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मंगलवार, 20 अप्रैल 2021

दोहा सलिला

दोहा सलिला
*

पीर पराई हो सगी, निज सुख भी हो गैर.

जिसको उसकी हमेशा, 'सलिल' रहेगी खैर..
*

सबसे करले मित्रता, बाँट सभी को स्नेह.

'सलिल' कभी मत पालना, मन में किंचित बैर..

*

शुक्रवार, 20 नवंबर 2020

दोहा सलिला नीति

दोहा सलिला (नीति)
संजीव
*
कहे सफलता-कहानी, मात्र एक संदेश 
मिले विफलता-कथा से, नव पथ का निर्देश 
*
तर्क तुम्हें ले जाएगा, और एक सोपान 
दिखलायेगी कल्पना, नीला भव्य वितान 
*
भोज्य स्वास्थ्यकर यदि नहीं, औषध करे न काम 
भोज्य स्वास्थ्यकर है अगर, औषध पड़े न काम 
*
क्या लाए हो कमाकर?, पूछे बीबी रोज
कुछ खाया भी या नहीं? माँ ही करती खोज 
*   

मंगलवार, 17 नवंबर 2020

दोहा सलिला (नीति)

दोहा सलिला (नीति)
*
तन धन की रक्षा करें, जोश मानिए कोष  
मित्र आत्मविश्वास है, संबल है संतोष
*
करे प्रशंसा मूर्ख यदि, करें अनसुना रीत 
बुद्धिमान डाँटे अगर, करे भला ही मीत 
*
भाव नकारात्मक नहीं, तनिक सुहाए मित्र 
सदा सकारात्मक रहे, मानस पट पर चित्र 
*
जिसे जरूरत आइए, हरदम उसके काम 
चाहत का मत लगाएँ, मित्र कभी भी दाम 
*
जिसे भरोसा आप पर, छलें न उसको आप
याद आपको जो करे, रहें उसी में व्याप 
*
हर महिला को चाहिए, ऐसा साथी एक 
अश्रु पोंछ मुस्कान दे, कहे न तुम सा नेक 
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पल भर में जो कहें दे, वह आजीवन घाव 
पल-पल करिए बात वह, जिसको सकें निबाह 
*
परिवर्तन में पीर है, देता दर्द विकास 
सत्संगति पाई नहीं, असहनीय संत्रास 
*
मत अपना बन या बना, अगर न सच्चा प्यार 
मत अंतर रख अगर हो, अंतर्मन में प्यार 
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उषा देखकर मन करे, जिसको बरबस याद  
साँझ देख बेबस करे, मिलने की फरियाद 
*
आज न आए दुबारा, कर ले ऐसा काम 
नाम मिले पर मिल सके, कहीं न उसका दाम
*
आप चाहते यदि मुझे, मन में है अनुराग 
अगर न चाहें तो मुझे, रखता याद दिमाग  
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खटखट करी न  द्वार पर, खड़े रहे यदि दूर 
सच न खुलेगा वह कभी, बजे न खुद संतूर 
*
जीवन बेहतर हो नहीं, बिन कोशिश बेनाम  
बदलावों से ही बने, बेहतर करिए काम 
*


सोमवार, 16 नवंबर 2020

दोहा सलिला- नीति के दोहे

नीति के दोहे 
*
बैर न दुर्जन से करें, 'सलिल' न करिए स्नेह  
काला करता कोयला, जले जला दे देह 
बुरा बुराई कब तजे, रखे सदा अलगाव 
भला भलाई क्यों तजे?, चाहे रहे निभाव 
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असफलता के दौर में, मत निराश हों मीत   
कोशिश कलम लगाइए, लें हर मंज़िल जीत 
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रो-रो क़र्ज़ चुका रही, संबंधों का श्वास 
भूल-चूक को भुला दे, ले-दे कोस न आस 
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ज्ञात मुझे मैं हूँ नहीं, यार तुम्हारा ख्वाब 
मन चाहे मुस्कुरा लो, मुझसे कली गुलाब 
*