साहित्य-पीड़ा
आहत है साहित्य करुण,
करुणा का सागर है कवि।
पावन बूँदें गिर रहीं
तपती रेत पर ॥
*
देश के घर-घर में साहित्य
साहित्य के कर्णधार हैं,
नींव के पत्थर।
*
बैठाये मीडिया ने
मीनारों के कंगूरों पर
साहित्य के पावन स्वरुप का
उपहास करते वानर॥
*
कछुआ-चाल से
चलते हुए भी,
एक दिन साहित्य का
शिखर पर
आधिपत्य होगा।
विद्या का दूषण
कम होगा.
शासन प्रतिभा का होगा।
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दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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गुरुवार, 28 मई 2009
काव्य-किरण: सरला खरे
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साहित्य
करें वंदना-प्रार्थना, भजन-कीर्तन नित्य.
सफल साधना हो 'सलिल', रीझे ईश अनित्य..
शांति-राज सुख-चैन हो, हों कृपालु जगदीश.
सत्य सहाय सदा रहे, अंतर्मन पृथ्वीश..
गुप्त चित्र निर्मल रहे, ऐसे ही हों कर्म.
ज्यों की त्यों चादर रखे,निभा'सलिल'निज धर्म.
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