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सोमवार, 21 सितंबर 2020

दोहे अनुप्रास के

 दोहा सलिला:

कुछ दोहे अनुप्रास के
संजीव
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अजर अमर अक्षर अमित, अजित असित अवनीश
अपराजित अनुपम अतुल, अभिनन्दन अमरीश
*
अंबर अवनि अनिल अनल, अम्बु अनाहद नाद
अम्बरीश अद्भुत अगम, अविनाशी आबाद
*
अथक अनवरत अपरिमित, अचल अटल अनुराग
अहिवातिन अंतर्मुखी, अन्तर्मन में आग
*
आलिंगन कर अवनि का, अरुण रश्मियाँ आप्त
आत्मिकता अध्याय रच, हैं अंतर में व्याप्त
*
अजब अनूठे अनसुने, अनसोचे अनजान
अनचीन्हें अनदिखे से,अद्भुत रस अनुमान
*
अरे अरे अ र र र अड़े, अड़म बड़म बम बूम
अपनापन अपवाद क्यों अहम्-वहम की धूम?
*
अकसर अवसर आ मिले, बिन आहट-आवाज़
अनबोले-अनजान पर, अलबेला अंदाज़
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मंगलवार, 8 जनवरी 2019

aanuprasik dohe

अनुप्रासिक दोहे
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दया-दफीना दे दिया, दस्तफ्शां को दान
दरा-दमामा दाद दे, दल्कपोश हैरान
(दरा = घंटा-घड़ियाल, दफीना = खज़ाना, दस्तफ्शां = विरक्त, दमामा = नक्कारा, दल्कपोश = भिखारी)
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दर पर था दरवेश पर, दरपै था दज्जाल
दरहम-बरहम दामनी, दूर देश था दाल
(दर= द्वार, दरवेश = फकीर, दरपै = घात में, दज्जाल = मायावी भावार्थ रावण, दरहम-बरहम = अस्त-व्यस्त, दामनी = आँचल भावार्थ सीता, दाल = पथ प्रदर्शक भावार्थ राम )
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दिलावरी दिल हारकर, जीत लिया दिलदार
दिलफरेब-दीप्तान्गिनी, दिलाराम करतार
(दिलावरी = वीरता, दिलफरेब = नायिका, दिलदार / दिलाराम = प्रेमपात्र)