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सोमवार, 17 अगस्त 2009

भोजपुरी गीतिका : आचार्य संजीव 'सलिल'

भोजपुरी गीतिका :

आचार्य संजीव 'सलिल'

पल मा तोला, पल मा मासा इहो साँच बा.

कोस-कोस प' बदल भासा इहो साँच बा..

राजा-परजा दूनो क हो गइल मुसीबत.

राजनीति कटहर के लासा इहो साँच बा..

जनगण के सेवा में लागल, बिरल काम बा.

अपना ला दस-बीस-पचासा, इहो साँच बा..

धँसल स्वार्थ मा साँसों के गाडी के पहिया.

सटते बनी गइल फुल्हों कांसा, इहो साँच बा..

सोन्ह गंध माटी के, महतारी के गोदी.

मुर्दों में दउरा दे सांसा, इहो साँच बा..

सून सपाट भयल पनघट, पौरा-चौबारा.

पौ बारा है नगर-सहर के, इहो साँच बा..

हे भासा-बोली के एकइ राम-कहानी.

जड़ जमीन मां जमा हरी है इहो साँच बा..

कुरसी के जय-जय ना कइल 'सलिल' एही से

असफलता के मिलल उंचासा, इहो साँच बा..

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