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गुरुवार, 8 मार्च 2012

होली पर राधा-माधव -- शार्दुला


होली पर राधा- माधव 

 शार्दुला

*
 
जमुना के तीर, रंग उड़े न अबीर, राधा होती रे अधीर, कान्हा जान लो! 
सुभ सुवर्ण सरीर, नैना नील तुनीर, ता में  रँगे जदुवीर, राधा मान लो!   
 
लख-लख हुरिहार*, टेसू परस अंगार, राधा जाए न सिधार, कान्हा जान लो!         
हिरदय त्यौहार, कब तिथि के उधार, ये तो जग-व्यवहार, राधा मान लो!
 
निकसे  कन्हाई, काहे प्रीत लगाई, होती जग में हंसाई, कान्हा जान लो!
आखर अढ़ाई, मन-आतम बंधाई, माधो-श्यामा परछाईं, राधा मान लो!   
 
दुनु कमलक फूल, जाएं अलगल कूल, बिंधे बिरह त्रिसूल,  कान्हा जान लो! **
तन छनिक दुकूल, तोरे दुःख निरमूल, प्रीति तारे भव-शूल, राधा मान लो!
 
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*  हुरिहार = होली खेलने वाले
**  मिथिला के एक खेल 'अटकन-मटकन' से प्रेरित, जिसमें बीच में  कहते हैं "कमलक फूल दुनु अलगल जाय".