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बुधवार, 27 सितंबर 2017

hindi naye chhand 5- aachaman chhand

हिंदी के नए छंद ५
पाँच मात्रिक याज्ञिक जातीय आचमन छंद 
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पहली बार हिंदी पिंगल की आधार शिला गणों को पदांत में रखकर छंद निर्माण का प्रयास है। माँ सरस्वती की कृपा से अब तक ३ मात्रा से दस मात्रा तक में २०० से अधिक नए छंद अस्तित्व में आ चुके हैं। भानु जी के अनुसार छंद रचना हेतु कम से कम ७ मात्रा की पंक्तियाँ आवश्यक हैं। माँ सरस्वती की कृपा से यहाँ ५ मात्राओं की पंक्तियों से बनानेवाले १० छंद क्रमश: प्रस्तुत किये जा रहे हैं। छंद रचना सीखने के इच्छुक रचनाकार इन्हें रचते चलें तो सहज ही कठिन छंदों को रचने की सामर्थ्य पा सकेंगे। ५ मात्रिक भवानी, राजीव, साधना व हिमालय छंदों के बाद प्रस्तुत है आचमन छंद  
आचमन छंद
*
विधान:
प्रति पद ५ मात्राएँ।
पदांत: जगण।
सूत्र: भ ल = भगण + लघु, भानस + लघु, २११ १।
       ग न = गुरु + नगण, गुरु + नसल, १ २११।
उदाहरण:
मुक्तिका-
 . 
प्यार कर 

वार कर।
.

जीत वर
हार कर।
.
मीत बन
प्रीत कर।
.
क्यों गलत
रीत कर?
.
हो अमर 

बीत कर।

भोर जग
ईद कर।

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salil.sanjiv@gmail.com, ९४२५१८३२४४
http://divyanarmada.blogspot.com
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