंचायतों की नाक कट गयी है 
नाक घुसेड़ना = हस्तक्षेप करना। बच्चों के बीच में नाक घुसते रहने से बड़ों का सम्मान घटता है  
नाक बचाना =  असामाजिक तत्वों से नाक बचाकर निकलना सही नीति है 
नाक रखना = मान रखना। प्रतियोगिता जीतकर बच्चों ने विद्यालय की नाक रख ली। 
नाक का बाल होना = खुशामदी कर्मचारी अधिकारी की नाक का बाल हो जाता है 
नाक का सवाल = प्रतिष्ठा का प्रश्न। नाक का सवाल हो तो गीदड़ भी शेर से भीड़ जाता है 
नाक पर मख्खी बैठना = प्रतिष्ठा नष्ट होना।  
नाक पर मक्खी न बैठने देना = सम्मान पर आंच न आने देना। 
नाक में दम करना = तंग करना। भारतीय सेना ने आतंकवादियों की नाक में दम कर दी  
नाक में नकेल डालना = नियंत्रित करना। उददण्डता रोकने के लिए नाक में नकेल डालना ही पड़ती है
नाक रगड़ना = दीनता दिखाना।कुकर्म करोगे तो नाक भी रगड़ना पड़ेगी। 
नाक के नीचे = बहुत निकट। नाक के नीचे चोरी हो गयी और पुलिस कुछ नहीं कर सकी
नाकों चने चबवाना = परेशान करना। अत्याधुनिका बहू ने सास-ससुर को नाकों चने चबवा दिये। 
छंद: नाक के बाल ने, नाक रगड़कर, नाक कटाने का काम किया है 
नाकों चने चबवाए, घुसेड़ के नाक, न नाक का मान रखा है 
नाक न ऊँची रखें अपनी, दम नाक में हो तो भी नाक दिखा लें 
नाक पे मक्खी न बैठन दें, है सवाल ये नाक का, नाक बचा लें  
नाक के नीचे अघट न घटे, जो घटे तो जुड़े कुछ राह निकालें 
नाक नकेल भी डाल सखे, न कटे जंजाल तो बाँह चढ़ा लें
*

मंगलवार, 25 सितंबर 2012

दोहा सलिला: दोहा यमक मुहावरा संजीव 'सलिल'

दोहा सलिला:
दोहा यमक मुहावरा
संजीव 'सलिल'
*
घाव हरे हो गये हैं, झरे हरे तरु पात.
शाख-शाख पा रकार रहा, मनुज-दनुज आघात..
*
उठ कर से कर चुका, चुका नहीं ईमान.
निर्गुण-सगुण  न मनुज ही, हैं खुद श्री भगवान..
*
चुटकी भर सिंदूर से, जीवन भर का साथ.
लिये हाथ में हाथ हँस, जिएँ उठाकर माथ..
*
 सौ तन जैसे शत्रु के, सौतन लाई साथ.
रख दूरी दो हाथ की, करती दो-दो हाथ..
*
टाँग अड़ाकर तोड़ ली, खुद ही अपनी टाँग.
दर्द सहन करते मगर, टाँग न पाये टाँग..
*
कन्याएँ हडताल पर, बैठीं लेकर माँग.
युव आगे आकर भरें, बिन दहेज़ ले माँग..
*
काट नाक के बाल हैं, वे प्रसन्न फिलहाल.
करा नाक के बाल ने, हर दिन नया बवाल..
*

Acharya Sanjiv verma 'Salil'

http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in



रविवार, 26 फ़रवरी 2012

दोहा सलिला: दोहा कहे मुहावरा - २... संजीव 'सलिल'

दोहा सलिला: 
दोहा कहे मुहावरा - २...
संजीव 'सलिल'
*
किसके 'घायल पाँव' हैं'?, किसके 'भारी पाँव'?
'पाँव पूजना' सार्थक, व्यर्थ 'अडाना पाँव'.३१.
*
'अपने मुंह मिट्ठू मियाँ, बने'  हकीकत भूल. 
खुद को कोमल कहे ज्यों, पैना शूल  बबूल.३२.
*
'रट्टू तोता बन' करें, देश-भक्ति का जाप.
देश लूटकर कर रहे, नेताजी नित पाप.३३.
*
'सलिल' न देखी महकती, कभी फूल की धूल.
किन्तु महक खिलता मिला, सदा 'धूल का फूल'.३४.
*
'जो जागे सो पा रहा', कोशिश कर-कर लक्ष्य.
'जो सोता खोता वही', बनता भक्षक भक्ष्य.३५.
*
'जाको राखे साइयाँ', बाको मारे कौन?
'नजर उतारे' व्यर्थ तू, लेकर राई-नोंन.३६.
*
'अगर-मगर कर' कर रहे, पाया अवसर व्यर्थ.
'बना बतंगड़ बात का, 'करते अर्थ-अनर्थ'.३७.
*
'चमड़ी जाए पर नहीं दमड़ी जाए' सोच.
'सूंघ अंगुरिया' जो रहे, उनमें व्यापी लोच.३८.
*
कुछ से 'राम-रहीम कर', कुछ से 'कर जय राम'.
'राम-राम' दिल दे मिला, जय-जय सीताराम.३९. 

'सर कर' सरल, न कठिन तज, कर अनवरत प्रयास.
'तिल-तिल जलकर' दीप दे, तम हर धवल उजास.४०.


शनिवार, 28 जनवरी 2012

दोहा सलिला: दोहा संग मुहावरा --संजीव 'सलिल'

दोहा सलिला:
दोहा संग मुहावरा
संजीव 'सलिल'
*
दोहा संग मुहावरा, दे अभिनव आनंद.
'गूंगे का गुड़' जानिए, पढ़िये-गुनिये छंद.१.
*
हैं वाक्यांश मुहावरे, जिनका अमित प्रभाव.
'सिर धुनते' हैं नासमझ, समझ न पाते भाव.२.
*
'अपना उल्लू कर रहे, सीधा' नेता आज.
दें आश्वासन झूठ नित, तनिक न आती लाज.३.
*
'पत्थर पड़ना अकल पर', आज हुआ चरितार्थ.
प्रतिनिधि जन को छल रहे, भुला रहे फलितार्थ.४.
*
'अंधे की लाठी' सलिलो, हैं मजदूर-किसान.
जिनके श्रम से हो सका भारत देश महान.५.
*
कवि-कविता ही बन सके, 'अंधियारे में ज्योत'
आपद बेला में सकें, साहस-हिम्मत न्योत.६.
*
राजनीति में 'अकल का, चकराना' है आम.
दक्षिण के सुर में 'सलिल', बोल रहा है वाम.७.
*
'अलग-अलग खिचडी पका', हारे दिग्गज वीर.
बतलाता इतिहास सच, समझ सकें मतिधीर.८.
*
जो संसद में बैठकर, 'उगल रहा अंगार'
वह बीबी से कह रहा, माफ़ करो सरकार.९.
*
लोकपाल के नाम पर, 'अगर-मगर कर मौन'.
सारे नेता हो गए, आगे आए कौन?१०?
*
'अंग-अंग ढीला हुआ', तनिक न फिर भी चैन.
प्रिय-दर्शन पाये बिना आकुल-व्याकुल नैन.११.
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गुरुवार, 1 जुलाई 2010

कहे कहावत अनकही : -१

लेख:
कहे कहावत अनकही : -१  सलिल











कहावतें हिन्दी की जान हैं. कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक या बिना कटुता के गूढ़ को सरलता से अभिव्यक्त करने में कहावत का सानी नहीं. इस शीर्षक के अंतर्गत विश्व की विविध भाषाओँ-बोलियों की कहावतें अर्थ तथा प्रयोग सहित प्रस्तुत की जायेंगी. आप का सहयोग आमंत्रित है:

१. हिम्मत न हारना  =  निराश न होना.
हारिए न हिम्मत, बिसारिए न राम.
जेहि विधि रखे राम. ताहि विधि रहियो..
सौ बारअसफल होने पर भी य्हम्मत नहीं हारना चाहिए.

२. मिट्टी में मिल जाना = नष्ट हो जाना.
मत घमंड कर, माटी का तन, माटी में मिल जाना है.
भष्टाचार कर धन-संपत्ति जोड़नेवाला भूल जाता है कि आखिर में उसे भी माटी में मिल जाना है. 

प्रेषक - राणा प्रताप सिंह 
३. कहावत:-:
जहां जाये दूला रानी
उहाँ पड़े पाथर पानी
मूल भाषा:-
अवधी
अर्थ/प्रयोग:-
यह कहावत ऐसे व्यक्ति के लिए प्रयोग की जाती है जिसके जाते ही कोई कार्य बिगड़ने लगता है.

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