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गुरुवार, 20 जून 2019

मुक्तिका मिट्टी मेरी

मुक्तिका
मिट्टी मेरी...
*
मोम बनकर थी पिघलती रही मिट्टी मेरी.
मौन रहकर भी सुलगती रही मिट्टी मेरी..
बाग़ के फूल से पूछो तो कहेगा वह भी -
कूकती, नाच-चहकती रही मिट्टी मेरी..
पैर से रौंदी गयी, सानी गयी, कूटी गयी-
चाक-चढ़कर भी, सँवरती रही मिट्टी मेरी..
ढाई आखर न पढ़े, पोथियाँ रट लीं, लिख दीं.
रही अनपढ़ ही, सिसकती रही मिट्टी मेरी..
कभी चंदा, कभी तारों से लड़ायी आखें.
कभी सूरज सी दमकती रही मिट्टी मेरी..
खता लम्हों की, सजा पाती रही सदियों तक.
पाक-नापाक दहकती रही मिट्टी मेरी..
खेत-खलिहान में, पनघट में, रसोई में भी.
मैंने देखा है, खनकती रही मिट्टी मेरी..
गोद में खेल, खिलाया है सबको गोदी में.
फिर भी बाज़ार में बिकती रही मिट्टी मेरी..
राह चुप देखती है और समय आने पर-
सूरमाओं को पटकती रही मिट्टी मेरी..
कभी थमती नहीं, रुकती नहीं, न झुकती है.
नर्मदा नेह की, बहती रही मिट्टी मेरी..
*******

मंगलवार, 27 सितंबर 2011

एक गीत मिट्टी का तन... --- संजीव 'सलिल'

एक गीत
मिट्टी का तन...
संजीव 'सलिल'
*

मिट्टी का तन मिट्टी ही है...

मिट्टी कभी चटकती भी है.
मिट्टी कभी दरकती भी है.
मिट्टी जब उठ जाती है तो-
मिट्टी तनिक महकती भी हो.
मिट्टी है दोस्ती कभी तो
मिट्टी लड़कर कट्टी भी है...

मिट्टी सुख-दुःख, हँसी-रुदन है.
मिट्टी माली, कली-चमन है.
मिट्टी पीड़ा, घुटन, चुभन है.
मिट्टी दिल की लगी, अगन है..
मिट्टी आशा और निराशा-
मिट्टी औषधि-पट्टी भी है...
*****
Acharya Sanjiv Salil

http://divyanarmada.blogspot.com

शनिवार, 26 जून 2010

हाइकु गीत: आँख का पानी संजीव 'सलिल'

हाइकु गीत:

आँख का पानी

संजीव 'सलिल'
*



        









                  


*
आँख का पानी,
        मर गया तो कैसे
              धरा हो धानी?...
             *
तोड़ बंधन
आँख का पानी बहा.
रोके न रुका.

             आसमान भी
             हौसलों की ऊँचाई
             के आगे झुका.

कहती नानी
       सूखने मत देना
               आँख का पानी....
            *
रोक न पाये
जनक जैसे ज्ञानी
आँसू अपने.

           मिट्टी में मिला
           रावण जैसा ध्यानी
           टूटे सपने.

आँख से पानी
      न बहे, पर रहे
             आँख का पानी...
             *
पल में मरे
हजारों बेनुगाह
गैस में घिरे.

           गुनहगार
           हैं नेता-अधिकारी
           झूठे-मक्कार.

आँख में पानी
       देखकर रो पड़ा
              आँख का पानी...
              *
-- दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम